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नर्मदा जल को दूषित होने से रोकें

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान ने कहा

 

 

नर्मदा के संरक्षण-संवर्धन में सरकार के साथ समाज भी आगे आये: मुख्यमंत्री श्री चौहान
नर्मदा के दोनों तट और कैचमेंट एरिया में लगाए अधिक से अधिक पेड़
नर्मदा जल को दूषित होने से रोकें
मुख्यमंत्री ने महामंडलेश्वर श्री ईश्वरानंद उत्तम स्वामी महाराज का किया सम्मान
नर्मदा मिशन में182 यात्रियों ने की नर्मदा परिक्रमा
आंवलीघाट पर हुआ कार्यक्रम

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा अविरल कल-कल छल-छल बहती रहे, इसके लिए जरूरी है कि नर्मदा के दोनों तट और कैचमेंट एरिया में अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाए। साथ ही नर्मदा तट के किसान अपने खेतों में फलदार पेड़ लगाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा के पावन जल को दूषित होने से रोकने के लिए मल एवं गंदगी को नर्मदा में जाने से रोकना होगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा के कैचमेंट एरिया में जहाँ भी यूकेलिप्टस के पेड़ लगे होंगे, हमें उन्हें हटाना होगा। यूकेलिप्टस पानी को अवशोषित कर धरती को बंजर बना देता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि साल के पेड़ अधिक से अधिक लगाए जाएंगे, क्योंकि ये अपनी जड़ों से पानी छोड़ते हैं, जो छोटी-छोटी धाराओं के रूप में नर्मदा में मिलता है और नर्मदा की धार को अविरल बनाता है। उन्होंने कहा कि नर्मदा का संरक्षण और संवर्धन अकेले सरकार नहीं कर सकती है, इसके लिए समाज को मिलकर काम करना होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री ईश्वरानंद उत्तम स्वामी महाराज के नेतृत्व में नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन पर सीहोर जिले के नर्मदा आंवलीघाट में नर्मदा सेवा मिशन के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। नर्मदा परिक्रमा में 182 यात्रियों द्वारा 3445 किलोमीटर की यात्रा 165 दिन में पूरी की गई। परिक्रमा का संयोजन श्री तपन भौमिक ने किया।

हरियाली अमावस्या पर पेड़ लगाने का अभियान

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आगामी हरियाली अमावस्या पर पेड़ लगाने का अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान से पूरे समाज को जोड़ कर एक माह तक अधिक से अधिक पेड़ लगाए लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जन अभियान परिषद पेड़ लगाने के स्थान और पेड़ की प्रजातियाँ निर्धारित करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उपस्थित जन को पर्यावरण-संरक्षण के लिये अधिक से अधिक पेड़ लगाने और नर्मदा में गंदगी नहीं डालने का संकल्प भी दिलाया।

नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में अब निर्माण की अनुमति नहीं

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के मैकल पर्वत पर किसी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। अमरकंटक आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए पर्वत के नीचे होटल, रेस्टोरेंट आदि के लिए अनुमति रहेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों से अपील की कि वे नरवाई न जलाये। नरवाई जलाने से धरती की उर्वरता नष्ट होती है। कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती अपनाये, शुरूआती दौर में वे कम भूमि पर प्राकृतिक खेती करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों को गाय पालन के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें प्राकृतिक खेती में बड़ी मदद मिलेगी और सरकार की ओर से हर माह 900 रूपए गाय पालन के लिये दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अमृत सरोवर योजना में नर्मदा के दोनों और अधिक से अधिक तालाब बनाना होंगे। इससे भू-जल स्तर बढ़ेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा से लोगों में जागरूकता आएगी, जो नर्मदा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयोगी साबित होगी।

सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वी.डी. शर्मा ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा जन-जागरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे लोगों को माँ नर्मदा के प्रति आस्था एवं उसके संरक्षण तथा संवर्धन की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार माँ नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने स्तर पर कार्य कर रही है, लेकिन इससे लोगों और समाज का जुड़ना जरूरी है।

नर्मदा परिक्रमा यात्रा के प्रमुख महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री ईश्वरानंद उत्तम स्वामी ने कहा कि 165 दिन की यात्रा का अनुभव बहुत अद्भुत रहा है।इसे कम समय में व्यक्त करना संभव नहीं है। नर्मदा परिक्रमा से समाज में चेतना का संचार हुआ है, जो यात्रा के दौरान ही दिखाई दे रहा था।

कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति, खाद्य प्र-संस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद श्री रमाकांत भार्गव, परिक्रमा यात्रा के संयोजक श्री तपन भौमिक, पूर्व मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, माँ कनकेश्वरी देवी तथा स्वामी श्री राजेंद्र दास ने भी संबोधित किया। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि नर्मदा जी के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

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