किसी प्रदेश के शहर की समृद्धि और विकास की झलक ही उस प्रदेश के बारे में लोगों का माइंड सेट बनाती है। यह अतिश्योक्ति नहीं है कि मध्यप्रदेश देशवासियों ही नहीं, विदेशियों का भी यह माइंड सेट बनाने में सफल हुआ है, कि प्रदेश चहुँमुखी विकास कर रहा है। जापान का एक प्रतिनिधि इंदौर में एक सम्मेलन में शामिल होने आता है और वह सुबह इंदौर शहर का भ्रमण स्वास्थ्य के लिये नहीं, बल्कि कचरा ढूँढने के लिये करता है। जब इस बारे में पूछा जाता है, तो वह कहते हैं कि-”लगातार 4 वर्ष से देश में स्वच्छता में नम्बर-एक पर रहने वाले शहर की स्थिति देखने गया था। मैं संतुष्ट हूँ”। इस तरह प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में शहरों का लगातार विकास हो रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में प्रदेश विगत वर्ष से एक पायदान ऊपर अब तीसरे स्थान पर है। भोपाल को देश की स्वच्छतम स्व-संवहनीय राजधानी का गौरव प्राप्त हुआ।
शहरी विकास की भारत सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में पहली बार प्रदेश के चार शहर 10 लाख से अधिक जनसंख्या के शहरों में शीर्ष 20 में सम्मिलित हैं। सिर्फ स्वच्छ सर्वेक्षण में ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के क्रियान्वयन में भी मध्यप्रदेश को देश में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। इस योजना में मध्यप्रदेश में विभिन्न घटकों में कुल 7 लाख 99 हजार आवास स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अब तक कुल 2 लाख 87 हजार आवासों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। मध्यप्रदेश ने ही पूरे देश में सबसे पहले प्रधानमंत्री के माध्यम से एक लाख हितग्रहियों को गृह प्रवेश कराया गया। आवास उपलब्ध कराने के लिये आवासीय भूमि का पट्टा भी भूमिहीन शहरी परिवारों को उपलब्ध कराया गया है। मलिन बस्ती के शहरी गरीबों को दी जाने वाली अनुदान राशि के बराबर ही गैर मलिन बस्ती के शहरी गरीबों को भी राज्य सरकार ने डेढ़ लाख रूपये का अनुदान उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
मध्यप्रदेश स्मार्ट सिटी मिशनमें देश के 4 अग्रणी राज्यों में है। स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भोपाल स्मार्ट सिटी देश में प्रथम तथा इंदौर स्मार्ट सिटी चतुर्थ स्थान पर है। भोपाल एवं इंदौर में मेट्रो रेल का कार्य तेजी से चल रहा है।
शहरी पेयजल
सरकार का दृढ़ निश्चय है कि सभी शहरों में नल से पानी दिया जाय। इसे मूर्तरूप देने के लिये 378 नगरीय निकाय की जल आवर्धन योजना को पूर्ण करने के लिये वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। नवगठित 29 नगरीय निकायों तथा नगरों के विस्तार/सीमावृद्धि के कारण पहले स्वीकृत पेयजल परियोजनाओं के अतिरिक्त कार्यो के लिये मुख्यमंत्री शहरी पेयजल परियोजना के दूसरे चरण की स्वीकृति दी जा रही है।
सीवरेज की स्वीकृत 5354 करोड़ की 52 परियोजनाओं में से 2 परियोजनाएँ पूरी हो गयी हैं। शेष दिसम्बर 2022 तक पूरी करने का लक्ष्य है।
”ई-नगरपालिका” सॉफटवेयर तैयार कर सभी नगरीय निकायों में लागू किया गया है। सभी म्यूनिसिपल सेवाएँ ऑनलाईन की गयी हैं। शहरों में ऑनलाईन भवन अनुज्ञा देने के लिये आटोमेटेड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम को लागू किया गया है।
आय में वृद्धि के लिए सुधार
नगरीय निकायों की राजस्व आय में वृद्धि किये जाने के उददेश्य से भारत सरकार के निर्देश के क्रम में संपत्ति कर के अधिरोपण को कलेक्टर गाइड-लाइन से जोड़ा गया है। पेयजल, सीवरेज तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन उपभोक्ता प्रभार के अधिरोपण को युक्तियुक्त कर इन सेवाओं के प्रदान पर होने वाले व्यय की शतप्रतिशत वसूली सुनिश्चित की गई है। इन सुधारों के फलस्वरूप भारत सरकार ने प्रदेश की जीडीपी का 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लिये जाने की स्वीकृति दी गई है।
नगरीय निकायों की अचल संपत्तियों के अंतरण में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर करने के लिये वर्तमान प्रावधानों में संशोधन की तैयारी है।
अब राज्य सरकार ने अग्निशमन तथा लिफ्ट से संबंधित प्रावधानों को म.प्र.भूमि विकास नियम-2012 में सम्मिलित किया है। अग्निशमन प्राधिकारी की केंद्रीयकृत व्यवस्था को विकेंन्द्रीकृत कर हुये कलेक्टर, आयुक्त नगर पालिक निगम, संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास को अग्निशमन प्राधिकारी नियुक्त किया गया है।
प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना में 5 लाख 32 हजार पात्र शहरी पथ विक्रेताओं को चिन्हित किया गया है। अभी तक लगभग 3 लाख पथ विक्रेताओं को बैंकों द्वारा ऋण दिया जा चुका है।
दीनदयाल अन्त्योदय राष्ट्रीय आजीविका मिशन में मध्यप्रदेश हमेशा अग्रणी राज्यों में रहा है। अब इस योजना को 407 नगरीय निकायों में विस्तारित किया गया है। शहरी गरीबों के करीब 27 हजार परिवारों को स्व-सहायता समूह से जोड़ा गया है। शहरी गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने की दीनदयाल रसोई योजना का विस्तार 56 से 100 केन्द्रों में किया गया है। रात्रिकालीन 118 आश्रय-स्थलों का नवीनीकरण किये जाने का कार्य भी प्रगति पर है।
कोविड-19 में नगरीय निकायों की भूमिका
कोविड-19 महामारी से निपटने में राज्य के नगरीय क्षेत्रों में प्रभावी कार्य किया गया है। लॉकडाउन के समय निकायों ने सेनिटाईजेशन, भोजन प्रबंधन, पेयजल की निरंतरता आदि को बनाये रखकर कोविड के संक्रमण एवं दुष्प्रभाव को सीमित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
नगर तथा ग्राम निवेश
नगर तथा ग्राम निवेश नियम, 2012 में नगर विकास स्कीम से संबंधित संशोधन किये गये हैं। नये नियमों से वर्षों से अमल में नहीं लाई गई अनेक नगर विकास स्कीम व्यपगत होने से जिससे किसानों/भूमि स्वामियों की हजारों हेक्टेयर बाधित भूमि नगरीय विकास के लिए उपलब्ध हुई। देवास एवं जबलपुर की एक-एक नगर विकास स्कीम को अनुमोदित किया गया। ओंकारेश्वर, डबरा, भोपाल, गुना, दतिया, भिण्ड, शिवपुरी, बुरहानपुर, मंदसौर, नागदा, उज्जैन, होशंगाबाद, दमोह, बैतूल, सिंगरोली, छतरपुर, खरगोन, रतलाम, सतना, सिवनी, नीमच तथा बैरसिया की विकास योजनाओं के प्रारूप प्रकाशित किये हैं, जो 10 माह की अल्प अवधि में सर्वाधिक संख्या है। जावरा नगर की विकास योजना को अंतिम रूप दिया गया है।
मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल
मण्डल अटल आश्रय योजना में 16 हजार 622 आवासीय इकाइयों का निर्माण कर रहा है। मण्डल की कुल 30 पुनर्घनत्वीकरण योजनाओं में से 2 योजना पूर्ण, 7 प्रगतिशील तथा शेष डी.पी.आर अथवा पी.पी.आर के स्तर पर हैं। विगत एक वर्ष में मण्डल द्वारा 20 आवासीय योजनएँ पूरी कर 663 भवन/भूखण्ड निर्मित किये गये हैं। भोपाल शहर में आवासीय योजना में कीलनदेव टावर्स में 222 प्रकोष्ठ तथा तुलसी टावर में 99 प्रकोष्ठ भवनों का निर्माण पूरा किया गया है। इंदौर एवं भोपाल में आई.टी. पार्क का निर्माण किया गया है। मण्डल मुख्यालय में नवीन गुणवत्ता नियंत्रण एवं तकनीक प्रकोष्ठ का गठन किया गया। सभी आवंटियों के आनलाईन लीज एवं संपत्ति खातों के सत्यापन के लिए विशेष अभियान चलाया गया हैं।
नगरीय विकास एवं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 5 रणनीतियों के विभागीय लक्ष्य निधारित किये हैं। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। मार्च 2021 में पूरे किये जाने वाले लक्ष्यों में से अधिकांश पूरे हो चुके हैं।
(लेखक: प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री हैं।)