मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए गांधी जी के जीवन को आत्मसात करना होगा: मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल
राजभवन में गांधी जयंती पर भजन संध्या सम्पन्न
मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि महात्मा गांधी जी का चिंतन और जीवन उनके प्रिय भजन वैष्णव जन में समाया हुआ है। मन वचन कर्म से दूसरों की पीड़ा समझने और बिना किसी भेदभाव के साथ समान रूप से व्यवहार करने वाला ही वैष्णव है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस दौर में मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए महात्मा गांधी के जीवन को आत्मसात करना होगा।
श्री पटेल आज राजभवन में गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित भजन संध्या को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में राज्यपाल श्री पटेल ने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर सूत की माला चढ़ाकर उनका स्मरण किया, श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में भक्ति और संगीत एक दूसरे के पूरक हैं। यज्ञ के समय गाए जाने वाले समूह गान की रचनाओं का संग्रह सामवेद में किया गया है। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने जो भक्ति संसार को दी, उस भक्ति में सिमरन करते समय संगीत का प्रयोग किया जाता है।
पर्यटन, संस्कृति एवं आध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि गांधी जी के श्रम की सार्थकता और स्वच्छता के संस्कारों का अनुसरण सभी को करना होगा। उन्होंने महात्मा गांधी और स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर उनका स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
भजन संध्या में भुवनेश कोमकली जी के गायन की रागों, बंदिशो पर सुर, लय, ताल की सुमधुर प्रस्तुतियों ने आयोजन को यादगार बना दिया। कोमकली जी की विशेष गायनशैली के गायन ने सभी का मनमोह लिया। कार्यक्रम में देवी स्तुति से सर्व मंगल की कामना के साथ भक्ति की ऐसी बयार बही, जिसने सभी भक्तजनों को भाव-विभोर कर दिया। तुलसी के भजनों श्री रामचन्द्र कृपालु, विपति अति भारी, अबलौ न सानी और कबीर के भजन झीनी झीनी रे भीनी चंदरिया ने शास्त्रीय संगीत की अनूठी छठा सभागार में बिखेर दी। महात्मा गांधी के प्रिय नरसी मेहता के भजन वैष्णव जन तो की प्रस्तुति के लचीले भावपूर्ण रसग्राही स्वरों से श्रोंतागण मंत्रमुगध हो गयें।
राज्यपाल द्वारा मुख्य गायक कलाकार श्री भुवनेश कोमकली, तबला वादक श्री पवन सेम, हारमोनियम वादक श्री विवेक बंसोड, मंजीरा वादक श्री चिरायु रजक और तानपूरे पर संगत कर रही सुश्री प्राजक्ता मोडक, सुश्री वर्षा बंसीवाल को सम्मानित किया गया।