असंतुलित लिंगानुपात की रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में विगत सर्वेक्षण 2015-16 की तुलना में 29 अंको की वृद्धि
मध्यप्रदेश के गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम) अंतर्गत जिला समुचित प्राधिकारी की अधिसूचना एवं कर्तव्यों के लिए आयुक्त सह सचिव स्वास्थ्य डॉ. सुदाम खाड़े ने समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में भ्रूण लिंग पता करने के लिए गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक का दुरूपयोग रोकने और इसके औचित्य पूर्ण प्रयोजनों के लिए उपयोग को विनियमित करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए गर्भधारण और प्रसव पूर्व तकनीक अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को उनकी अधिकारिता के जिले के लिए सक्षम प्राधिकारी (एप्रोपियेट अधिकारी) नियुक्त किया गया है। पूर्व में गर्भधारण एवं प्रसव पूर्ण निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम) के अंतर्गत जिला कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी मनोनीत थे। प्रदेश में अधिनियम के अंतर्गत कुल 2071 केन्द्र पंजीकृत हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में विगत सर्वेक्षण वर्ष 2015-16 की तुलना मे वर्ष 2020-21 में 29 अंकों की वद्धि दर्ज हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि देश में जन्म के समय लिंगानुपात 929 है। प्रदेश में यह सूचांक 956 है। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर स्थिति में है। वर्तमान में प्रदेश में 1000 बालकों पर 956 बालिकाओं का जन्म हो रहा है।
परिपत्र में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गर्भधारण एवं प्रसव पूर्ण निदान तकनीक अधिकनियम 1994 के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग में सहयोग के लिए अधीनस्थ जिला स्वास्थ्य अधिकारी-1 को भी नामांकित कर सकेगें। जिला सक्षम प्राधिकारियों को जेनेटिक काउंसलिंग सेन्टर, जेनेटिक लेबोरेट्री अथवा जेनेटिक क्लीनिक के लिए रजिस्ट्रीकरण, स्वीकृत, निलंबित अथवा रद्द करने और विहित मानक लागू करने के अधिकार दिये गये हैं। अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये नियमों के प्रावधानों के भंग संबंधित शिकायतों का अन्वेषण कराना और तत्काल कार्यवाही कराना, रजिस्ट्रीकरण के आवेदनों, निलंबन या रद्दकरण की शिकायतों पर गठित सलाहकार समिति की राय लेना, उस पर विचार करना और लिंग चयन या प्रसव पूर्व लिंग अवधारणा की प्रथा के विरूद्ध जागरूकता पैदा करना और सलाहकार समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर कार्यवाही करने के अधिकार प्रदत्त किये गये हैं।