एमपी की एमएसएमई इकाइयों का प्रोत्साहन आवश्यक
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान
अप्रैल माह में होगा एमएसएमई सम्मेलन
मुख्यमंत्री ने प्राप्त की सम्मेलन के स्वरूप की जानकारी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करवाएँ। इस श्रेणी की औद्योगिक इकाइयाँ गठित की जाने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन मिलना चाहिए। ऐसी इकाइयों द्वारा नई तकनीक का उपयोग कर संयंत्रों का संचालन किए जाने पर भी आवश्यक मदद उपलब्ध करवाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज समत्व भवन के मंथन कक्ष में भोपाल में आगामी माह होने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सम्मेलन संबंधी विचार-विमर्श कर रहे थे। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, सचिव एमएसएमई श्री पी. नरहरि सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
बताया गया कि अप्रैल माह में भोपाल में होने वाले सम्मेलन में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल को आमंत्रित किया जाएगा। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, वित्तीय संस्थान और बैंकों के वरिष्ठ पदाधिकारी, उद्योग संघों के प्रमुख, लघु उद्योग भारती, फिक्की एवं डिक्की के प्रतिनिधि भी हिस्सेदारी करेंगे। सफल स्टार्टअप और एमएसएमई के साथ ही उच्च शिक्षा संस्थान, विश्वविद्यालय और इनक्यूबेशन सेंटर्स के प्रतिनिधि, वालमार्ट, ओएनडीसी, आईआईएम इंदौर और आईआईटी दिल्ली के प्रतिनिधि भी आमंत्रित किए जाएंगे। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार सम्मेलन में मध्यप्रदेश में निर्यात संवर्धन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के लिए वित्तीय समाधान के नए आयाम विषय पर चर्चा के साथ सामान्तर-सत्र भी होंगे। इन सत्रों में क्लस्टर डेवलपमेंट, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को परिस्थिति अनुरूप समर्थ बनाने, परिवर्तन के लिए समावेशी नीति संवाद और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए डिजिटल परिवर्तन की आवश्यकता विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं अन्य अतिथि सम्मेलन में विभिन्न इकाइयों को पुरस्कृत भी करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन एवं प्र-संस्करण संयंत्रों के संचालन, उत्पादन और इस क्षेत्र में कार्य की संभावनाओं का वास्तविक आकलन कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए। बैठक में सरसों और धान के उत्पादन और प्र-संस्करण इकाइयों के संबंध में भी चर्चा हुई।