प्रोफेसर पुष्पेन्द्र पाल सिंह संप्रेषण और संचार के सिद्ध हस्त प्रयोक्ता थे,इंसानियत की संस्था के उम्दा उस्ताद भी थे

सप्रे संग्रहालय में आदरांजलि-सभा हुई

 

 

प्रोफेसर पुष्पेन्द्र पाल सिंह श्रेष्ठ संप्रेषक और संचारक थे। संचार-संप्रेषण की अद्भुत कला का विद्यार्थियों को पढ़ाने में कुशलता से प्रयोग करते थे। कक्षा से ज्यादा व्यावहारिक जीवन की पाठशाला में विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करने में रुचि लेते थे। इसीलिए उनके विद्यार्थी जिन मीडिया संस्थानों में गए उन्होंने ऊँचा मुकाम हासिल किया। सौंपे गए दायित्व का उत्कृष्टता के साथ निर्वाह करना उनकी विषेषता थी। इन भावभीने विचारों के साथ सप्रे संग्रहालय में शनिवार को लोकप्रिय मीडिया शिक्षक ‘पी.पी. सर’ को याद किया गया। अभी छह मार्च को 53 वर्ष की अल्पायु में उनका देहावसान हुआ है। मूर्धन्य साहित्यकार डा. कृष्ण बिहारी मिश्र को भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आरंभ में सप्रे संग्रहालय के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने दोनों दिवंगत विभूतियों के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय दिया। पद्मश्री से सम्मानित डा. कृष्ण बिहारी मिश्र मूर्धन्य ललित निबंधकार, ‘कल्पतरु की उत्सव लीला’- रामकृष्ण परमहंस की जीवनी के रचयिता तथा हिन्दी पत्रकारिता के गहन अध्येता थे।

डा. श्रीकांत सिंह ने कहा कि सामान्य लोगों की सोच जहाँ समाप्त होती है, पुष्पेन्द्रपाल सिंह की सोच वहाँ से आरंभ होती थी। जिस प्रकार पेड़ अपने फल नहीं खाते, नदियाँ अपना जल नहीं पीती, ऐसा ही जीवन उन्होंने जिया। वे विद्यार्थियों के लिए सदैव उपलब्ध रहते थे। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने कहा कि सबको साथ लेकर चलना, सबको प्रसन्न रखना, 18-18 घण्टे काम करना, यह विलक्षण गुण उनमें था। भारतीय स्टेट बैंक संस्थान के निदेशक संजीव सिंह ने कहा कि उनकी सोच परिणाम-मूलक थी। उनमें सबको सम्मान दिलाने की भावना थी। रंग-निदेशक और सुप्रसिद्ध कलाकार राजीव वर्मा ने प्रो. पुष्पेन्द्रपाल सिंह को विरल आत्मीयता वाला जिन्दादिल और खुशमिजाज इंसान बताया।

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि हीरों को पहचानने और तराशने की अद्भुत प्रतिमा उनमें थी। प्रो. माधवी दुबे का मानना था कि काम करने के साथ-साथ कराने का प्रबंधकीय कौशल उनमें था। प्रो. पुष्पेन्द्रपाल सिंह की विद्यार्थी और अब मीडिया शिक्षक डा. वन्या चतुर्वेदी ने बताया कि कारपोरेट कम्युनिकेशन का पाठ्यक्रम तैयार कराने में उनका मार्गदर्शन और सहयोग रहा।

एम.पी. पोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने कहा कि परस्पर विरोधी राजनीतिक पक्षों में भी उन्हें समान सम्मान और भरोसा मिलता था। प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह ( सर ) का देश ही नहीं दुनिया के अनेक हिस्सों में उनका व्यापक संपर्क रहा हो जो जाति, वर्ग, धर्म, संप्रदाय,राजनैतिक दलों की विचारधारा से इतर होकर इंसानियत का इल्म जीवन-पर्यन्त निर्बद्धरूप से बांटेते रहे। वे लोकप्रिय मीडिया शिक्षक, संचार विशेषज्ञ और हर दिल अजीज,इंसानियत की क्लास के बेहतरीन गुरु थे। वे समाज से संचालित होते थे। और समाज के लिए जिए।

 

श्री अशोक मनवानी ने कहा कि वे ऐसे लोगों में से थे, जिनके कारण हमारे आसपास की दुनिया खूबसूरत होती है। वरिष्ठ पत्रकार सतीष एलिया ने उनकी रिस्ता बनाने और निभाने की पारिवारिकता का स्मरण किया।

श्री कमलेश पारे ने कहा कि प्रो. पुष्पेन्द्रपाल सिंह के साथ जितने अनुभव लोगों के हैं, उनके उतने ही रूप सामने आते हैं। संस्मरणांजलियों के बाद उपस्थित जनों ने डा. कृष्णबिहारी मिश्र और प्रो. पुष्पेन्द्रपाल सिंह के चित्रों पर पुष्प अर्पित किए। दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी गई।

माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान भोपाल में किसी के पुष्पेन्द्र, किसी के पी पी सर, किसी के सर, किसी के बाबा को शनिवार 11 मार्च 2023 को माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान भोपाल के सभागार में याद कर उनके प्रति सच्ची आदरांजलि देने के लिए अनेक लोग उपस्थित थे।

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