मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हुए
मध्यप्रदेश विधान सभा की दैनिक 21 मार्च 2023 की कार्यसूची में शामिल विषय पूर्ण होने के पश्चात पूर्व परंपरा अनुसार संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्र द्वारा आज सदन में कार्य पूर्ण होने का उल्लेख करते हुए यह प्रस्ताव रखा की विधानसभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परन्तुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि “सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाये.”
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इसके बाद अपराह्न 3.43 बजे सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की गई ।
मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र इस बार भी समय से पूर्व अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रश्नकाल एवं ध्यानाकर्षण सूचना के बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ कांग्रेस के विधायकों की ओर से रखे गये अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में सवाल किया अध्यक्ष ने इसे 17 मार्च को ही जवाब दिये जाने की बात कही । इस बीच मंत्रीद्वय डॉ. नरोत्तम मिश्र एवं गोपाल भार्गव ने पाइंट ऑफ आर्डर के माध्यम से कहा कि यह प्रस्ताव नियमानुसार नहीं है। परंपरानुसार भी नही।
लेकिन अध्यक्ष ने पूर्व में ही इसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए 27 मार्च को सदन में प्रस्तुत करने की व्यवस्था दे दी थी लेकिन सत्ता पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई। इस बीच अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दी। जब सदन पुन: समवेत हुआ तो विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया, इस पर मध्यप्रदेश विधान सभा में मुख्यविपक्षीदल कांग्रेस ने सदन से बर्हिगमन कर दिया।
राज्य विधान सभा का 27 फरवरी से प्रारम्भ हुआ बजट सत्र आज समय से पूर्व समाप्त हो गया। कल से पांच दिन के अवकाश के बाद सदन की बैठक 27 मार्च को भी होना थी, लेकिन विधानसभा की कार्यवाही आज की बैठक के उपरांत अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी । भोजन अवकाश के बाद अविश्वास प्रस्ताव को ध्वनिमत से नामंजूर किये जाने पर विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। विपक्ष की अनुपस्थिति में बजट के साथ ही चार संशोधन विधेयकों को स्वीकृति देने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।
पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध मध्यप्रदेश विधान सभा में मुख्यविपक्षीदल कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह सहित कांग्रेस के 48 विधायकों द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव को सदन ने मंगलवार को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, अध्यक्ष ने इसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए 27 मार्च को सदन में प्रस्तुत करने की व्यवस्था दे दी थी लेकिन सत्ता पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई।
संसदीय कार्य मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह प्रस्ताव न तो नियम के अनुरूप है और न ही ऐसी कोई परंपरा है। यदि इसे स्वीकार किया जाता है तो गलत परंपरा बनेगी। इसके बाद डा.मिश्रा ने प्रस्ताव रखा कि इसे अस्वीकार किया जाए। सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया और प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अध्यक्ष के विरुद्ध केवल संकल्प लाया जा सकता है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बजट सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित करने का निर्णय अध्यक्ष का नहीं बल्कि सदन का था। हमारा प्रस्ताव पर मतदान के माध्यम से पारित हुआ था। प्रस्ताव सुबह साढ़े दस बजे के पहले मिलना चाहिए था, वह भी नहीं हुआ इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
अध्यक्ष ने कार्य संचालन नियम का उल्लेख करते हुए कहा कि अध्यक्ष को हटाने के लिए संकल्प की सूचना देने का प्रावधान है। आसंदी पर आने के बाद यह प्राप्त हुआ। परीक्षण उपरांत 17 मार्च को इसे अस्वीकार करने का आदेश पारित किया। इसके बाद भी सदन की उच्च परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए सदन में रखने के लिए 27 मार्च नियत करता हूं। विपक्ष ने इस पर संतुष्टि जताई पर संसदीय कार्य मंत्री ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि आपने भले ही बड़ा मन दिखाया हो पर जब संकल्प आया ही नहीं तो फिर तारीख किस बात की।
गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा हो या संसद, नियम, परंपरा और संविधान के अनुसार चलती है। आप भले ही निर्लिप्त हों पर ऐसी परिपाटी न बनाएं। तीन बजे जब दोबारा सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो संसदीय कार्य मंत्री ने फिर व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए प्रस्ताव रखा कि इसे अस्वीकार किया जाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने संकल्प ही रखा है पर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया और अध्यक्ष ने सदन में संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव पर मतदान कराया। इसमें ध्वनिमत से अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया।
अनुदान मांगों पर नहीं हुई चर्चा
तीन लाख 14 हजार 24 करोड़ रुपये का वर्ष 2023-24 का बजट मंगलवार को विधानसभा में पारित हो गया। संसदीय कार्य मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सभी विभागों की अनुदान मांगों को एक साथ प्रस्तुत करते हुए सदन से पारित करने का अनुरोध किया। विपक्ष ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए बहिर्गमन किया। अध्यक्ष गिरीश गौतम ने प्रक्रिया पूरी कराई और बजट पारित हो गया।
अविश्वास प्रस्ताव को सदन द्वारा अस्वीकार करने के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि कुछ विभागों को छोड़ दें तो सभी विभाग अभी बचे हुए हैं। सत्र की अवधि कम बची है, इसलिए प्रस्ताव है कि सभी मांगों को एक साथ प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए। इसे अध्यक्ष ने स्वीकार किया।
वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर मुखबंध(गिलोटिन) किया गया