मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि पेसा एक्ट का भाव संसाधनों के मूल स्वामी के अधिकारों का संरक्षण करना है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की है कि एक्ट के प्रावधानों में इसी भावना के अनुरूप व्यवस्थाएँ की जायें।
राज्यपाल श्री पटेल पेसा एक्ट के प्रावधानों पर जनजातीय प्रकोष्ठ राजभवन और संबंधित छ: विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों साथ चर्चा कर रहे थे। बैठक दो सत्रों में हुई। प्रथम सत्र में वन, अनुसूचित जाति कल्याण और जनजातीय कार्य विभाग, दूसरे सत्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा और महिला-बाल विकास विभाग से संबंधित प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया गया।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जनजातीय समाज वनों का संरक्षक है। अधिकांशतः जहाँ जनजातीय आबादी है, वही वन सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि जनजाति बहुल विकास खंड में सभी विभागों की गतिविधियों में जनजाति हितों के संरक्षण की समुचित व्यवस्थाएँ की जानी चाहिए। राज्यपाल श्री पटेल के समक्ष संबंधित विभाग द्वारा पेसा एक्ट संबंधी प्रावधानों पर प्रस्तुतिकरण दिया गया।
प्रथम सत्र में वन मंत्री श्री कुंवर विजय शाह, जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री दीपक खांडेकर, प्रमुख सचिव वन श्री अशोक बर्णवाल, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री डी.पी. आहूजा, प्रभारी प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग श्रीमती दीपाली रस्तोगी, प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री पुष्कर सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास श्री चितरंजन त्यागी द्वितीय सत्र में अपर मुख्य सचिव महिला एवं बाल विकास श्री अशोक शाह, सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. सुदाम खाड़े, आयुक्त लोक शिक्षण श्री अभय वर्मा, संचालक महिला एवं बाल विकास डॉ. रामाराव भोसले, संचालक शिक्षा श्री ए.के. द्विवेदी एवं अन्य उपस्थित थे।