उज्जैन का प्राचीन वैभव नए स्वरूप “श्री महाकाल लोक” में होगा अवतरित
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को गरिमामय समारोह में योजना के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण करने उज्जैन आ रहे हैं।
- मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया था। अब ‘’बनारस कॉरिडोर’’ की तर्ज पर "महाकाल लोक" बनाया जा रहा है। योजना के प्रथम चरण में भगवान श्री महाकालेश्वर के आँगन में छोटे एवं बड़े रूद्र सागर, हरसिद्धि मन्दिर, चार धाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा, जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश एवं इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण होगा।
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली, प्राचीन काल-गणना, ज्योतिष, संस्कृति का केन्द्र, महाकवि कालिदास एवं सम्राट विक्रमादित्य की गौरवशाली नगरी का प्राचीन वैभव अब नए स्वरूप “श्री महाकाल लोक” में अवतरित होने जा रहा है। पौराणिक नगरी उज्जैन के वैभव, परंपराओं, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक महत्व को पूरी तरह ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने श्री महाकाल क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रभावी विकास योजना बनाई, जो मूर्तरूप ले रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को गरिमामय समारोह में योजना के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण करने उज्जैन आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया था। अब ‘’बनारस कॉरिडोर’’ की तर्ज पर “महाकाल लोक” बनाया जा रहा है। योजना के प्रथम चरण में भगवान श्री महाकालेश्वर के आँगन में छोटे एवं बड़े रूद्र सागर, हरसिद्धि मन्दिर, चार धाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा, जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश एवं इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण होगा।
श्री महाकाल लोक का प्रथम चरण, जिसे तकनीकी रूप से ‘’मृदा प्रोजेक्ट-1’’ कहा जाता है, पूर्ण हो चुका है। प्रथम चरण के कार्यों का 11 अक्टूबर को लोकार्पण के बाद इसे आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जायेगा। प्रथम चरण के कार्यों के खुलते ही हरि फाटक ब्रिज की चौथी भुजा से आकर श्रद्धालु जैसे ही त्रिवेणी संग्रहालय पहुँचेंगे, उन्हें बाबा श्री महाकाल के अलौकिक दर्शन होंगे।
“श्री महाकाल लोक” क्षेत्र विकास परियोजना की अनुमानित लागत 800 करोड़ रूपये है, जिसमें प्रथम चरण में 350 करोड़ रूपये से महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डैक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स और गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य पूर्ण हो चुका है। महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिए उपयुक्त 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वॉल बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हो चुके हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि पानी स्वच्छ ही रहे।
महाकाल थीम पार्क में भगवान श्री महाकालेश्वर की कथाओं से युक्त म्यूरल वॉल, सप्त सागर के लिए डैक एरिया एवं उसके नीचे शॉपिंग और बैठक क्षेत्र सुविधाएँ विकसित की गई हैं। इसी तरह त्रिवेणी संग्रहालय के समीप कार, बस और दोपहिया वाहन की मल्टीलेवल पार्किंग बन चुकी है। इस क्षेत्र में धर्मशाला एवं अन्न क्षेत्र भी बनाये जा रहे हैं। रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की कनेक्टिविटी विकसित की गई है। मिड-वे झोन में पूजन सामग्री की दुकानें, फूड कोर्ट, लेक व्यू रेस्टोरेंट, लेक फ्रंट डेवलपमेंट, जन-सुविधाएँ और टॉवर सहित निगरानी एवं नियंत्रण केन्द्र की स्थापना भी की गई है। सुगम मन्दिर पहुँच मार्ग के तहत त्रिवेणी संग्रहालय से हरसिद्धि मार्ग, भगत सिंह मार्ग, हरि फाटक ब्रिज से महाकाल चौराहा, बेगमबाग रोड, सरस्वती शिशु मन्दिर के समानांतर मार्ग, महाकाल चौराहे से महाकाल मन्दिर, महाकाल थाना से बड़ा गणेश नया मार्ग, बड़ा गणेश मन्दिर रोड, नृसिंह घाट के समानांतर नूतन स्कूल तक नवीन मार्ग, हरसिद्धि मन्दिर से भगतसिंह मार्ग को चौड़ा किया गया है और नये मार्ग बनाये गये हैं।
मृदा प्रोजेक्ट दूसरा चरण
श्री महाकाल लोक क्षेत्र विकास योजना के दूसरे चरण ‘’मृदा प्रोजेक्ट-2’’ में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा। इस चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में पूर्ण होंगे। इसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, पुराने अवशेषों का समावेश कर भवन का आंशिक उपयोग कुंभ संग्रहालय के रूप में करते हुए इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा। स्थानीय कला एवं संस्कृति को दर्शाते हुए सांस्कृतिक हाट का निर्माण होगा। रामघाट फसाड ट्रीटमेंट के घटक में रामघाट की ओर जाने वाले पैदल मार्ग का कायाकल्प, फेरी एवं ठेला व्यवसाइयों के लिये अलग व्यवस्था, वास्तुकलात्मक तत्वों के प्रयोग द्वारा गलियों का सौन्दर्यीकरण तथा रामघाट पर सिंहस्थ थीम आधारित डायनेमिक लाइट शो किया जायेगा। पार्किंग, धर्मशाला, प्रवचन हॉल एवं अन्न क्षेत्र का भी निर्माण किया जा रहा है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा, रूद्र सागर जीर्णोद्धार, छोटा रूद्र सागर लेक फ्रंट, रामघाट का सौन्दर्यीकरण, पार्किंग एवं पर्यटन सूचना केन्द्र, हरि फाटक पुल को चौड़ा करना एवं रेलवे अण्डरपास तथा रूद्र सागर पर पैदल पुल, महाकाल द्वार, बेगमबाग मार्ग का विकास, रूद्र सागर पश्चिमी मार्ग तथा महाकाल पहुँच मार्ग का उन्नयन किया जायेगा।
इसमें छोटा रूद्र सागर लेक फ्रंट विकास योजना में लैंडस्केपिंग सहित मनोरंजन केन्द्र, वैदिक वाटिका एवं योग केन्द्र, मंत्रध्वनि स्थल एवं पार्किंग का विकास होगा। पार्किंग सूचना केन्द्र एवं विक्रय केन्द्र का विकास किया जायेगा। रूद्र सागर जीर्णोद्धार योजना में स्लज को हटाते हुए रूद्र सागर लेक की डीसिल्टिंग की जायेगी। रूद्र सागर को शिप्रा नदी से जोड़ा जायेगा। हरि फाटक ओवर ब्रिज की चारों भुजाओं को चौड़ा किया जायेगा और जयसिंहपुरा के समीप रेलवे अण्डरपास बनाया जायेगा।
श्री महाकालेश्वर थाने के पास स्थित महाकाल द्वार का संरक्षण किया जायेगा और यहाँ हेरिटेज कॉरिडोर विकसित होगा। इसी तरह बेगमबाग क्षेत्र का विकास एवं सौन्दर्यीकरण भी होगा। रूद्र सागर पर 210 मीटर लम्बा पैदल पुल बनाया जायेगा, जो पीएचई की पानी की टंकी से महाकाल थीम पार्क को जोड़ेगा। इस चरण में श्री महाकाल मन्दिर परिसर के आगे के भाग का लगभग 70 मीटर तक विस्तार किया जायेगा। इसमें 11 भवनों के अधिग्रहण की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है। इस क्षेत्र में बैठने का स्थान, लैंडस्केपिंग एवं पैदल मार्ग भी प्रस्तावित हैं।