अब तक 12 हजार स्टार्टअप्स को सहायता
मध्यप्रदेश में स्टार्टअप को आइडिया से प्रोटोटाइप के स्तर पर ले जाने के लिए अनेक सुविधाएँ दी जाती है। इसमें स्टार्टअप्स की चुनौतियों की पहचान और युवाओं को उनके समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया जाता है। इन प्रयासों का लाभ अब तक लगभग 12 हजार से अधिक स्टार्टअप्स उठा चुके हैं, जिनकी वैल्यूएशन मार्केट में 37 हजार करोड़ रुपए आँकी गई है। इन स्टार्टअप्स ने 67 हजार से अधिक लोगों को रोज़गार देने का काम भी किया है।
इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में मेंटरिंग और काउंसलिंग सत्र में “एमर्जिंग ट्रेंड्स एंड समानांतर कॅरियर इन स्टेम” विषय पर विशेष सत्र महोत्सव के तीसरे दिन सोमवार को हुआ।प्रमुख वक्ताओं के तौर पर डिपार्टमेन्ट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से साइंटिस्ट और हेड एनएसटीईडीबी सुश्री अनिता गुप्ता, विज्ञान प्रसार के साइंस कम्युनिकेटर श्री बी. के. त्यागी, बीएससी बायोनेस्ट की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुश्री सुमन गुप्ता, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) के साइंटिस्ट डॉ. गुलशन ने अपनी बातें रखीं। सुश्री अनिता गुप्ता ने युवाओं को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि स्कूल से लेकर कॉलेज के स्तर तक इंस्पायर और वित्त प्रयास जैसी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। इसमें अपने स्टार्टअप आइडिया को मूर्तरूप देने के लिए 10 हजार से लेकर 10 लाख रूपए तक की सहायता प्रदान की जाती है। यह आर्थिक सहायता युवाओं को स्टार्टअप को आइडिया से प्रोटोटाइप के स्तर पर ले जाने के लिए दी जाती है।
युवा कम से कम दो ऐसे सवाल जरूर खोजें, जिनका जवाब किसी के पास न हो
श्री बी.के त्यागी ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथमेटिक्स स्टडीज के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज अमेरिका जैसे देशों में स्टेम सब्जेक्ट पढ़ने वालों की तादाद कम होती जा रही है, इसलिए भारतीय अक्सर दिग्गज टेक्नोलॉजी कम्पनियों में बड़े स्थान पर दिखाई देते रहे हैं। लेकिन हमारे यहाँ पढ़ाई का तरीका काफी अलग है। हम अभी भी पढ़ाई में प्रयोग को कम शामिल करते हैं, हम साइंस को हिस्ट्री की तरह ज्यादा पढ़ते हैं। इस ट्रेंड को बदलने की जरूरत है। विज्ञान को प्रयोग के माध्यम से जरूर देखना चाहिए, क्योंकि साइंस सीखने का सहज तरीका यही है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे कम से कम दो ऐसे सवाल जरूर खोजें, जिनका किसी के पास जवाब न हो। यहीं से एक युवक के अंदर प्रॉब्लम को सॉल्व करने की मानसिकता जन्म लेगी और वह एंटरप्रेन्योरशिप में भी आगे बढ़ पाएगा।
समस्याओं से निपटने में मददगार हो रहे हैं स्टार्टअप्स
बायोइंक्यूबेटर में किस प्रकार कम्पनी सिलेक्ट की जाती हैं इसकी जानकारी सुश्री सुमन गुप्ता ने अपने वक्तव्य में विस्तारपूर्वक दी। उन्होंने इसमें मिलने वाली ग्रांट और प्रमुख स्टार्टअप के कार्यों को भी बताया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक स्टार्टअप ने भूसे और पराली से बायोडिग्रेडेबल मटेरियल तैयार किया है। यह स्टार्टअप समस्याओं से निपटने के साथ ही किसानों के लिए आय के अवसर भी पैदा कर रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट डॉ. गुलशन ने कहा कि डीबीटी किस प्रकार युवाओं को सपोर्ट करता है, किस प्रकार इनोवेशन को प्रोत्साहन देता है। उन्होंने इससे संबंधित विभिन्न योजनाओं और फेलोशिप्स की जानकारी युवाओं के साथ साझा की।