युवा ही होते हैं हर क्रांति के वाहक- मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम
‘लोकतंत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी’ विषय पर भारतीय युवा संसद का आयोजन
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आज कहा कि किसी भी देश में बदलाव या क्रांति के वाहक युवा ही होते हैं और हमारे देश में इस समय युवाओं की संख्या सबसे अधिक है।
श्री गौतम ने यहां ‘लोकतंत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी’ विषय पर आयोजित भारतीय युवा संसद कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडे और मध्यप्रदेश समाज विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष प्रो गोपाल कृष्ण शर्मा भी मौजूद थे। युवाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम में लगभग 300 युवाओं ने शिरकत की, जिसमें उज्जैन के अलावा मध्यप्रदेश और राज्य के बाहर के युवा भी शामिल थे।
अध्यक्ष श्री गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि विभिन्न प्रदेशों के युवा इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए संवाद के लिए भाषा का चयन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बड़ा सवाल यह भी है कि देश में सबसे ज्यादा आबादी नौजवानों की है और युवा ही किसी भी देश में क्रांतिकारी परिवर्तन का वाहक हो सकता है। अमूमन 15 वर्ष से 40 वर्ष के आयु के नागरिक युवाओं की श्रेणी में आते हैं और उनकी जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है।
श्री गौतम ने इस अवसर पर युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम चिकित्सकों को ठीक करके अस्पताल दुरुस्त कर सकते हैं, उसी तरह से विधानसभा में आने वालों को ठीक करके हम अपने विधायी सदनों को और बेहतर बना सकते हैं। यह जिम्मेदारी भी युवाओं की है।
उन्होंने देश की पुरातन शिक्षा पद्धति का महत्व समझाते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद सबसे बड़ी दिक्कत शिक्षा व्यवस्था को लेकर हुयी। शिक्षा को हमने ‘टारगेट ओरिएंटेड’ बना दिया, यानी हमने शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास किया, जिससे हम शिक्षा प्राप्त करने के बाद हम कर्मचारी (एम्प्लायी) बन सकें। उन्होंने कहा कि इसी देश में मैकाले की शिक्षा पद्धति लागू होने के पहले युवा विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय और इसी तरह के अन्य विश्वविद्यालयों तथा विद्यालयों में शिक्षा हासिल करते थे। लेकिन नयी शिक्षा पद्धति आने के बाद इन सबको बंद कर दिया गया।
श्री गौतम ने कहा कि किसी भी राजनैतिक दल की विचारधारा समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान की ही है। सभी दल यही बात करते हैं। अलबत्ता उसके क्रियान्वयन या नतीजों को लेकर सवाल उठ सकते। लेकिन गरीबों के हित की बात नहीं करने वाला कोई भी दल नहीं है।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के साथ ही उत्तरप्रदेश,कर्नाटक, केरल, असम, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के युवाओं ने भी भाग लिया।