साहित्य और समाज में स्त्री-स्वर
साहित्य हमेशा सत्य उदघाटित करने वाला होना चाहिए: प्रमुख सचिव श्री शाह
‘साहित्य और समाज में स्त्री-स्वर’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित
साहित्य हमेशा सत्य उद्घघाटित करने वाला हो, इस दिशा में महिला साहित्यकारों को मनन करना होगा। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास श्री अशोक शाह ने उक्त विचार रवीन्द्र भवन में आयोजित ‘साहित्य और समाज में स्त्री-स्वर’ कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम में कहानी पाठ, स्त्री-विमर्श और कविता पाठ का आयोजन भी किया गया।
प्रमुख सचिव श्री शाह ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तीन दिवसीय कार्यक्रम पूरे प्रदेश में आयोजित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में आज साहित्य और समाज में ‘स्त्री-स्वर’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि महिला केन्द्रित कहानी या कविता की उपयोगिता कितनी है, उसका साहित्य में कितना स्थान है, यह चिंतन का विषय है। श्री शाह ने कहा कि घटता हुआ शिशु लिंगानुपात हमारे लिये चिंता का विषय है। मैं चाहता हूँ कि इस तरह के चिंतन में साहित्यकार भी आगे आयें।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कहानी पाठ के तहत् विख्यात कहानीकार उर्मिला शिरिष, इंदिरा दांगी, स्वाति तिवारी एवं शरद सिंह सागर ने कहानी पाठ किया। ये कहानियाँ स्त्री व्यथा, परिवार में स्त्रियों की स्थिति और उनके साहस पर केन्द्रित थीं।
स्त्री-विमर्श पर आयोजित अगले सत्र में अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती अनुराधा शंकर सिंह, दैनिक भास्कर की रेसिडेंस एडिटर उपमिता वाजपेयी, एक्शन एड की सारिका सिन्हा एवं आवाज संस्था की रोली शिवहरे शामिल हुईं।
अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती अनुराधा शंकर सिंह ने कहा कि विवाह के मायने स्त्री पुरूष के संदर्भो में अलग-अलग देखे जाते हैं। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध कवयित्री प्रज्ञा रावत, वीणा सिन्हा, पल्लवी त्रिवेदी, श्रुति कुशवाह, आरती एवं रक्षा दुबे द्वारा कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम में संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती स्वाति मीणा नायक एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।