मध्यप्रदेश को मिला एमएसईएफसी एक्सीलेंस अवार्ड
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान ने बताया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश लगातार उपलब्धियाँ अर्जित कर रहा है। यह गौरव और आनंद की अनुभूति प्रदान करने वाली बात है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में शीर्ष स्थान प्राप्त करने के बाद अब प्रदेश को एक अन्य उपलब्धि हासिल हुई है। मध्यप्रदेश के एमएसएमई विभाग को केन्द्र सरकार से एमएसएमई के विलंबित भुगतानों के निराकरण के लिये एमएसईएफसी एक्सीलेंस अवार्ड-2022 प्रदान किया गया है। यह अवार्ड सूक्ष्म और लघु उद्यम फेसिलिटेशन कॉउन्सिल को स्ट्रांग रिकवरी प्रोसिजर एवं प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए दिया गया है। एमएसएमई इकाइयों को 30 करोड़ रूपये से अधिक का विलंबित भुगतान करवाने के एवज में मध्यप्रदेश को यह पुरस्कार मिला है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्यामला हिल्स स्थित उद्यान में पौध-रोपण के बाद मीडिया प्रतिनिधियों के साथ यह जानकारी साझा की।
मध्यप्रदेश के खाते में एक और उपलब्धि अर्जित हुई है। केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के एमएसमएई के विलंबित भुगतानों के निराकरण के लिये सुक्ष्म और लघु उद्यम फेसिलिटेश्न कॉउन्सिल को स्ट्रांग रिकवरी प्रोसिजर एवं प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिये, एमएसईएफसी एक्सिलेंस अवार्ड-2022 प्रदान किया है।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गत दिवस मध्यप्रदेश के एमएसएमई विभाग के सचिव और उद्योग आयुक्त श्री पी. नरहरि को यह प्रतिष्ठापूर्ण अवार्ड प्रदान किया। केन्द्रीय एमएसएमई के अतिरिक्त सचिव डॉ. रजनीश, लघु उद्योग भारती के सदस्य श्री महेश गुप्ता, राजेश कुमार मिश्रा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।
श्री नरहरि ने बताया कि एक जनवरी 2022 से दिसम्बर 2022 तक कॉउन्सिल की 19 बैठकें हुई, जिसमें कुल 472 प्रकरणों में सुनवाई की और 303 प्रकरणों में अन्तिम निर्णय कर विभागीय पोर्टल में अपलोड किये गये। अवार्ड एवं सुलह के माध्यम से तीस करोड़ 51 लाख 30 हजार 571 रूपये का भुगतान कराया गया। कॉउन्सिल की बैठक प्रत्येक प्रथम एवं तृतीय शुक्रवार को की जाती है और उभय पक्षों को वर्चुअल सुनवाई की सुविधा भी दी जाती है।
श्री पी. नरहरि ने बताया कि केन्द्र सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 की धारा 15 से 23 तक सप्लायर को यह अधिकार होता है कि यदि उसने क्रेता को सामग्री / सेवा प्रदाय की है तो नियत दिनांक से 45 दिवस के पूर्व क्रेता को भुगतान करना आवश्यक है। समायवधि में भुगतान नहीं होता है तो, सप्लायर को अधिनियम अन्तर्गत क्रेता से मूलधन के साथ 3 गुना चक्रवृद्धि मासिक ब्याज पाने का दावा अधिनयम की धारा 18 में कर सकता है।