नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा अधिकारियों को डराने, धमकाने, अपमानित करने का प्रयास घोर निंदनीय-शोभा ओझा
गोपाल भार्गव इसके पहले भी महिलाओं और आदिवासियों का अपमान कर, अपनी विक्षिप्तता का परिचय दे चुके हैं भार्गव, उनका मानसिक परीक्षण कराये भाजपा
प्रदेश में अब है कमलनाथ की सरकार, अधिकारियों, कर्मचारियों सहित किसी भी वर्ग को डरने की जरूरत नहीं : शोभा ओझा
मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने रतलाम में बयान दिया है कि “अधिकारी वेश्याओं की तरह कपड़े बदलते हैं, कुछ कहा जाता है तो वह साष्टांग लेट जाते हैं, बगैर रीढ़ के, बगैर मूंछ के, सिर्फ पूँछ है, मैं चेतावनी देता हूं कि जब निज़ाम बदलेगा, वक्त बदलेगा, उस दिन अपनी दुर्गति की कल्पना कर लें, नौकरी करने लायक नहीं रह जाएंगे।” इस बयान से, एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि अपने शासनकाल में भाजपा ने अधिकारियों को किस तरह डराया, धमकाया व प्रताड़ित किया, श्री भार्गव शायद यह भूल गए कि प्रदेश में अब कमलनाथ की सरकार है, जो अधिकारियों, कर्मचारियों, किसानों, महिलाओं, दलितों, शोषितों सहित हर वर्ग के नागरिकों को भयमुक्त वातावरण और सुरक्षा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
आज जारी अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को डराने और धमकाने की अपनी निंदनीय कोशिश में श्री भार्गव राजनीतिक व सामाजिक शुचिता और गरिमा की सभी सीमाएं लांघ गए हैं, नेता प्रतिपक्ष के इस अमर्यादित आचरण के पीछे सच्चाई तो यह है कि पिछले 15 सालों तक प्रदेश को लूटने के बाद, जब से सत्ता छिन गई है, भाजपा नेता बौखला गए हैं और वे इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं कि व्यापमं, डंपर, मध्याह्न भोजन, सिंहस्थ, पौधारोपण, अवैध उत्खनन, ई-टेंडरिंग जैसे महाघोटालों का युग समाप्त हो गया है और अब विकास का एक नया दौर प्रारंभ हो चुका है, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान, राकेश सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव जैसे नेता, अपने दल में अपना प्रभुत्व दिखाने के उद्देश्य से, मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ कर, अपने चाल-चरित्र और चेहरे को बार-बार प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री गोपाल भार्गव द्वारा रतलाम में दिया गया उपरोक्त वर्णित बयान भी उसी श्रंखला की अगली कड़ी है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि वैसे भी यह पहला अवसर नहीं है जब गोपाल भार्गव ने ऐसी मर्यादाहीन टिप्पणी की है। इसके पहले भी वह प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के लिए अश्लील, अपमानजनक और निम्नस्तरीय टिप्पणी कर, जहां महिलाओं का घोर अपमान कर चुके हैं, वहीं झाबुआ उपचुनाव में वहां की आदिवासी जनता को पाकिस्तानी बता कर भी उन्होंने अपनी मानसिक विक्षिप्तता का परिचय दे दिया था।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि भाजपा, श्री गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण दायित्व से मुक्त कर, पहले किसी योग्य मनोचिकित्सक से उनका समुचित परीक्षण करवा कर उनका समुचित इलाज करवाए और किसी मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे, जिससे प्रदेश के विकास में भाजपा एक सकारात्मक विपक्ष की प्रभावी भूमिका का निर्वहन कर सके।