23 करोड़ 35 लाख 70 हजार रूपए
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आगामी 13 अगस्त को प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया एवं भारिया के हितग्राहियों को आहार अनुदान योजना की राशि का अंतरण करेंगे। योजना में वर्तमान वित्त वर्ष में प्रतिमाह 2 लाख 33 हजार 570 हितग्राहियों को एक-एक हजार रूपए मासिक आहार अनुदान प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राशि अंतरण कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया।
मुख्यमंत्री करेंगे हितग्राहियों से संवाद
मुख्यमंत्री श्री चौहान विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और सहरिया बहुल किसी एक विकासखंड में कार्यक्रम में शामिल होकर योजना के हितग्राहियों को आहार अनुदान की राशि का अंतरण करेंगे। साथ ही हितग्राहियों से संवाद भी करेंगे। वर्तमान वित्त वर्ष में जुलाई माह तक योजना में 93 करोड़ 42 लाख रूपए की राशि हितग्राहियों को वितरित की जा चुकी है। इसके पूर्व वर्ष 2021-22 में हितग्राहियों को 270 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की गई।
आहार अनुदान योजना का शुभारंभ दिसम्बर 2017 सेकिया गया था। वर्ष 2018 तक ग्लोबल बजट (ट्रेजरी) से हितग्राहियों को राशि प्रदान की गई। अगस्त 2020 से पोर्टल के माध्यम से हितग्राहियों के खाते में राशि का अंतरण करने की व्यवस्था प्रारंभ हुई है। महिला हितग्राहियों के लिए प्रारंभ इस योजना का क्रियान्वयन प्रदेश के शिवपुरी, श्योपुर, शहडोल, उमरिया, गुना, अशोकनगर, मण्डला, डिण्डौरी, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, अनूपपुर, बालाघाट और दतिया में किया जा रहा है। योजना का उद्देश्य महिला हितग्राही और उन पर आश्रित बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य को बेहतर बनाना, परिवार की आय में वृद्धि करना और विशेष पिछड़ी जनजाति को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है।
जनजातीय महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में हुआ है सुधार
प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित हैं। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा विशेष पिछड़ी जनजातियों के लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। आहार अनुदान योजना के प्रभाव और मूल्यांकन से यह परिणाम भी प्राप्त हुआ कि इन जनजातियों में महिला सशक्तीकरण का कार्य आसान हुआ है। साथ ही इन जनजातियों के पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर में भी सुधार परिलक्षित हुआ है। योजना के प्रभाव और मूल्यांकन का कार्य अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल ने किया है। इस संस्थान के अलावा डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, बैंगलुरू द्वारा भी योजना का अध्ययन किया जा रहा है।