भारत और इजराइल के प्रधानमंत्री का किसानों को टेक्नोलॉजी के जरिये सशक्त बनाने की दिशा में अभिनव कदम सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस किसानों को दे रहा सलाह, मध्यप्रदेश में भी बनेंगे सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
भारत और इजराइल के प्रधानमंत्री का किसानों को टेक्नोलॉजी के जरिये सशक्त बनाने की दिशा में अभिनव कदम
सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस किसानों को दे रहा सलाह, मध्यप्रदेश में भी बनेंगे सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
किसानों की आय बढाने के लिये इजराइल के सहयोग से गुजराज के कच्छ जिले में बागवानी क्षेत्र में विकसित हो रहे उत्कष्टता केन्द्र अब मध्यप्रदेश में भी बनाने पर विचार किया जा रहा है।
एमपीपोस्ट को अधिकृत रूप से मिली जानकारी के अनुसार किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने एवं उनकी आमदानी दुगनी करने के लिए कच्छ में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वीडियो लिंक के जरिए जिले के कुकामा स्थित खजूर उत्कृष्टता केन्द्र संयुक्त रूप से डिजिटल रूप से दो साल पहले किसानों को समर्पित किया था ।
भारत-इजरायल कृषि परियोजना के तहत बागवानी विभाग, गुजरात राज्य ने खजूर के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की है। केंद्र कच्छ जिले के भुज शहर से 12 किमी दूर स्थित है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य खजूर की खेती के इज़राइल प्रोटोकॉल के अनुसार किसानों को प्रशिक्षित करना है। केंद्र 4 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित किया गया है जिसमें से 2.25 हेक्टेयर भूमि का उपयोग खजूर की फसल के प्रदर्शन के लिए किया जा रहा है। इसमें 9*9 मीटर की दूरी पर 3.5 वर्ष पुराने 262 टिश्यू कल्चर्ड खजूर के पौधे हैं। इनमें से 17 पौधे एडीपी -1 (लाल फल) किस्म के हैं और 245 पौधे बरही (पीले फल) किस्म के हैं। सभी पौधों को ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्चिंग प्रदान की जाती है जिसके परिणाम स्वरूप खरपतवार वृद्धि और पानी के वाष्पीकरण को रोककर पानी और पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग होता है। यह 100 प्रतिशत ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक वाले खजूर का भारत का एकमात्र फार्म कहा सकता है।
श्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार इजराइल ने पूरी दुनिया को वह मार्ग दिखाया है कि आखिरकार कृषि क्षेत्र की प्रधानता वाले किसी देश में आमूलचूल बदलाव कैसे लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री का मानना है कि कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह बात भी रेखांकित करते हुए बताया कि भारत वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में किस तरह से अभिनव कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि सिंचाई के साथ-साथ खेती-बाड़ी के अभिनव तौर-तरीकों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
इसी पहल से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश में भी उदयानिकी फलसों के लिये प्रौद्योगिकी के सहयोग से उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है।
केंद्र में अच्छी तरह से सुसज्जित प्रशिक्षण हॉल, कोल्ड स्टोरेज के साथ पैक हाउस, पराग भंडारण सुविधा @ – 21oC, पराग परीक्षण प्रयोगशाला, सकर से उगाए गए पौधों को सख्त करने के लिए नेट-हाउस जैसी सुविधाएं हैं। अभी तक पूरे गुजरात में 3000 से अधिक किसानों को यहां प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण में नर्सरी प्रबंधन, सिंचाई, फर्टिगेशन, परागण, गुच्छों की देखभाल, कटाई और कटाई के बाद से निपटने जैसे पहलू शामिल हैं। केंद्र में मौसम केंद्र भी है जहां से पानी के दैनिक वाष्पीकरण को मापा जा रहा है और तदनुसार इस केंद्र द्वारा प्रबंधित खजूर किसान के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से खजूर किसान के बीच दैनिक सिंचाई सलाह प्रसारित की जा रही है। वर्तमान महामारी की स्थिति के दौरान केंद्र और किसानों के बीच दोतरफा बातचीत के लिए यह व्हाट्सएप ग्रुप मुख्य उपकरण है।जून महीने के दौरान 5.5 मीट्रिक टन फलों की पहली फसल काटी गई है।
खजूर के ऊतक संवर्धित पौधों की कीमत लगभग रु. 3750 / पौधा। 1 हेक्टेयर वृक्षारोपण के लिए 125 पौधों की आवश्यकता होती है जिसके परिणाम स्वरूप रु। 5 लाख का प्रारंभिक निवेश है इसलिए, किसानों को खजूर की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बागवानी विभाग, गुजरात वित्तीय सहायता प्रदान करता है।