देशप्रमुख समाचारराज्‍य

मध्यप्रदेश में पौध-रोपण करने वाले जिलों की होगी रैंकिंग : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

अंकुर कार्यक्रम को जन-आंदोलन बनायें
गंगा की तरह होगी नर्मदा जल प्रदूषण की जाँच
मुख्यमंत्री ने की पर्यावरण विभाग की गतिविधियों की समीक्षा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पौध-रोपण कर हरियाली बढ़ाने वाले जिलों की रैंकिंग करें। हर वर्ष विश्लेषण के बाद इसके परिणाम घोषित करें। सर्वाधिक पौध-रोपण वाले जिलों को प्रोत्साहित और सबसे कम पौध-रोपण वाले जिलों को पौध-रोपण के लिये प्रेरित करें। रैंकिंग की शुरूआत शहरों से कर जिलों में विस्तार करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इससे पर्यावरण संतुलन और जलवायु परिवर्तन के उद्देश्यों की पूर्ति में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह निर्देश आज पर्यावरण विभाग की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए दिये। पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनोज गोविल, प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री अनिरुद्ध मुकर्जी, आयुक्त पर्यावरण श्री श्रीमन शुक्ला, सदस्य सचिव मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री ए.एन. मिश्रा और वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अंकुर कार्यक्रम को जन-आंदोलन बनायें। इसे जन-अभियान परिषद से भी जोड़ें। मंत्री श्री डंग ने बताया कि अंकुर कार्यक्रम में प्रदेश में अब तक 5 लाख 23 हजार पौध-रोपण हुआ है। जिले अपने लक्ष्य निर्धारित कर पौध-रोपण को बढ़ावा दे रहे हैं।

गंगा नदी की तरह नर्मदा नदी के जल प्रदूषण स्तर की जाँच के लिये 6 स्टेशन, इंदौर में बहने वाली खान नदी और उज्जैन की क्षिप्रा नदी के लिये दो-दो स्टेशन स्थापित किये जा रहे हैं। नर्मदा जल-स्तर की जाँच के लिये यह स्टेशन अमरकंटक, डिण्डोरी, जबलपुर में भेड़ाघाट के आगे, होशंगाबाद, ओंकारेश्वर और धर्मपुरी में स्थापित होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्ण करें और विभाग लगातार कार्य की मॉनीटरिंग करे।

सिया प्रकरणों में करें समयावधि निर्धारित

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सिया और सेक प्रकरणों में समय-सीमा निर्धारित करें। प्रयास करें कि न्यूनतम समय में स्वीकृति जारी हो। मुख्यमंत्री ने सी.एम. राइज स्कूल में एप्को द्वारा किये जा रहे वास्तु आकल्पन की भी जानकारी ली।

अति प्रदूषणकारी इकाइयों में निस्राव घटा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल को नियंत्रित करने के ठोस उपाय करें। कार्य की सतत निगरानी करें। उद्योगों को हानि पहुँचाए बिना प्रयास करें कि उद्योगों को उत्पादन में परेशानी भी न हो और अनउपचारित पानी नदी-तालाब में न जाये। बैठक में बताया गया कि 101 अति प्रदूषणकारी इकाइयों में से 65 औद्योगिक इकाइयों में शून्य निस्राव (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) की स्थापना की गई है।

पीजीडीएम के 2 बैच होंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि एप्को इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट स्टडीज द्वारा संचालित पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एनवायरमेंट मैनेजमेंट (पीजीडीएम) के 2 बैच होंगे। अभी एप्को द्वारा एक बैच संचालित किया जा रहा है, जिसमें देश के छात्र-छात्राएँ भाग लेते हैं।

21 शहरों में वायु गुणवत्ता ऑनलाइन सिस्टम

प्रदेश के 21 शहरों की परिवेशीय गुणवत्ता मॉनीटरिंग के लिये ऑनलाइन सिस्टम स्थापित है। इनमें से भोपाल, देवास, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, कटनी, पीथमपुर, सिंगरौली, उज्जैन और मण्डीदीप में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा और अनूपपुर, दमोह, ग्वालियर, कटनी, मैहर, नीमच, रतलाम, रीवा, सागर और सतना में औद्योगिक संस्थानों द्वारा स्थापित किये गये हैं।

सम्मति शुल्क में कमी

मंत्री श्री डंग ने बताया कि पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के साथ औद्योगिक विकास भी बाधित न हो, इसके लिये प्रक्रिया को सरल किया गया है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से लिये जाने वाले जल और वायु अधिनियमों में स्थापना, उत्पादन, सम्मति शुल्क एवं खतरनाक अपशिष्ट और प्लास्टिक उद्योगों के शुल्क में कमी की गई है। आवेदन-पत्र का सरलीकरण किया गया है। प्राधिकार आवेदन पर 30 दिन में निर्णय नहीं होने की स्थिति में 23 जनवरी से प्रकरण में स्वत: सम्मति मानी जायेगी।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button