केंद्र सरकार कोरोना से निपटने मध्यप्रदेश के हित में 50 हजार करोड़ का राहत पैकेज दे –
जीतू पटवारी,एमपी कांग्रेस
भोपाल, 11 मई 2020
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और मीडिया विभाग के चेयरमैन जीतू पटवारी ने आज वीडियो कांफ्रेंस ज़ूम के माध्यम से पत्रकारों बातचीत करते हुआ कहा है की पटवारी ने मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार कोरोना से निपटने मध्यप्रदेश के हित में 50 हजार करोड़ का राहत पैकेज दे -प्रदेश के हालात डेढ़ महीने में ही इस सरकार ने इतने खराब कर दिए हैं कि उससे बाहर निकलने के लिए शिवराज सरकार को तत्काल केंद्र सरकार से 50000 करोड़ के पैकेज की मांग करनी चाहिए ।
सरकार कह रही है कि वह ढाई लाख मजदूरों को प्रदेश में ला चुकी है तब पटवारी ने सवाल किया कि फिर हर सड़क पैदल चलते हुए मजदूरों से क्यों पटी पड़ी है उन्होंने चुनौती के स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं तय कर लें कि किस सड़क पर उन्हें जाना है । तो 20-25 किलोमीटर के दायरे में ही उन्हें हजारों पैदल चलते हुए प्रवासी भाई मिल जाएंगे।उन्होंने कहा कि औरंगाबाद में मारे गए आदिवासी भाइयों की मौत खाली नहीं जानी चाहिए ,सरकार बताए कि कितने मजदूर किस प्रदेश से लाये गयेकहीं यह भी कोई बडा़ घोटाला न निकल आये। उन्होंनेपूछा कि वह अधिकारी कौन थे जिन्होंने 10 दिन तक उन मजदूरों को ना तो पास दिए ना ही उन के फोन उठाऐ। पटवारी ने कहा कि मैंने स्वयं उन अधिकारियों को जिन्हें इस काम के लिए जिम्मेदार बनाया है , फोन लगाएं तो हमेशा निराशा ही हाथ लगी है ।ऐसे उपाय करने से क्या फायदा है जहां पर खटखटाने पर कोई दरवाजा भी ना खोले।
जीतू पटवारी ने इंदौर की परिस्थितियों को विकराल बताया और कहा कि उन्होंने बार-बार मुख्यमंत्री जी से यह निवेदन किया कि वह स्वयं इंदौर जाकर परिस्थितियों का जायजा लें लेकिन कोरोना की भट्टी में तप रहे इंदौर को ना तो मुख्यमंत्री ने पलट कर देखा न ही इन 45 दिनों में स्वास्थ्य मंत्री इंदौर गए ना ही गृहमंत्री और तो और मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव तक इंदौर नहीं गया जबकि केंद्र सरकार की टीमें इंदौर की खाक छान कर चली गई हैं।
सरकार को इंदौर की कोई फिक्र नहीं है जिन अधिकारियों ने इंदौर में माफियाओं को नेस्तोनाबूत करने का बीड़ा उठाया था उन्हें जरूर चलता कर दिया गया है ।क्या यह माफिया राज का समर्थन नहीं है ? जो अधिकारी काम कर रहे हैं उन्हें बदला जा रहा है क्या इंदौर उज्जैन भोपाल ग्वालियर जबलपुर के अधिकारियों को कोरोना की लड़ाई के बीच युद्ध में बदला जाना चाहिए था। यह पहली सरकार है जो युद्ध के मैदान में अपने सवार बदल रही है। जीतू पटवारी ने सरकार से मांग की कि किसान मजदूर मध्यमवर्ग आज ऐसी जगह पहुंच गया है कि अगर सरकार उसके सिर पर हाथ नहीं रखेगी तो उसका जीना दूभर हो जाएगा उन्होंने मांग की कि तत्काल सरकार किसानों को Rs10 हजार एवं संबल में पंजीकृत मजदूरों के खातों में Rs 7500 डालें। मध्यमवर्ग को परेशानियों से बाहर निकालने के लिए उन्हें पैकेज दे विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो सकी है उनके बारे में विचार करे।
जीतू ने कहा कि जब मध्यप्रदेश में नागरिकों को अधिकार देने की आवश्यकता है तब पुलिसिया अधिकार दिए जा रहे हैं। प्रदेश के 31 जिलों में वेंटिलेटर नहीं है आवश्यक उपकरण नहीं है पर्याप्त पीपीई किट नहीं है ।सरकार ने कोरोना की लड़ाई को ऑटो मोड में छोड़ दिया है भगवान भरोसे और खुद राजनीति करने में लग गई है। सरकार को जब कोरोना की बैठकें करनी चाहिए तब वह भाजपा अध्यक्षों को सूचियां बनाने में बैठक कर रही है। चुनाव की तैयारी में लगी है मुख्य चुनाव पदाधिकारी को हटाने में लगी है क्या यह उचित है ? कमलनाथ जी का दृष्टिकोण बड़ा है और अगर मुख्यमंत्री प्रदेश के हालातों के प्रति गंभीर हैं तो वे कमलनाथ जी से मिलकर सुझाव ले सकते हैं लेकिन यह सरकार तो विपक्ष से परहेज करती है ।उससे बात करने में उनका सम्मान घटता है ।आज भी मौका है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जी से सलाह ले सकते हैं पटवारी ने बताया कि परिवहन विभाग में ट्रांसफर हो रहे हैं क्या इसका कोरोना की लड़ाई से कोई संबंध है ?रजिस्ट्रार बदले जा रहे हैं क्या इनका कोरोना की लड़ाई से कोई संबंध है ? महत्वपूर्ण जांचों से अधिकारियों को हटाकर वहां भाजपा नेताओं के रिश्तेदार बैठाए जा रहे हैं क्या इनका कोरोना की लड़ाई से संबंध है? जिन 50 अधिकारियों के तबादले हुए हैं क्या कोरोना की लड़ाई में वे अपरिहार्य थे। इस सवाल का जवाब प्रदेश की जनता चाहती है ।
पटवारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस घड़ी में सकारात्मक सहयोग देना चाहती है भले ही पीछे के दरवाजे से प्रलोभन के माध्यम से शिवराज जी ने सरकार बना ली हो लेकिन हम राजनीति नहीं करना चाहते हैं हम सहयोग देना चाहते हैं पहले प्रदेश की जनता की तकलीफ समाप्त करना हमारा लक्ष्य है। उसके बाद हम निर्भय होकर राजनीति भी करेंगे लेकिन सरकार कोरोना की त्रासदी के बीच में राजनीति करने से बाज आए।