देशराज्‍य

 सुप्रीम कोर्ट का सवाल, ‘हम कैसे तय करें विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं?’किसके पास बहुमत, यह तय करना हमारा काम नहीं

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों के तरफ से तमाम दलीलें दी गईं. एक तरफ कांग्रेस का कहना है कि विधायक स्वत्रंत नहीं हैं, ऐसे में फ्लोर टेस्ट कराना सही नहीं है. जबकि बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने दावा किया कि 22 विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है.

फ्लोर टेस्ट पर बोला सुप्रीम कोर्ट- किसके पास बहुमत, यह तय करना हमारा काम नहीं
मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह तय नहीं कर सकता कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं। यह काम विधायिका का है। समाचार एजेंसी पीटीआआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिए विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है। मध्य प्रदेश के बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट भारतीय जनता पार्टी की उस मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बहुमत परीक्षण की मांग की गई है और कांग्रेस ने इसका विरोध किया है।

मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आर्टिकल 212 सुप्रीम कोर्ट को सदन के भीतर की गई कार्रवाई का संज्ञान लेने से रोकता है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं, यह तय करने का काम विधायिका का है और हम इसमें दखल नहीं दे रहे हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा तक निर्बाध पहुंच और अपनी पसंद स्वतंत्र रूप से जाहिर करना सुनिश्चित करने के तौर तरीकों पर वकीलों से सहायता करने को कहा। साथ ही कहा कि उसे सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद को जाहिर करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल उसे पता है कि 16 बागी विधायक मध्य प्रदेश में पलड़ा किसी भी ओर झुका सकते हैं। 16 बागी विधायक या तो सीधा सदन के पटल पर जा सकते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें बंधक नहीं बनाया जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है और बहुमत साबित करने की मांग कर रही है। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि बेंगलुरु में उसके विधायकों को बलपूर्वक बंधक बनाकर रखा गया है और बीजेपी लोकतांत्रित सिद्धांतों को नष्ट कर रही है।

मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने 22 में से 6 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया है, जिसकी सिफारिश मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी। साथ ही कांग्रेस ने मांग की है कि फ्लोर टेस्ट से पहले बाकी बचे विधायकों को बेंगलुरु से वापस लाया जाए।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button