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शिक्षा के लिये सरकार के साथ समाज के हर नागरिक का सहयोग जरूरी

– राज्य मंत्री श्री परमार
शाला प्रबंधन समिति और जन-भागीदारी से होगा विद्यालय का विकास

 

एमपीपोस्ट, 26 फरवरी 2022 ,भोपाल। शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक रूप से जिम्मेदार, सद्गुणों से युक्त, सक्षम और संस्कारवान चरित्र वाले नागरिक का निर्माण करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सरकार के साथ समाज के हर व्यक्ति का सहयोग और भागीदारी आवश्यक है। स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार प्रदेश के शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में नवगठित शाला प्रबंधन समितियों के उन्मुखीकरण प्रशिक्षण-सत्र को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। राज्य-मंत्री श्री परमार ने कहा कि शिक्षा समाज का विषय है। विद्यार्थियों की शिक्षा में समाज की भागीदारी पर चर्चा करना आवश्यक है। सरकार का तंत्र अकेले शिक्षा व्यवस्था में सुधार और विकास नहीं कर सकता है। समाज में शिक्षा में सुधार और सकारात्मक परिवर्तन के लिए जन-भागीदारी का माहौल बनाने की जरूरत है।

“हमारा विद्यालय हमारा कोष” से जोड़ें पूर्व छात्र-छात्राओं को

राज्य मंत्री श्री परमार ने कहा कि “हमारा विद्यालय-हमारा कोष” जन-भागीदारी से विद्यालय के विकास की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है। विद्यालयों के पूर्व छात्रों को शाला प्रबंधन समिति के साथ जोड़ें। इन छात्रों को अपने स्कूल में आने के लिए आमंत्रित करें। इस तरह पूर्व छात्रों का अपने स्कूल के साथ एक भावनात्मक संबंध स्थापित होगा और उनकी भागीदारी से विद्यार्थियों और विद्यालय का विकास संभव हो सकेगा।

संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र श्री धनराजू एस ने कहा कि वह समय बड़ी प्रसन्नता का समय होता है जब लोग बताते हैं कि स्कूल में यह काम, शाला प्रबंधन समिति के सदस्य के सहयोग हुआ है या स्कूल के विकास में समाज का सहयोग मिल रहा है। उन्होंने शाला प्रबंधन समितियों के सदस्यों और शिक्षकों से अनुरोध किया कि अपने कार्यकाल में स्कूलों की प्रगति के लिए ऐसे कार्य करें, जिनसे आने वाली पीढ़ियाँ आपको याद करें। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में शासकीय एवं अनुदान प्राप्त माध्यमिक और प्राथमिक शालाओं में 2 वर्ष की समयावधि के लिए शाला प्रबंधन समिति के गठन का प्रावधान है। इस वर्ष प्रदेश की सभी शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में दो वर्ष (2021-22 एवं 2022-23) के लिए समितियाँ गठित की गई हैं। इन समितियों में विद्यार्थियों के अभिभावक, शिक्षक और स्थानीय निकाय के पंच/पार्षद सदस्य शामिल हैं। समिति सदस्यों में न्यूनतम 50 प्रतिशत महिलाएँ होती हैं। समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव अभिभावकों में से ही किया जाता है और शाला के प्रधान पाठक समिति के सदस्य सचिव होते हैं। ये समितियाँ ही स्थानीय स्तर पर शालाओं के दैनिक कार्यों का संचालन करती हैं।

कर्त्तव्य-पालन और शालाओं की बेहतरी की शपथ

राज्य मंत्री श्री परमार ने प्रदेश की सभी माध्यमिक शालाओं और कक्षा 1 से 8 की संयुक्त माध्यमिक शालाओं में शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों को कर्त्तव्य-पालन और अपने बच्चों की शालाओं की बेहतरी की शपथ भी दिलवायी।

आई.वी.आर.एस. नंबर का लोकार्पण

राज्य मंत्री श्री परमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य शिक्षा केन्द्र और यूनिसेफ द्वारा एस.एम.सी. सदस्यों की सुविधा के लिए विभिन्न शैक्षिक जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए आई.वी.आर.एस. नंबर 8604-8604-85 का लोकार्पण भी किया। विद्यार्थियों के शैक्षिक समर्थन की दिशा में शाला प्रबंधन समिति की सारगर्भित जानकारी एवं समिति के कार्य दायित्व, माता-पिता तथा अभिभावकों के कार्य-दायित्व और बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी, सहजतापूर्वक प्रदान करने की दृष्टि से आई.वी.आर.एस. नंबर तैयार किया गया है। इस नंबर पर कॉल कर रिकार्डेड वॉइस के द्वारा अनेक शैक्षिक जानकारियाँ प्राप्त की जा सकेंगी।

कार्यक्रम का सजीव प्रसारण राज्य शिक्षा केन्द्र के यू-ट्यूब चैनल https://youtu.be/HHtRba5n93w पर किया गया। प्रशिक्षण-सत्र में शाला प्रबंधन समिति प्रकोष्ठ के नियंत्रक अधिकारी श्री अंजनी त्रिपाठी, सभी जिलों से जिला शिक्षा अधिकारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी, विद्यालयों के प्राचार्य, शाला प्रबंधन समिति के सदस्य और विद्यार्थियों के अभिभावक वर्चुअली जुड़े।

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