“आत्म-निर्भर नारी शक्ति से संवाद” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु और मणिपुर की स्व-सहायता समूहों से जुड़ी आत्म-निर्भर महिलाओं से चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी 12 अगस्त को दोपहर 12.30 बजे अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विकास खण्ड के ग्राम सोनियामार के कृष्णा समूह की सदस्य मास्टर कृषि सखी (सीआरपी) सुश्री चंपा सिंह से वर्चुअल संवाद करेंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जायेगा।
प्रदेश के दूरस्थ अंचल में स्थित आदिवासी बहुल अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखण्ड के ग्राम सोनियामार के कृष्णा समूह की सदस्य मास्टर कृषि सखी सुश्री चंपा सिंह विभिन्न राज्यों में जाकर कृषि सखी के रूप में अपनी उल्लेखनीय सेवाएँ देते हुए कृषकों का सहयोग कर चुकी हैं। समूह से जुडकर वे स्वयं आत्म-निर्भर हुई हैं। साथ ही उन्होंने अपने गाँव, जिला और प्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों में भी आजीविका सुदृढ़ीकरण के लिये उन्नत कृषि तकनीक, जैविक पद्धति को अपनाने के लिये समूह सदस्यों और कृषकों को जागरूक किया है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन श्री एल.एम. बेलवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में स्व-सहायता समूहों का गठन कर ग्रामीण निर्धन परिवारों को संगठित करते हुए उनके आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण के लिये काम किया जा रहा है। समूह सदस्यों को समूहों, ग्राम संगठनों, संकुल स्तरीय संघों के माध्यम से तथा बैंक ऋण के रूप में सस्ती ब्याज दरों पर आसान प्रक्रिया से वित्तीय सहायता की जाती है, जिससे उन्हें बिना कठिनाई के आजीविका गतिविधियाँ शुरू अथवा सुदृढ़ करने का अवसर मिल सके।
मध्यप्रदेश में ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा अभी तक सभी जिलों में लगभग 44 हजार 800 ग्रामों में प्रवेश किया जा चुका है। मिशन के माध्यम से अब तक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत लगभग 37 लाख 73 हजार जरूरतमंद निर्धन परिवारों को लगभग 3 लाख 31 हजार स्व-सहायता समूहों से जोड़ लिया गया है। लगभग 31 हजार ग्राम संगठनों एवं लगभग 1 हजार संकुल स्तरीय संगठनों का गठन किया जा चुका है।
कृषि एवं पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से लगभग 12 लाख 54 हजार परिवारों को जोड़ा गया है। मिशन अंतर्गत 67 उत्पादक कम्पनियाँ गठित की गई हैं। इनमें से 61 कृषि आधारित कंपनी सहित दुग्ध उत्पादक, मुर्गी पालन और लघु वनोपज उत्पादक कंपनी हैं।
इसी प्रकार गैर कृषि आधारित सूक्ष्म उद्यम आजीविका गतिविधियों से लगभग पौने 5 लाख परिवारों को जोड़ा गया है। इनमें से लगभग 61 हजार समूह सदस्य महिलाएँ सिलाई कार्य में संलग्न हैं। सेनेटरी नेपकिन निर्माण एवं री-पेकेजिंग कार्य से लगभग 12 हजार अगरबत्ती निर्माण से लगभग 15 हजार, वॉश उत्पाद निर्माण से लगभग 14 हजार और हथकरघा से लगभग 12 हजार महिलाओं को जोड़ा गया है।
ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश परिवारों की आजीविका कृषि पर आधारित है। इसी क्रम में मिशन द्वारा प्रदेश में लगभग 6 हजार सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति (सीआरपी) कृषि चिन्हित की गई हैं। इनमें से कुछ सीआरपी ने उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में उन्नत तकनीक, कम लागत में बेहतर कृषि तथा जैविक खाद तैयार किए जाने के लिये समूह सदस्यों को मार्गदर्शन दिया जिससे उन्होंने मानदेय के रूप में अतिरिक्त आय अर्जित की। मध्यदप्रदेश की कृषि सखियों की माँग इन राज्यों में लगातार बनी हुई है।
कार्यक्रम में विभिन्न जिला मुख्यालयों पर एनआईसी केन्द्रों में तथा जनपद एवं ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। प्रदेशवासी कार्यक्रम का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण देख सकते हैं। आजीविका मिशन के समूह सदस्य ग्राम संगठन कार्यालयों, संकुल स्तरीय कार्यालयों तथा सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्रों में भी कार्यक्रम का प्रसारण देख सकेंगे।