मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किया गहन विचार-विमर्श
तीन घंटे तक चली बैठक में मंत्री और भाजपा के ओबीसी विधायक भी हुए शामिल
राज्य के एडवोकेट जनरल और देश के दिग्गज वकील रखेंगे उच्च न्यायालय में 27 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में दलीलें
‘मध्य प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध’
एमपीपोस्ट, 12 अगस्त , 2021,भोपाल । मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में उच्च न्यायालय सहित राज्य सरकार के स्तर पर सभी संभव प्रयासों पर आज एक महत्वपूर्ण बैठक में विचार किया गया।लगभग तीन घंटे चली इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की।
बैठक के बाद राज्य के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में इस रणनीति पर गहन चिंतन किया गया कि किस तरह प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण देना सुनिश्चित किया जाए। मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बैठक में तय हुआ है कि इस आरक्षण के संबंध में न्यायालय में होने वाली अगली सुनवाई में देश के दिग्गज वकीलों की सेवाएं ली जाएंगी, ताकि पिछड़ा वर्ग के हित में 27 प्रतिशत आरक्षण देना सुनिश्चित किया जा सके। यह तय किया गया है कि देश के वरिष्ठ वकीलों में शामिल श्री रविशंकर प्रसाद तथा श्री तुषार मेहता सहित अन्य दिग्गज वकीलों की इसके लिए सेवाएं ली जाएं। इस सुनवाई में स्वयं एडवोकेट जनरल न्यायालय से आग्रह करेंगे कि इसी सुनवाई को अंतिम मानकर पिछड़ा वर्ग के हित में 27 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी जाए।
श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार शुरू से ही पिछड़ा वर्ग को इस आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और सभी संभव प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा शासन के समय से ही पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा था। साथ ही इस सरकार ने ही सरकारी सेवाओं में मेरिट के आधार पर भी पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को पूरे अवसर प्रदान किये। मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कालांतर में कांग्रेस की सरकार ने इस आरक्षण को 14 प्रतिशत से अधिक करने पर रोक लगा दी। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकारी सेवाओं में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर अवसर मिलने बंद हो गए।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से ही ओबीसी वर्ग की विरोधी रही है। कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने का नाटक किया था। जबकि उस सरकार के ही एडवोकेट जनरल ने अदालत में कहा कि कांग्रेस की सरकार पीएससी में ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण ही चाहती है, अतः शेष 13 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाई जाए। मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि इसके बाद पूरे एक साल तक कमलनाथ सरकार ने इस विषय पर कोर्ट में अपना पक्ष ही नहीं रखा। यहां तक कि उस सरकार की तरफ से कोई वकील भी इस विषय पर कोर्ट में पेश नहीं हुआ। इस रवैये के चलते जब कोर्ट ने 27 फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी, तो कमलनाथ सरकार ने उसके खिलाफ अपील तक नहीं की।
श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि दूसरी तरफ भाजपा हमेशा से ही ओबीसी वर्ग के उत्थान की कोशिशें करती आ रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए अदालत में पूरी ताकत एवं तथ्यों के साथ राज्य का पक्ष रखा है। इस विषय पर राज्य की सरकार ने पूरी गंभीरता दिखाते हुए देश के सॉलिसिटर जनरल तथा मध्यप्रदेश के अधिवक्ता जनरल के माध्यम से कोर्ट में इस आरक्षण के पक्ष में दलीलें प्रस्तुत की हैं। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के और अधिक कल्याण के लिए ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सहित पिछड़ा वर्ग का पृथक से मंत्रालय भी भाजपा सरकार ने ही स्थापित किया है।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। यही काम मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मध्य प्रदेश में किया है। यह बताता है कि भाजपा ओबीसी वर्ग को उसके अधिकार दिलाने के लिए वचनबद्ध है। श्री भूपेंद्र सिंह ने दोहराया कि मध्य प्रदेश की सरकार पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बैठक में मंत्रीगण श्री कमल पटेल, श्री मोहन यादव, श्री रामखेलावन पटेल, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री भगत सिंह, महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और विधायक श्री प्रदीप पटेल सहित अन्य मंत्रीगण तथा विधायकगण भी शामिल हुए।
ओबीसी वर्ग को लेकर मंत्रालय में हुई बड़ी बैठक खत्म..
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा लोकसभा चुनाव से पहले 8 मार्च 2019 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के द्वारा जो आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक पारित किया गया था वो केवल राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु था..कांग्रेस की मूल भावनाओबीसी वर्ग के साथ छलावा करके उन्हें गुमराह किया..
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा पहले शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण के साथ मेरिट लिस्ट में भी ओबीसी को प्राथमिकता देती थी लेकिन कमलनाथ सरकार ने इस नियम में संशोधन लाकर सिर्फ ओबीसी आरक्षण देने की बात कही और ओबीसी की मेरिट लिस्ट को प्राथमिकता देने की नियमों को समाप्त कर दिया, कांग्रेस ने ओबीसी के साथ छलावा किया देश के बड़े अधिवक्ता रविशंकर प्रसाद जी , तुषार मेहता और एडवोकेट जनरल ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में सरकार का पक्ष रखेगें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा न्यायालय से सरकार निवेदन करेगी कि आगामी सुनवाई अन्तिम सुनवाई हो।
पीएम ने ओबीसी को संवैधानिक आयोग का दर्जा दिया है।