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मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में संबोधन के प्रमुख बिन्दु

भोपाल ।

  • सोच में परिवर्तन लायें, मध्यप्रदेश की प्रोफाइल बदलें।

  • ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस पर जायें।

  • सरकार की सोच और प्रशासनिक तंत्र के काम करने के तरीकों में अंतर न हो।

  • सरकार जवाबदेह और मित्रवत् हो।

  • हम समय नहीं बदल सकते लेकिन समय हमें जरूर बदल देगा इसलिए समय के साथ आगे बढ़ें।

  • प्रदेश में विश्वास और आत्म-विश्वास का वातावरण बने।

  • शासन-प्रशासन में सुधार लाना सबसे बड़ी चुनौती।

  • दूसरों की सफलताओं और असफलताओं से सीख लें।

  • हर विभाग समीक्षा प्रकोष्ठ और विजन डाक्यूमेंट बनाए।

  • केन्द्र सरकार में लम्बित योजनाओं को प्राथमिकता से लें।

  • थोड़े नुकसान के लिए बड़े फायदे की अनदेखी करना ठीक नहीं।

  • अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का भी अध्ययन करें।

  • उद्योग क्षेत्र में अविलम्ब त्वरित स्वीकृति देने की व्यवस्था अमल में लायें।

  • अनुपयोगी जमीन के लोक हित में उपयोग के लिए भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित होगा।

  • एक सप्ताह में कर्मचारी आयोग काम करना शुरू करें।

  • शिक्षा में गुणवत्ता सुधार प्राथमिक शालाओं से करें।

  • कौशल उन्नयन की सफलता का आकलन करें।

  • प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयुर्वेदिक डॉक्टर की पद-स्थापना हो।

  • विभागीय बजट राशि का उपयोग जनवरी, फरवरी, मार्च में करने की प्रवृत्ति से बचें।

  • नकली दवाई बनाने वाली दवा कम्पनियों के विरूद्ध अभियान चलेगा।

  • शुद्ध के लिए युद्ध करने की स्थिति बनना अपने आप में अप्रिय।

  • मध्यप्रदेश को शुद्धता का प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध।

  • प्रदेश में माफिया का अंत होगा।

  • सरकार माफिया को बर्दाश्त नहीं करेगी।

  • कानून का उल्लंघन करने वाले साधारण लोगों को माफिया की दृष्टि से न देखें।

  • जनजातीय समाज को उनका अधिकार देने के लिए कदम बढ़ाने होंगे।

  • सबूत होते हुए गरीब लोगों से रिकॉर्ड माँगना और लकीर के फकीर बने रहने की प्रवृत्ति ठीक नहीं।

  • कुपोषण मिटाना सर्वोच्च प्राथमिकता।

  • पर्यटन की संभावनाओं को साकार करें।

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