महिलाओं के प्रति सम्मान दर्शाने की नौटंकी कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के
“घड़ियाली आंसू” पूरी तरह से दिखावटी
महिलाओं को अपमानित करने वाले बिसाहूलाल सिंह की उम्मीदवारी निरस्त कर,
क्या उन्हें पार्टी से निकालेंगे शिवराज, जनता जानना चाहती है : शोभा ओझा
@Shobha_Oza
मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव सामने हैं और दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल अपने प्रचार अभियान के चरम पर हैं। दोनों ही दल अपने अभियान में किसी प्रकार की कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहते हैं।
ऐसे माहौल में सर्वाधिक असर प्रदेश की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर पड़ा है, जिस ओर सरकार का ध्यान बिल्कुल नहीं है। विपक्ष द्वारा दिए गए बयानों को अपने लिए मौका समझ कर, सरकार जिस तरह बचकाना हरकतें कर रही है, वह पूरी तरह समझ से परे है, ऐसा करते वक्त सरकार यह भूल जा रही है कि राज्य की सत्ता उसकी है और यहां कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसी की है। यह बड़ा दुखद है कि सरकार उपरोक्त दोनों ही मुद्दों पर शर्मनाक रूप से असफल सिद्ध हुई है। यह बात शोभा ओझाअध्यक्ष, राज्य महिला आयोग मध्यप्रदेश ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर कही ।
श्रीमती ओझा ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक से प्रदेश की सत्ता पर काबिज शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 47000 बलात्कारों के मामलों और एनसीआरबी की रिपोर्टों के अनुसार प्रदेश का महिला अत्याचारों में लगातार नंबर 1 बने रहने के लिए जिम्मेदार शिवराज सिंह को व्यर्थ के प्रपंचों और दिखावों को छोड़कर महिला सुरक्षा को लेकर अब वास्तविक रूप से गंभीर रवैया अपना लेना चाहिए।
श्रीमती ओझा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के बयान और उनको घेरते वक्त सरकार यह भूल गई कि उनकी पार्टी में बिसाहूलाल सिंह जैसे नेता मौजूद हैं, जो विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी की पत्नी को ही “रखैल” जैसे निम्नस्तरीय शब्दों से संबोधित कर रहे हैं, क्या प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उनके खिलाफ भी धरना देने की कोई योजना बना रहे हैं? क्या मुख्यमंत्री उनकी उम्मीदवारी निरस्त कर, उन्हें पार्टी से निकालने का साहस करेंगे? क्या बिसाहूलाल के ऐसे आचरण के लिए मुख्यमंत्री अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी कोई पत्र लिखेंगे? मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए।
श्रीमती ओझा ने कहा कि यह शर्मनाक है कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान के मामले में भाजपा के मापदंड दोहरे रहे हैं, प्रदेश के रीवा, जबलपुर, गुना, इंदौर, खरगोन, भोपाल, गाडरवाड़ा और गुना जैसे अधिकतर जिलों में महिलाओं के साथ हो रहे सामूहिक दुष्कर्मों और उसके बाद उनकी हत्याओं पर बेशर्म खामोशी ओढ़े सरकार, जब विपक्ष के नेताओं पर उंगली उठाती है तो यह पूरी तरह से उसकी निर्लज्जता को दर्शाता है। सच्चाई तो यह है कि प्रदेश में सामूहिक बलात्कारों, महिला अत्याचारों, छेड़छाड़, दहेज प्रताड़ना, मारपीट और घरेलू हिंसा के मामले में प्रदेश सरकार यदि जरा भी संवेदनशील होती तो दुष्कर्मियों, हत्यारों और अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद कभी न होते।
ज्ञात रहे कि महिलाओं के प्रति अपराधों में लिप्त आरोपियों के साथ कई भाजपा नेताओं के संबंध उजागर होते रहे हैं और सरकार उस पर रहस्यमय चुप्पी ओढ़े रहती है। विपक्षी दलों की कई सम्मानित महिला नेताओं के प्रति भी भाजपा नेताओं के बिगड़े बोल देश देख चुका है, लिहाजा भाजपा नेताओं का महिलाओं के सम्मान और उनकी सुरक्षा के प्रति चिंतित होने का दिखावा पूरी तरह से ढकोसला ही कहा जाएगा।
श्रीमती ओझा ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की टिप्पणियों पर तुरंत संवेदनशील बन जाने वाले शिवराज सिंह को बताना चाहिए कि वे अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं की उन टिप्पणियों पर खामोश क्यों हो जाते हैं, जिनमें यहां तक कह दिया जाता है कि “लड़कियां और महिलाएं यदि लक्ष्मण रेखा पार करेंगी तो उन्हें रावण उठा ले जाएगा।” क्या शिवराज सिंह ने कैलाश विजयवर्गीय को यह समझाने का कष्ट किया कि लड़कियों और महिलाओं को धमकाने की बजाय, आज जरूरत उन “रावणों” पर शिकंजा कसने की है, जो प्रदेश की सड़कों पर बेखौफ घूमते हुए सामूहिक दुष्कर्मों और हत्याओं जैसे संगीन अपराधों को बेरहमी से अंजाम दे रहे हैं।
कुलदीप सेंगर, चिन्मयानंद, लक्ष्मीकांत शर्मा, संजय जोशी और राघव जी को बचाने में अपनी पूरी ताकत लगा देने वाली पार्टी के लोग जब महिला सुरक्षा की बातें करते हैं तो जनता आक्रोशित होती है, यह अब भाजपा नेताओं को समझ लेना चाहिए।
यह भी दुखद है कि हाथरस जैसे इतने बड़े हालिया वीभत्स कांड के बाद भी भाजपा नेताओं के साथ मध्यप्रदेश सरकार भी बेशर्म चुप्पी ओढ़े रही, उस दलित बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसकी नृशंस हत्या के बाद, उसके परिवार को अंतिम संस्कार का हक तक न दिए जाने के बावजूद खामोश बनी रही मध्यप्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ दल की निर्लज्जता और बेशर्मी के स्तर को आसानी से समझा जा सकता है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने, बिसाहूलाल सिंह के अमर्यादित और निम्नस्तरीय बयान पर बेशर्म खामोशी अख्तियार कर रखी है, हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के सम्मान के मुद्दे पर, शिवराज सिंह जी अपनी प्रतिक्रिया, अपने राजनीतिक फायदे नुकसान के हिसाब से देते रहे हैं, पूरा प्रदेश देख चुका है कि स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के पिछले कार्यकाल में तत्कालीन मंत्री श्री विजय शाह ने जब मुख्यमंत्री की पत्नी के लिए ही झाबुआ में अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणी की थी, तब मुख्यमंत्री ने, न तो श्री विजय शाह के खिलाफ कोई धरना दिया था और न ही उन्हें पार्टी से निकाला था। आज भी श्री विजय शाह जैसे नेता शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ा रहे हैं, लिहाजा श्री शिवराज सिंह से निवेदन है कि वे प्रदेश की जनता को मूर्ख बनाना छोडे़ं और महिला आयोग को भंग करने के निम्नस्तरीय प्रयासों की बजाय उसे सहयोग करें।
श्रीमती ओझा ने कहा कि कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर बुरी तरह से असफ़ल सिद्ध हो रही शिवराज सरकार, महिला आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के कामों में भी यदि इसी तरह से अड़ंगा डालती रहेगी तो महिला सुरक्षा और नारी सम्मान के मामले में उसकी वास्तविक मंशा और दोहरे चरित्र की पोल खुलती ही चली जाएगी। मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता के सामने स्पष्ट रूप से यह बताना चाहिये कि समय-समय पर महिला आयोग के द्वारा उठाए गए मामलों पर, अब तक उन्होंने निर्णायक कार्यवाही क्यों नहीं की? मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे घड़ियाली आंसू बहाना छोड़ कर, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मामले में अपनी अब तक की घोर विफलताओं, असंवेदनशीलता और निर्लज्ज खामोशी के लिए प्रदेश की जनता से अविलंब माफी मांगें और प्रदेश की जनता को आश्वस्त करें कि प्रदेश में महिला अत्याचारों की बाढ़ को अब सख्ती से रोका जाएगा।