महत्वपूर्ण आलेख

नया भारत रचने में भूमिका निभाएं युवा ब्यूरोक्रेट्स – प्रवीण कक्कड़

भारत की प्रतिष्ठापूर्ण परीक्षा यूपीएससी का हाल ही में परिणाम आया है। यूपीएससी के रिजल्ट की इन दिनों काफी चर्चा है। बिहार के एक नौजवान ने सबसे कठिन इम्तिहान को टॉप किया है तो भोपाल की बेटी दूसरे नंबर पर रही है। हम अखबारों में देख रहे हैं कि किसने कितनी मेहनत करके यह मुकाम हासिल किया है। भारत की सिविल सर्विस, पुलिस सर्विस और दूसरी प्रतिष्ठित सेवाओं में यही नौजवान जाएंगे और देश की नीति बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

जाहिर है कि उन्हें पद मिलेगा संपन्नता और सम्मान भी मिलेगा, लेकिन यह चीजें तो और लोगों को भी मिलती हैं। इन चीजों के लिए लोक किसी का सम्मान नहीं करता। सम्मान इस बात के लिए किया जाता है कि आप अपने काम से ऐसी क्या छाप छोड़ते हैं, जिससे समाज का भला हो और समाज नई दिशा में आगे बढ़े।
नौजवान अफसरों को निश्चित तौर पर यह पता होगा कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य, उसकी बहुलतावादी संस्कृति, उसका प्राचीन इतिहास और हजारों साल में विकसित हुई सर्वधर्म समभाव की संस्कृति भारतीयता का मूल तत्व है। किसी भी निर्दोष को जाने अनजाने किसी तरह की तकलीफ ना हो, यह भारत की कानून व्यवस्था का मूल तत्व है। देश के अंतिम आदमी यानी समाज की सबसे वंचित व्यक्ति तक विकास और तरक्की का रास्ता पहुंचाना ही भारतीय लोकतंत्र का प्रथम उद्देश्य है जो उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सीखा है।
नए नौकरशाहों को इन बातों का ध्यान इसलिए भी रखना चाहिए क्योंकि ब्यूरोक्रेसी और सरकारी कर्मचारी भारत में सरकार चलाने का स्थाई माध्यम है। राजनीतिक नेतृत्व में चलने वाली सरकार हर 5 साल में बदलती है लेकिन उसका सातत्य इस अफसरशाही में ही निहित है। अफसरशाही को असल में भीष्म पितामह की परंपरा पर चलना चाहिए। अर्थात राजा भले ही बदलता जाए लेकिन अफसरशाही राज्य के प्रति उत्तरदायी हो न कि व्यक्ति के प्रति। जो भी व्यक्ति राज्य के शासन की बागडोर संभालेगा, अफसरशाही उसके साथ मिलकर राज्य की तरक्की और उन्नति के लिए कार्य करेगी।
यह कुछ बहुत बुनियादी बातें हैं जो इन खुशी के पलों में नौजवान अफसरों को याद रखनी चाहिए। अभी तो आप सब का चयन हुआ है। ट्रेनिंग होगी, प्रोबेशन होगा और उसके बाद आप पूरी जिम्मेदारी से पदभार संभालेंगे। समाज और भारत के नागरिकों के साथ आपके परिवार की बहुत सी आशाएं आपसे लगी होंगी । आपके माता पिता के सपने भी आप से जुड़े होंगे। यह आपकी जिम्मेदारी है कि उनके सपनों को साकार करें और इस तरह साकार करें कि वह भारत माता के सपनों के रास्ते में रुकावट ना बनें। परिवार समाज और राष्ट्र तीनों को एक साथ लेकर चलना ही इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। आशा है आप सब की चुनौती पर खरे उतरेंगे। ( लेखक : मध्यप्रदेश शासन में ओएसडी के पद पर कार्यरत रहे हैं )

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button