शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू की प्रतिमा एक साथ भोपाल में लगाई जाएगी, स्मारक बनाया जाएगा
पहली से 12वी तक की पाठ्यक्रम में तीनों के बलिदान का पाठ पढ़ाया जाएगा-मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान ने कहा
एमपीपोस्ट, 23 मार्च , 2023 ,भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद दिवस आयोजित स्मृति प्रसंग के दौरान कहा की
तीन परिंदे उड़े तो आसमान रो पड़ वो हंस रहे थे लेकिन पूरा हिंदुस्तान रो पड़ा
सरदार भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू से इतनी घबराई थी ब्रिटिश हुकूमत की समय से पहले ही फांसी दे दी।
लिख रहा हूं अंजाम, जिसका कल आगाज आएगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा
उन्होंने कहा की हमारे देश को आजादी कोई चांदी की तस्तरी में रख कर भेंट नहीं की गई, हजारों क्रांतिकारियों ने जान की बाजी लगा दी। कुछ ऐसे थे जिन्होंने अपने रक्त से भारत भूमि को लाल किया था। उनके त्याग, तपस्या, बलिदान से भारत आजाद हुआ।
एक पीढ़ा है मन में जब आजादी के इतिहास पढाया गया कि हिंदुस्तान को आजाद नेहरू जी, इंदिरा गांधी जी ने दिलाई लेकिन हम भूल गये कई शहीदों को हम भूल गये झांसी की रानी को। हम भूल गये तात्याटोपे को, लाला हरदयाल को, उद्यम सिंह को, राजगुरू को, रामप्रसाद बिस्मिल को, हम भूल गये भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेता जी सुभाष चंद्र बोस को, वीर सावरकर को, टंटया मामा को हम भूल गये।
आज आजादी के अमृत काल में मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं, इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा लगी है जिन्होंने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
भगत सिंह जी ने कहा था अगर मेरा विवाह यदि गुलाम भारत में होता तो मेरी वधु मेरी मृत्यू होती..उनका एक एक शब्द प्रेरणा है।
फांसी के पहले 12 घंटे, तीनों शहीदों ने क्या किया- उस दिन तेज आंधी आई थी, भगत सिंह फांसी वाले दिन भी किताब पढ रहे थे। दो घंटे बाद फांसी थी और वो किताब पढ़ रहे थे। मेहता जी ने उनसे पूछा- देश को कोई संदेश- उन्होंने कहा दो संदेश हैं, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, इंकलाब जिंदाबाद।
आप कल्पना कीजिए दिल में कैसा जज्बा, जिद, जूनून होगा। जब उन्हें फांसी के लिए ले जाया गया तो पूरे जेल में सन्नाटा छा गया।
सीएम ने कहा की फांसी के लिए ले जाते वक्त तीनों इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, भगत सिंह बीच में खड़े थे, वो अपनी मां को दिया वचन पूरा करना चाहते थे- वो फांसी के फंदे के समय इंकलाब जिंदाबाद का उद्घोष करेंगे।
हम आज शहीद दिवस पर उन्हें भूल जायें, कि कार्यक्रम का आयोजन भी न हो ऐसा कैसे हो सकता है। तीनों महान क्रांतिकारियों को जब फांसी के फंदे पर चढ़ाया गया उस दिन उन्हें याद जरूर किया जाना चाहिए।
शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू की प्रतिमा एक साथ भोपाल में होनी चाहिए। तीनों क्रांतिकारियों की प्रतिमा भोपाल की पवित्र धरती पर लगाई जाएगी। मनभावन की टेकरी पर प्रतिमा लगाई जाएगी, स्मारक बनाया जाएगा।
पहली से 12वी तक की पाठ्यक्रम में तीनों के बलिदान का पाठ पढ़ाया जाएगा। ताकी आने वाली पीढ़िया. उनके बलिदान से प्रेरणा लेती रहें।
मैं तीनो अमर शहीदों को प्रणाम करता हूं।
जे न शहीद गए तो फिर, यह पंथ कौन अपनाएगा।
तोपों के मुंह से कौन अकड़ अपनी छातियां अड़ाएगा।
चूमेगा फन्दे कौन, गोलियां कौन वक्ष पर खाएगा।
अपने हाथों अपने मस्तक फिर आगे कौन बढ़ाएगा।
संकल्प केवल यही, जो आपके सपने थे भारत माता के लिए उसे पूरा करने हम सर्वस्व समर्पण कर देंगे