राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये विश्वविद्यालय आगे आयें
आत्मनिर्भर भारत में विश्वविद्यालय करें सहयोग
राज्यपाल श्री पटेल ने विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 99वीं बैठक मे दिए निर्देश
मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये प्रदेश के विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा। नीति की मंशा के अनुसार शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने, कौशल संर्वधन, उद्योगों से साझेदारी, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अकादमिक साझेदारी के क्षेत्रों में विशेष प्रयास किए जाए। उन्होंने गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उदेश्य से नैक से मूल्याकंन कराये जाने की भी जरुरत बताई। इस बात पर भी बल दिया है कि प्रदेश के शासकीय, निजी विश्वविद्यालय देश के सर्वोत्तम उच्च शिक्षा संस्थानों में शामिल होने के लिये प्रयास करे।
राज्यपाल बुधवार को राजभवन में आयोजित विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 99वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में राज्यपाल के प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, विधि-विधायी, वित्त और शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय उनके दायित्वों में सामाजिक सरोकारों को शामिल करें। विश्वविद्यालयों की गतिविधियों में कुछ गांवों को गोद लेकर, उनमें केन्द्र एवं राज्य शासन की योजनाओं के लाभ हितग्राही तक पहुंचाने में सहयोग करे। स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, कृषि, स्वास्थ परीक्षण आदि विषयों पर कार्य किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर संचालित आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा आत्म निर्भर मध्यप्रदेश कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके लक्ष्यों की पूर्ति में विश्वविद्यालयों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से कहा कि नई ऊर्जा के साथ शिक्षण व्यवस्था को पुनः पटरी पर लाएं और बेहतर शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करें। उन्होंने अकादमिक कैलेण्डर का पालन करना विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बताई है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर हमारे युवा वर्ग की चेतना एवं चरित्र का निर्माण की जिम्मेदारी है अत: वे अपने व्यवहार और आचरण से युवाओं में एक अच्छे चरित्र का निर्माण करें ताकि भारत का भविष्य उज्जवल रहे।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षा में तकनीक के प्रयोग से हमें काफी कुछ सीखने को मिला है। यह एक ऐसी विधा है जिसमें शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को बेहतर कौशल हासिल करना होगा। इसके लिए अच्छी व्यवस्थाएँ बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के अधिनियमों के प्रावधानों में विभिन्नता होने से पूरी कार्यशैली में अंतर हो जाता है। कार्यशैली में यथासम्भव एकरूपता के लिए विश्वविद्यालयों के अधिनियमों का पुनरावलोकन किया जाये, उसमें अपेक्षित सुधार भी किये जायें।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एकजुट प्रयासों का एक नया फलक दिखाई देने लगा है। व्यवस्था नये परिवेश और कलेवर के साथ उड़ान भरने को तैयार है। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी शिक्षा सत्र से अंगीकृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नीति की मंशा के साथ कदम ताल करते हुए प्रथम वर्ष की तैयारी पूर्ण हो गई है। केन्द्रीय अध्ययन मंडल द्वारा 79 विषयों का पुनर्गठन किया गया है। उच्च शिक्षा में सकल नामांकन में राज्य तेजी से राष्ट्रीय औसत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समग्र दृष्टि के साथ कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों को आर्थिक प्रबंधन पर ध्यान देने की जरुरत बताई। उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधनों में वृद्धि के प्रयास किए जाने चाहिए। रिक्त पदों पर शीघ्रता से भर्ती करने और विश्वविद्यालयों की शुल्क एवं अर्थदंडों की व्यवस्था में भी एकरुपता लाने की जरुरत बताई।
बैठक के प्रारम्भ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन ने बैठक के एंजेंडे का बिन्दुवार प्रस्तुतिकरण दिया।