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नेता नहीं शिल्पकार है कमल नाथ-भूपेन्द्र गुप्ता

नेता नहीं शिल्पकार है कमल नाथ-भूपेन्द्र गुप्ता

मध्य प्रदेश को श्री कमल नाथ के रूप में ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जिसे परिवार के मुखिया की तरह हर सदस्य की चिंता है। वे बातें कम और काम ज्यादा करते है। वे सबको समान दृष्टि से देखते है। बच्चों, युवाओं , बेटियों की चिंता करते है और बड़े बुजुर्गों का ख्याल रखते है। वे भविष्य की ओर देखने में विश्वास करते हैं। वे नेता नही शिल्पकार है।

कमलनाथ याने उम्मीद
मध्य प्रदेश के नागरिकों को पिछले 13 सालों में सिर्फ बातें और भाषण सुनने को मिले और व्यापम जैसे घपलों से बदनामी मिली। अब हर नागरिक महसूस कर रहा है कि जनता के हित में काम कैसे किया जाता हैं।
श्री नाथ हमेशा परिणाम देने वाले फैसले करते हैं और जरूरतमंद की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। कई लोग मुझे मिले जो बताते हैं कि रोजगार कार्यालय में वायोडाटा देने से उम्मीद कम रहती है मगर कमल नाथजी तक बायोडाटा पहुंच गया तो नौकरी की उम्मीद बढ़ जाती है।

वे सुशासन को सकारात्मक रवैये से जोड़ते हैं । उनका सीधा कहना है कि मध्य प्रदेश को आगे ले जाने का एक ही रास्ता है कि हम नागरिक सेवाओं के प्रदाय की व्यवस्थाओं को सुधारें । हर नागरिक को पूरी संतुष्टि के साथ सुविधाएं मिले। इसके लिये नौकरशाही को रवैये में बदलाव लाना होगा। वे साफ कहते हैं कि नीतियां तो कभी भी बदलीं जा सकतीं है,लेकिन रवैया ठीक न हो तो अच्छी नीतियां भी काम नहीं कर सकतीं।
कमल नाथ जी की सबसे अच्छी बात यह है कि वे पीछे मुड़कर कमियां ढूंढने में विश्वास नहीं करते बल्कि आगे का रास्ता बनाने में विश्वास करते हैं।

नकली आलोचनाओं की फिक्र नहीं
वे कहते है कि विकास हमें करना है। इसलिये जिसे विकास में भागीदार बनाना है उसे पूरा भरोसा दिलाना होगा। इसीलिये वे पुरानी सरकारों को नहीं कोसते। लेकिन अकारण आलोचना और राजनीति का उत्तर भी जरूर देते हैं। फिजूल की आलोचनाओं को अनदेखा करना उनकी खूबी है। इसलिए कई विपक्षी नेताओं के निंदाराग बंद हो गए।
जब सचिवालय में वंदे मातरम को लेकर विपक्ष ने हलकट हमले किये तो उन्होंने जिस स्वरूप में वंदेमातरम का आयोजन आरंभ किया उससे विपक्ष की नकली चिंतायें धराशायी हो गयीं। आलोचना करने वाले विपक्ष के नेता एक भी बार उसमें शामिल नहीं हुये।

कमलनाथ सोचते हैं कि शिक्षा तो एक उम्र तक ही ली जा सकती है मगर ज्ञान जीवन भर लिया जा सकता है इसलिये वे निरंतर चर्चा करने और सीखने में विश्वास करते हैं। वे नौकरी की शुरुवात करने वाले आई ए एस अधिकारियों को समझाते है कि उपलब्धियां तभी तक रहतीं हैं जब तक पद रहता है किंतू जनहित में अच्छे काम करने की संतुष्टि जीवन के अंतिम क्षण तक रहती है ।वे सहज भाव से जीवन के दर्शन में उतर जाते हैं और न मिटने वाली छाप छोड़ देते हैं। यही कारण है कि प्रतिपक्ष के लोग भी उनका लोहा मानते हैं। इसीलिये जनता चाहती है कि उन्हें काम करने का पूरा मौका मिले । जनता को उनसे बहुत उम्मीदें है।

कमल नाथ राजनीति में मिथ्या व्यवहार पसंद नहीं करते। इसलिये वे घोषणायें नहीं करते ।फैसले करते हैं और जब फैसला ले लेते हैं तभी जनता की जानकारी में लाते है। लागू करने में कितना वित्तीय भार आयेगा यह भी सुनिश्चित कर लिया ।जैसे जैसे पांच साल में खाली खजाना भरता जायेगा वैसे वैसे इन्हें पूरा करने का कैलेन्डर भी सोच लिया।

भविष्य पर नज़र
वे भावी पीढ़ी के अनगढ़ भविष्य पर सोचने वाले नेता हैं ।पूरी दुनिया केवल आगाह कर रही है । लोग कह रहे हैं अगला विश्व युद्ध पानी के लिये होगा तब वे पानी का अधिकार देने के लिये प्रयासरत हैं । वे स्वास्थ्य का अधिकार देने की चिंता कर रहे हैं । वे जल संरचनाओं को बचाने का रोडमेप भी बना रहे हैं।
वे शुद्ध के लिये युद्ध कर रहे हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि कुछ राज्यों से मुंबई जाने वाली ट्रेनों को कैंसर एक्सप्रेस कहते हैं । वे मानते हैं कि अगर खाद्य पदार्थों की शुद्धता की लडा़ई को सामाजिक आंदोलन न बनाया गया तो कैंसर एक्सप्रेस हर राज्य से निकलेंगीं।वे नयी पीढ़ी को इस महामारी से बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।वे दूर दृष्टि और नेक दृष्टि वाले नेता हैं । जो देने में विश्वास करते हैं देने में अमल करते हैं और बांटने से ही खुश होते हैं।

नेता नहीं शिल्पकार
कमलनाथ जब उद्योगों के विकास की योजना बनाते हैं तब बैंड बजाकर जीविका चलाने वाला भी उनकी नजर में होता है ।जब किसान की तकलीफें उन्हें चिंतित करतीं हैं तब युवाओं की शिक्षा और रोजगार भी उनके निर्णयों का हिस्सा होते हैं।श्री नाथ समग्र समाज के लिये सोचते हैं। मध्य प्रदेश को एक सच्चा शिल्पकार चाहिए था जो राजनीति से परे सिर्फ विकास करने और युवाओं को आगे बढ़ने का रास्ता बनाने की चिंता करता हो। कमल नाथ के रूप में ऐसा शिल्पी प्रदेश को मिल गया है। उन्हें जन्म दिन की अनेक शुभकामनाएं।

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