एमपी के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल के रोगियों के लिए परियोजना

विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और भारिया के लिये चल रही है परियोजना

 

 

मध्यप्रदेश के चार जिलों डिण्डोरी, मण्डला, छिन्दवाड़ा और शहडोल में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और भारिया में सिकल सेल के उपचार के लिये विशेष परियोजना चल रही है। यह परियोजना आयुष विभाग के सहयोग से संचालित हो रही है।

आयुष विभाग के अंतर्गत शासकीय होम्यापैथी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल द्वारा सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिये घर-घर जाकर स्क्रिनिंग टेस्ट किया गया। इसमें करीब 23 हजार से अधिक जनजातीय व्यक्तियों का परीक्षण किया गया। परीक्षण के बाद 2138 जनजातीय व्यक्ति सिकल सेल रोग से पॉजिटिव पाएँ गये। इन रोगियों का दोबारा परीक्षण कराये जाने पर 1656 व्यक्तियों में बीमारी की पुष्टि हुई। प्रभावित व्यक्तियों को रिसर्च टीम द्वारा होम्यापैथी दवाएँ दी गई। नियमित दवा देने के बाद प्रभावित व्यक्तियों को फायदा मिला है। इस बीमारी में प्रभावित व्यक्तियों में रक्त की कमी और दर्द की समस्या बनी रहती थी। दवा लेने से रोगियों को इससे छुटकारा मिला है। इन रोगियों को समय-समय पर खून चढ़ायें जाने की आवश्यकता होती थी, इससे भी उन्हें छुटकारा मिला है। इसके साथ ही इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ी है।

परियोजना के जिलों में सभी सिकल सेल रोगियों का नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में लिंकेज का कार्य पूरा किया जा चुका है। लिंकेज कार्य पूरा होने से रोगियों को राज्य और केन्द्र सरकार की अन्य योजना का भी फायदा मिल रहा है। परियोजना में जिन रोगियों को होम्यापैथी की दवाइयाँ दी जा रही है, रिसर्च टीम द्वारा उनकी वर्तमान जीवन-शैली का नियमित अध्ययन भी किया जा रहा है। होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय के इस प्रोजेक्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन, एम्स, आईसीएमआर, भारतीय विज्ञान संस्थान और मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल की रिसर्च कार्य में मदद ली जा रही है।

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