प्राकृतिक खेती धरती, पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने का अभियान
केमिस्ट्री लेब से प्रकृति लेब में ले जाने वाली है प्राकृतिक खेती
प्राकृतिक खेती से पैदा हुई सामग्री की है संपूर्ण विश्व में माँग
प्राकृतिक खेती से उपजी फल, सब्जी और अनाज में भरपूर होती है स्वाद-पौष्टिकता
किसान को भी मिलते हैं अच्छे दाम
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्राकृतिक खेती पर हुई कृषक संगोष्ठी को किया संबोधित
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्राकृतिक खेती धरती, पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने का अभियान है। यह केमिस्ट्री लेब से निकलकर प्रकृति लेब में ले जाने वाली खेती है। प्राकृतिक खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली केमिकल रहित खेती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के अत्यधिक उपयोग से धरती का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है। किसानों के केंचुए जैसे उपयोगी कीट मित्र समाप्त होते जा रहे हैं। धरती की उर्वरा शक्ति क्षीण हो गई है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले गेहूँ, धान, अनाज, फल, सब्जी आदि मनुष्यों में गंभीर रोग विकसित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन के लिए शुरू किए गए अभियान के लिए हम सब उनके आभारी हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान प्राकृतिक खेती पर सीहोर जिले के नसरूल्लागंज में हुई कृषक संगोष्ठी को निवास कार्यालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव कृषि तथा किसान-कल्याण श्री अजीत केसरी भी उपस्थित थे। नसरूल्लागंज कार्यक्रम में गुजरात के नीलकंठ धाम पोइचा के श्री केवल स्वरूप स्वामी जी विशेष रूप से उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 17 जिलों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषक संगोष्ठियाँ की जा रही हैं। प्रदेश के सभी जिलों में प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए कार्यक्रम किए गए हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा की फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है। कैंसर जैसी बीमारियों के होने का एक बड़ा कारण हानिकारक रसायनों का शरीर में प्रवेश करना है। रसायन और कीटनाशक के बढ़ते उपयोग से जल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। आने वाली पीढ़ी को बेहतर धरती और पर्यावरण सौंपना हमारी जिम्मेदारी है। यह प्राकृतिक खेती से ही संभव होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी इस दिशा में विशेष रूप से सक्रिय हैं। प्राकृतिक खेती से उत्पादन भी नहीं घटता है। जीवामृत, घन जीवामृत दोषरहित हैं, इनके उपयोग से गेहूँ, धान, अनाज, फल, सब्जी की पौष्टिकता और स्वाद बढ़ता हैं। प्राकृतिक खेती से पैदा हुई सामग्री की सम्पूर्ण विश्व में बहुत अधिक माँग है, परिणामस्वरूप इससे उत्पादित फल, सब्जी, अनाज आदि से किसान को अच्छा मूल्य प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती जीरो बजट की खेती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग नहीं होने से प्राकृतिक खेती में लागत कम और आय अधिक हैं। इस खेती में किसी भी कृत्रिम तत्व का उपयोग नहीं होता। परिणामस्वरूप मिट्टी का संतुलन ठीक रहता है और मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है। अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होने से बिजली का उपयोग भी कम होता है। प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर और गौ-मूत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसानों को गाय की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार प्रतिमाह 900 रूपए उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी किसानों से अपने खेत के एक भाग में प्राकृतिक खेती अपनाने का आहवान किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे स्वयं इस खरीफ फसल से पाँच एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती से फसल लेना आरंभ करेंगे। नसरूल्लागंज में हुए कार्यक्रम में वरिष्ठ जन-प्रतिनिधि श्री गुरूप्रसाद शर्मा, श्री रवि मालवीय तथा गांधी नगर अहमदाबाद से आए उप संचालक कृषि श्री पी.बी. खिस्तारिया उपस्थित थे।