MLA – मध्यप्रदेश के “माननीयों” विधायकों को मिलेंगे एप्पल के आई पेड
सभी सदस्यों में सहमति बनी
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मध्यप्रदेश के सभी 230 विधायकों को ई-विधान के तहत एप्पल के आई पेड मिलने वाले हैं। इस संबंध में सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं।
एमपीपोस्ट को मिली जानकारी के अनुसार राज्य विधानसभा के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में बैठक हो चुकी है। विधानसभा में नेवा हाउस कमेटी की इस बैठक में उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर, वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग मध्यप्रदेश शासन, श्री जगदीश देवड़ा, नगरीय विकास एवं आवास,संसदीय कार्य,मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, सदस्य श्री बाला बच्चन, श्री अजय विश्नोई, श्रीमती रीति पाठक, श्री सुरेश राजे, श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर, श्री गौरव सिंह पारधी एवं विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री ए पी सिंह , अपर मुख्य सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री संजय दुबे मौजूद थे।
सभी सदस्यों ने विधानसभा और विधानसभा क्षेत्र के काम -काज एवं अपने डाटा की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एप्पल के आई पेड प्रदान किये जाने की बात रखी।जिस पर सहमति बन गई। एनआईसी आई पेड देने की इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देगा।
विधायकों को दिए जाने वाले आई पेड की राशि का भुगतान केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और मध्यप्रदेश सरकार 40 फीसदी करेगी। इससे पूर्व राज्य के विधायकों के लिए पांच लाख रुपये की राशि से ई-ऑफिस प्रारंभ करने की कवायद और बजट का प्रावधान 01 मार्च, 2023 को मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने वर्ष 2023 और 2024 के आय व्ययक का उपस्थापन तथा मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत राजकोषीय नीति का विवरण मध्यप्रदेश विधानसभा में पेश करते हुए किया था।
देश की लगभग सभी राज्यों की विधानसभाओं में सुरक्षा की दृष्टि के हिसाब से एप्पल के आई पेड प्रदान किये गए हैं।
एनआईसी मध्यप्रदेश विधानसभा में जल्द से जल्द ई-विधान प्रणाली को प्रारंभ करने जा रही है। ई-विधान से देश के 19 राज्य जुड़ चुके हैं।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि राज्य के सभी विधायकों को जल्द से जल्द आई पेड मिलें लिहाज़ा प्रक्रिया एनआईसी के सहयोग से पूर्ण होने वाली है।ई-विधान देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर लाने से एक-दूसरे के नवाचार पता लगेंगे और विचारों का आदान प्रदान भी होगा। यह सिस्टम लागू होने के बाद विधानसभा के कागज में खर्च होने वाले करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष बचेंगे। सदस्यों को चर्चा करने के लिए एक क्लिक पर संदर्भ सामग्री भी ऑनलाइन उपलब्ध होगी ।