प्रधानमंत्री श्री मोदी के किसान हितैषी निर्णय अभिनंदनीय, ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में होगा सुधार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय मंत्रीमंडल का आभार माना
- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय केबिनेट द्वारा आज लिए गए कल्याणकारी फैसलों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी सर्व-कल्याण के उद्देश्य से निरंतर महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ये निर्णय अभिनंदनीय हैं। किसानों सहित राष्ट्र की बड़ी आबादी इससे लाभान्वित होगी।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय केबिनेट द्वारा आज लिए गए कल्याणकारी फैसलों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी सर्व-कल्याण के उद्देश्य से निरंतर महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ये निर्णय अभिनंदनीय हैं। किसानों सहित राष्ट्र की बड़ी आबादी इससे लाभान्वित होगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश के किसानों को राहत देते हुए तीन लाख रूपए तक के लघु अवधि के कृषि ऋण पर 1.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज में छूट को मंजूरी तथा कर्ज देने वाली संस्थाओं को डेढ़ प्रतिशत ब्याज सहायता देने का फैसला महत्वपूर्ण है। इस निर्णय के क्रियान्वयन के लिए 34 हजार 856 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बजटीय प्रावधान भी किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन निर्णयों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय केबिनेट का हार्दिक आभार और अभिनंदन किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में भी किसान सम्मान निधि में किसानों को लाभान्वित करने की महत्वपूर्ण पहल की गई। मध्यप्रदेश के किसानों को इस निधि में बढ़ी हुई राशि के साथ व्यापक लाभ प्राप्त हुआ।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केंद्रीय केबिनेट के निर्णय से स्थानीय एवं सहकारी बैंकों की हालत सुधरेगी। ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में भी तेजी आएगी। किसानों को अपनी व्यावहारिक आवश्यकता पूर्ण करने के लिए और अधिक धन उपलब्ध हो सकेगा। यह निर्णय कृषि क्षेत्र में नवीन रोजगार उत्पन्न कर धरती पुत्रों की जिंदगी बदलने का काम करेगा।
ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लायब्रेरी डेटाबेस के एक्सेस को मंजूरी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार केबिनेट ने आम उपयोगकर्ताओं के लिए भी टीकेडीएल (ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लायब्रेरी) के डेटाबेस के एक्सेस को मंजूरी दी है। इससे भारत के आम उपयोगकर्ताओं तक डेटाबेस की पहुँच आसानी से हो जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस डेटाबेस को खोलना एक महत्वाकांक्षी और भविष्य की दृष्टि से उपयोगी निर्णय है। इससे रचनात्मक और मेधावी लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। इससे ऐसी प्रतिभाओं द्वारा एक प्रौद्योगिकी संपन्न समाज के लिए बेहतर, सुरक्षित और अधिक प्रभावी समाधान विकसित किया जा सकेगा।
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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्ताओं के लिए भी पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) के डेटाबेस तक पहुंच का विस्तार करने की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “पेटेंट कार्यालयों के अलावा, उपयोगकर्ताओं के लिए भी पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) डेटाबेस तक पहुंच का विस्तार करने की मंजूरी दे दी है। उपयोगकर्ताओं के लिए टीकेडीएल डेटाबेस को खोलना भारत सरकार का महत्वाकांक्षी और भविष्य-उन्मुख निर्णय है। यह भारतीय पारंपरिक ज्ञान के लिए एक नयी सुबह है, क्योंकि टीकेडीएल; विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान व विकास तथा नवाचार को बढ़ावा देगा। टीकेडीएल को सुलभ बनाने की परिकल्पना; नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से विचारों को जानने-समझने और ज्ञान नेतृत्व को विकसित करने को ध्यान में रखते हुए की गई है।
भारतीय पारंपरिक ज्ञान (टीके) में राष्ट्रीय और वैश्विक जरूरतों को पूरा करने की अपार क्षमता है, जिससे सामाजिक लाभ के साथ-साथ आर्थिक विकास भी होगा। उदाहरण के लिए, हमारे देश की चिकित्सा और स्वास्थ्य की पारंपरिक प्रणाली, यानी आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और योग आज भी देश-विदेश के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। हाल में कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारतीय पारंपरिक दवाओं का व्यापक उपयोग देखा जा रहा है, जिनके लाभों में प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने से लेकर लक्षणों के अनुरूप राहत देना तथा वायरस के प्रकोप को कम करना शामिल हैं। इस साल की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अप्रैल में भारत में अपना पहला विदेश स्थित ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) स्थापित किया। यह केंद्र दुनिया की वर्तमान और उभरती जरूरतों को पूरा करने में पारंपरिक ज्ञान की निरंतर प्रासंगिकता को प्रदर्शित करता है।
पेटेंट कार्यालयों के अलावा डेटाबेस तक पहुंच का विस्तार करने की कैबिनेट की मंजूरी नवाचार और व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मौजूदा तौर-तरीकों के साथ पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत और सह-चयन करने पर जोर देती है। टीकेडीएल; ज्ञान और तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए पारंपरिक ज्ञान संबंधी सूचना के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करेगा। टीकेडीएल का वर्तमान कंटेंट, भारतीय पारंपरिक दवाओं को व्यापक रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगा, साथ ही नए निर्माताओं और नवोन्मेषकों को हमारी मूल्यवान ज्ञान विरासत के आधार पर लाभप्रद उद्यमों का निर्माण करने के लिए प्रेरित करेगा।
टीकेडीएल बड़े पैमाने पर उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा कर सकता है, जिसमें शामिल होंगे – व्यवसाय/कंपनियां {हर्बल हेल्थकेयर (आयुष, फार्मा, फाइटोफार्मा (पादप-औषधि) और न्यूट्रास्यूटिकल्स (पौष्टिक-औषधीय), व्यक्तिगत देखभाल, और अन्य एफएमसीजी}, शोध संस्थान: सार्वजनिक और निजी; शैक्षणिक संस्थान: शिक्षक और छात्र; और अन्य: आईएसएम कर्मी, ज्ञान धारक, पेटेंट प्राप्तकर्ता और उनके कानूनी प्रतिनिधि, और सरकार, कई अन्य आदि। टीकेडीएल डेटाबेस तक पहुंच की सुविधा एक सशुल्क सदस्यता मॉडल के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं को दी जाएगी। डेटाबेस को विभिन्न चरणों में खोला जायेगा।
भविष्य में, अन्य क्षेत्रों से भारतीय पारंपरिक ज्ञान पर अधिक जानकारी टीकेडीएल डेटाबेस में जोड़ी जाएगी तथा इसके लिए “3पी – सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन” का दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। भारतीय पारंपरिक ज्ञान पर गलत पेटेंट की मंजूरी को रोकने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी को पूरा करते हुए, टीकेडीएल डेटाबेस रचनात्मक व मेधावी लोगों को भी प्रेरित करेगा, ताकि वे एक स्वस्थ और प्रौद्योगिकी संपन्न समाज के लिए बेहतर, सुरक्षित और अधिक प्रभावी समाधान विकसित कर सकें। भारत की समृद्ध विरासत, नए सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत आधारशिला रखेगी।
टीकेडीएल के बारे में: पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) 2001 में स्थापित भारतीय पारंपरिक ज्ञान का एक प्राथमिक डेटाबेस है। इसे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और भारतीय चिकित्सा प्रणाली व होम्योपैथी विभाग (आईएसएम एंड एच, अब आयुष मंत्रालय) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था। टीकेडीएल विश्व स्तर पर अपनी तरह का पहला संस्थान है और यह अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है। टीकेडीएल में वर्तमान में आईएसएम से संबंधित मौजूदा साहित्य जैसे आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और योग शामिल है। जानकारी व ज्ञान को पांच अंतरराष्ट्रीय भाषाओं – अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी और स्पेनिश- में डिजिटल प्रारूप में प्रस्तुत किया गया है। टीकेडीएल दुनिया भर में पेटेंट कार्यालयों को पेटेंट परीक्षकों द्वारा समझने योग्य भाषाओं और प्रारूप में जानकारी प्रदान करता है, ताकि पेटेंट को गलत तरीके से प्राप्त करना संभव न रहे। अब तक, संपूर्ण टीकेडीएल डेटाबेस तक पहुंच की सुविधा दुनिया भर के 14 पेटेंट कार्यालयों को सिर्फ खोज और परीक्षण करने के उद्देश्य से दी गयी है। टीकेडीएल के माध्यम से यह रक्षात्मक संरक्षण, भारतीय पारंपरिक ज्ञान को दुरूपयोग से बचाने में प्रभावी रहा है और इसे एक वैश्विक बेंचमार्क माना जाता है।
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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण पर 1.5 प्रतिशत सालाना ब्याज अनुदान को मंजूरी दी
इस योजना के तहत 2022-23 से 2024-25 तक की अवधि के लिए 34,856 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजटीय प्रावधान
यह निर्णय कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करेगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए लघु अवधि के कृषि ऋणों पर ब्याज अनुदान को बहाल कर 1.5 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। इस प्रकार 1.5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उधार देने वाले संस्थानों (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और वाणिज्यिक बैंकों से सीधे तौर पर जुड़े कम्प्यूटरीकृत पीएसीएस) को किसानों को वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक 3 लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण देने के लिए प्रदान किया गया है।
इस योजना के अंतर्गत ब्याज अनुदान सहायता में बढ़ोतरी के लिए 2022-23 से 2024-25 की अवधि में 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधान की आवश्यकता होगी।
लाभः
ब्याज अनुदान में वृद्धि से कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित होने के साथ ऋण देने वाले संस्थानों विशेष रूप से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक एवं सहकारी बैंक की वित्तीय स्थिति और व्यवहार्यता सुनिश्चित होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पर्याप्त कृषि ऋण सुनिश्चित होगा।
बैंक फंड की लागत में वृद्धि को समाहित करने में सक्षम होंगे और किसानों को उनकी कृषि आवश्यकताओं के लिए ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तथा अधिक से अधिक किसानों को कृषि ऋण का लाभ दे सकेंगे। इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी, क्योंकि लघु अवधि के कृषि ऋण पशुपालन, डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन सहित सभी कार्यों के लिए प्रदान किए जाते हैं।
किसान समय पर ऋण चुकाते समय 4 प्रतिशत सालाना की ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण लेते रहेंगे।
पृष्ठभूमि:
किसानों को सस्ती दर पर बिना किसी बाधा के ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। तदनुसार, किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई थी, ताकि उन्हें किसी भी समय ऋण पर कृषि उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए सशक्त बनाया जा सके। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसान बैंक को न्यूनतम ब्याज दर का भुगतान कर सकते हैं, भारत सरकार ने ब्याज अनुदान योजना (आईएसएस) शुरू की, जिसका नाम बदलकर अब संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) कर दिया गया है, ताकि कम ब्याज दरों पर किसानों को लघु अवधि के ऋण प्रदान किए जा सकें।
इस योजना के तहत कृषि और अन्य संबद्ध गतिविधियों- पशुपालन, डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि में लगे किसानों के लिए 7 प्रतिशत की सालाना दर से 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण उपलब्ध है। शीघ्र और समय पर ऋण की अदायगी के लिए किसानों को अतिरिक्त 3 प्रतिशत अनुदान (शीघ्र अदायगी प्रोत्साहन-पीआरआई) भी दिया जाता है। अतः यदि कोई किसान अपना ऋण समय पर चुकाता है, उसे 4 प्रतिशत सालाना की दर से ऋण मिलता है। किसानों को यह सुविधा देने के लिए भारत सरकार इस योजना की पेशकश करते हुए वित्तीय संस्थानों को ब्याज अनुदान (आईएस) प्रदान करती है। यह सहायता केंद्र द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित है। यह बजट व्यय और लाभान्वितों को शामिल करने के अनुसार डीए और एफडब्ल्यू की दूसरी सबसे बड़ी योजना भी है।
हाल ही में, आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत, 2.5 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले किसानों को 3.13 करोड़ से अधिक नये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किये गये हैं। पीएम-किसान योजना के तहत नामांकित किसानों के लिए संतृप्ति अभियान जैसी विशेष पहल ने भी प्रक्रिया और दस्तावेज को सरल बनाया है।
वित्तीय संस्थानों विशेषकर सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए ब्याज दर और ऋण दरों में विशेष वृद्धि की, बदलते आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इन वित्तीय संस्थानों को प्रदान की गई ब्याज दर अनुदान की समीक्षा की है। उम्मीद की जा रही है कि इससे किसान के लिए कृषि क्षेत्र में पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा, साथ ही ऋण देने वाले संस्थानों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार सुनिश्चित होगा।
इस चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए लघु अवधि के कृषि ऋणों पर ब्याज अनुदान को 1.5 प्रतिशत तक सक्रिय रूप से बहाल करने का निर्णय लिया है।