विधानसभा में वाद-विवाद नहीं सार्थक संवाद होना जरूरी – गिरीश गौतम स्पीकर एमपी विधान सभा
82 वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन
शिमला में आयोजित 82 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में बुधवार को आयोजित सत्र के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने ‘शताब्दीव यात्रा समीक्षा और भविष्य के लिए कार्य योजना’ तथा ‘पीठासीन अधिकारियों का संविधान, सदन एवं जनता के प्रति दायित्व विषय पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री ए.पी.सिंह भी उपस्थित थे।
पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने लोकसभा स्पीकर माननीय श्री ओम बिरला जी के सामने सुझाव रखा कि वर्तमान में सिर्फ गुजरात विधानसभा की अध्यक्ष ही महिला हैं, इसलिए वहां की अध्य्क्ष डॉ. नीमाबेन भावेशभाई आचार्य को पीठासीन सम्मेधलन में सभापति बनाया जाए। स्पीकर मान. श्री ओम बिरला जी ने श्री गौतम ने इस सुझाव को सहज स्वीकार करते हुए डॉ. नीमाबेन को सभापति नियुक्त किया।
श्री गौतम ने सत्र के दौरान अपने उद्बोधन में कहा कि विधानसभा में कई बार वाद विवाद, हंगामा होता है। प्रश्नकाल जैसा महत्वपूर्ण सत्र भी इससे बाधित होता है। सदन में वादविवाद की जगह सार्थक संवाद हो और उस संवाद के माध्यम से प्रदेश की जनता के कल्याण एवं विकास के लिए कोई मार्ग निकले यह हम सभी पीठासीन अधिकारियों का दायित्व होना चाहिए।
श्री गौतम ने कहा कि इतिहास में पीठासीन अधिकारियों के कई सम्मेलन हुए हैं, यह 82 वां सम्मेलन है। विगत सम्मेलनों में कई प्रस्ताव एवं कई संकल्प पारित हुए है। अब हमें इतिहास के अनुभवों को देखते हुए वर्तमान की हमारी चुनौतियों के आधार पर मूल्यांकन करते हुए भविष्य की रूपरेखा तय करना है।
श्री गौतम ने कहा कि संविधान, सदन और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। स्वाभाविक रूप से यह संविधान में वर्णित अनुच्छेद में हैं, उसके नियम और प्रक्रिया हैं जिनका पालन करना हमारा दायित्व है।
श्री गौतम ने कहा कि विधानसभा में विधायक अलग-अलग दलों से और अलग-अलग क्षेत्र से आते हैं। विधायक अपने को क्षेत्र का नायक समझता है और विधानसभा में जब उसे नियमों के आधार पर बांधा जाता है तो वह यह मानता है कि उसके ऊपर जंजीर डाली जा रही है। विधायक के द्वारा क्षेत्र की समस्याओं को वह उठा सके इसके लिए उसे अवसर भी प्राप्त हो और उनके आचरण, संव्यवहार एवं क्रियाकलाप से सदन की गरिमा एवं परंपराओं को कोई आघात न पहुंचे इसकी भी व्यवस्था बना कर रखना है।
श्री गौतम ने कहा कि यह परिवर्तन का युग है। पहले अनुभवों का मूल्य था, संपर्कों का मूल्य था। पहले विधायक क्षेत्र में भ्रमण करके ज्ञान लेता था, लेकिन आज इंटरनेट का युग है। इंटरनेट से जानकारी निकाल कर ज्ञान प्राप्त किया जाता है। आजकल घटना बाद में घटती है सोशल मीडिया में पहले आ जाती है। इस बदलाव पर भी हम सभी को नजर रखना आवश्यक है।
श्री गौतम ने मध्यप्रदेश विधानसभा में किए जा रहे नवाचारों की जानकारी भी सत्र के दौरान दी। उन्होंने बताया कि नए विधायकों एवं महिला विधायकों को अवसर प्रदान करने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा में विगत सत्र में अलग-अलग एक-एक दिन प्रश्नकाल सिर्फ महिला सदस्यों एवं नए सदस्यों के लिए ही रखा गया था। इसके साथ ही विधानसभा का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। लाइब्रेरी का भी आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
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शिमला में आयोजित 58 वें अखिल भारतीय विधान मंडलो के सचिवों के सम्मेलन में श्री ए. पी. सिंह, प्रमुख सचिव म. प्र. विधान सभा द्वारा भाग लिया गया इसका उद्घाटन लोक सभा व राज्य सभा के महासचिव द्वारा किया गया. इस में प्रमुख सचिव द्वारा सदन में चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए सदस्यों की क्षमता में वृद्धि, सभा संचालन की प्रक्रिया में एकरूपता आदि पर विचार व्यक्त किये गये तथा सम्मेलन में विस्तार से चर्चा की गई