यह किताब ओपनिंग बेट्समैन के रूप में अशोक कुमट का यह पहला नॉक है
एमपीपोस्ट, 13 मार्च 2022 ,इंदौर। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक गरिमामय समारोह में वरिष्ठ खेल पत्रकार अशोक कुमट द्वारा हिंदी में लिखी किताब’ नेहरू स्टेडियम से लार्डस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर सिंधिया ने कहा मेरे पिता माधवराव से दीर्घ संबंध रखने वाले कुमट जी की किताब का विमोचन करते हुए में उनकी तारीफ करूंगा कि जो काम हाथ में लेते है उसमें तब तक लगे रहते है जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो। यह किताब को लिखने के बाद वे यह ना माने कि बस अब बहुत होगया। मेरा मानना है ओपनिंग बेट्समैन के रूप में यह पहला नौक है।
आईसीएआई भवन में हुए इस समारोह में क्रिकेट जगत की हस्तियों के साथ ही पत्रकार, साहित्यकार, खेल संगठनों के प्रतिनिधि और शिक्षाविद मौजूद थे। श्री सिंधिया ने कहा कुमट जी का क्रिकेट के साथ ही मेरे पूज्य पिताजी के 30-35 सालों तक साथ रहा है, यह मेरे लिए भावुक पल है। उन्होंने श्रीमती सरोज कुमट को भी मंच पर आमंत्रित करने के साथ कहा इनकी बदौलत ही कुमट को सक्सेलफुल पत्रकार के रूप में पहचान मिली है।
क्रिकेट पर हिंदी में लिखी इस किताब को इंदौर के ही मुद्रक यशराज मार्कट्रेड इंडिया एलएनपी ने प्रकाशित किया है। अपनी पत्रकारिता, क्रिकेट याना और बड़े महाराज (माधवराव) से जुड़े रोचक किस्से सुनाते हुए लेखक अशोक कुमट ने विमोचन के लिए समय देने के लिए ज्योतिरादित्य का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा बड़े महाराज ने ही मुझे खेल-क्रिकेट में आगे बढ़ाया। उन्होंने उस आखरी मुलाकात का जिक्र भी किया जब माधवराव ने उनसे प्लेन में साथ चलने के लिए कहा और पारिवारिक कारणों से वो जान सके मुंबई एयरपोर्ट पर ही उन्हें पुन समय ने जानकारी दी कि महाराज वाला प्लेन फ्रेश हो गया है।
इससे पूर्व वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने कहा हमने साथ में खूब मैच कवर किए हैं। बड़े महाराज माधवराव सिंधिया से कुमट जी ने 1982 में
मिलवाया था। क्रिकेटर संजय जगदाले ने कहा कुमट सर पर दो मिनट तो क्या बोलना में पूरी किताब लिथ सकता हूं। मैंने उनकी कप्तानी में ही खेलना शुरू किया। उनके नियम का अंदाज निराता है। आज की पत्रकारिता में लेखन की वैसी समझ नहीं है।
कमेंटेटर सुधील दोषी ने कहा एक कमेंटेटर को कम बोलने को कहा जाए, यह ताज्जुब है। इनका आज जो भी व्यक्तित्व है तो इसके पीछे सरोज कुमट जी का योगदान है। मंच पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिनावट किताब के प्रकाशक यश भूषण (पिंकी) जैन आदि भी उपस्थित थे।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत कुलभूषण मितन, विपुल पटेल, प्रियश जैन रितेश, विनोद कुमट वैभव, जितेंद्र जैन हेमन्त पात ने किया। उनके पुत्र मलय ने सिधिया को स्मृति चिन्ह भेंट किया। समारोह का संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया। आभार प्रियश जैन ने प्रकट करा