भोपाल ।
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सोच में परिवर्तन लायें, मध्यप्रदेश की प्रोफाइल बदलें।
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ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस पर जायें।
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सरकार की सोच और प्रशासनिक तंत्र के काम करने के तरीकों में अंतर न हो।
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सरकार जवाबदेह और मित्रवत् हो।
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हम समय नहीं बदल सकते लेकिन समय हमें जरूर बदल देगा इसलिए समय के साथ आगे बढ़ें।
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प्रदेश में विश्वास और आत्म-विश्वास का वातावरण बने।
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शासन-प्रशासन में सुधार लाना सबसे बड़ी चुनौती।
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दूसरों की सफलताओं और असफलताओं से सीख लें।
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हर विभाग समीक्षा प्रकोष्ठ और विजन डाक्यूमेंट बनाए।
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केन्द्र सरकार में लम्बित योजनाओं को प्राथमिकता से लें।
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थोड़े नुकसान के लिए बड़े फायदे की अनदेखी करना ठीक नहीं।
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अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का भी अध्ययन करें।
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उद्योग क्षेत्र में अविलम्ब त्वरित स्वीकृति देने की व्यवस्था अमल में लायें।
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अनुपयोगी जमीन के लोक हित में उपयोग के लिए भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित होगा।
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एक सप्ताह में कर्मचारी आयोग काम करना शुरू करें।
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शिक्षा में गुणवत्ता सुधार प्राथमिक शालाओं से करें।
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कौशल उन्नयन की सफलता का आकलन करें।
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प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयुर्वेदिक डॉक्टर की पद-स्थापना हो।
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विभागीय बजट राशि का उपयोग जनवरी, फरवरी, मार्च में करने की प्रवृत्ति से बचें।
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नकली दवाई बनाने वाली दवा कम्पनियों के विरूद्ध अभियान चलेगा।
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शुद्ध के लिए युद्ध करने की स्थिति बनना अपने आप में अप्रिय।
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मध्यप्रदेश को शुद्धता का प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध।
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प्रदेश में माफिया का अंत होगा।
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सरकार माफिया को बर्दाश्त नहीं करेगी।
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कानून का उल्लंघन करने वाले साधारण लोगों को माफिया की दृष्टि से न देखें।
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जनजातीय समाज को उनका अधिकार देने के लिए कदम बढ़ाने होंगे।
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सबूत होते हुए गरीब लोगों से रिकॉर्ड माँगना और लकीर के फकीर बने रहने की प्रवृत्ति ठीक नहीं।
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कुपोषण मिटाना सर्वोच्च प्राथमिकता।
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पर्यटन की संभावनाओं को साकार करें।