मध्यप्रदेश के विकास और स्वच्छता में अग्रणी भूमिका निभाते राज्य के नगर

 

 मध्यप्रदेश के नगरों में मूलभूत सुविधाओं के विकास और नागरिकों को सभी सुविधाएँ ऑनडोर उपलब्ध करवाने के लिये नगरीय विकास एवं आवास विभाग कृत-संकल्पित है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में प्रदेश में नगरों के विकास और नागरिकों को मूलभूत नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये संचालित सभी तरह की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि भारत सरकार की फ्लेगशिप योजनाओं में मध्यप्रदेश ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। प्रदेश के नगरीय निकायों ने सभी नागरिक सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया है।

उल्लेखनीय उपलब्धियों की अगर बात करें तो हाल ही में भारत सरकार से इंदौर को देश का पहला वाटर+शहर होने का गौरव प्राप्त हुआ है। इंदौर शहर ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में भी लगातार चौथी बार देश में सबसे स्वच्छ शहर का स्थान प्राप्त कर देश में प्रदेश का नाम रोशन किया है। इसी तरह भोपाल देश की स्वच्छतम स्व-संवहनीय राजधानी बना है। स्मार्ट सिटी मिशन अंतर्गत इण्डिया स्मार्ट सिटी कांटेस्ट-2020 में कुल 20 अवार्ड श्रेणियों में से 11 अवार्ड मध्यप्रदेश को मिले हैं। यह अवार्ड इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सागर शहर को उनके द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिये मिला है। और तो और स्मार्ट सिटी मिशन में भी भारत सरकार द्वारा चुने गये 100 शहरों की रैंकिंग में भोपाल प्रथम तथा इंदौर तृतीय स्थान पर है।

अब अगर बात करें शहरी बेघरबारों को स्वयं की छत उपलब्ध करवाने की तो प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश को देश में द्वितीय स्थान प्राप्त है। कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन दौर में शहरी क्षेत्र के स्ट्रीट वेंडरों की आजीविका प्रथाति होने पर उन्हें राहत देने के उद्देश्य से शुरू की गई पीएम स्व-निधि योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश प्रथम चरण में द्वितीय और द्वितीय चरण में प्रथम स्थान पर है। इसके अलावा नगरीय निकायों के प्रदर्शन सूचकांकों में 10 लाख से अधिक जनसंख्या संवर्ग के नगरों में इंदौर ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया और भोपाल तीसरे स्थान पर रहा।

विधि संशोधन

अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण तथा कॉलोनी विकास के प्रावधान में अधिनियमों में संशोधन करके आम नागरिकों को राहत दी गयी है। प्रशमन (कम्पाउंडिंग) की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किये जाने का विधि संशोधन पारित किया गया है। प्रदेश में सम्पत्ति कर तथा जल दर के अधिरोपण के लिये भारत सरकार के निर्देशानुसार आवश्यक संशोधन किये गये हैं। नगरीय विकास और आवास विभाग का पुनरीक्षित एसओआर इसी वर्ष अगस्त माह से लागू किया गया है। इससे गुणवत्तापूर्ण कार्य कराये जा सकेंगे।

नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने तथा आम नागरिकों को कोरोना के समय राहत देने एवं करों को प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सम्पत्ति कर, जल दर, किराया, भू-भाटक पर लगने वाले अधिभार (पेनाल्टी) में भी उल्लेखनीय छूट दी गई है।

विगत 15 वर्षों में जल-प्रदाय एवं सीवरेज परियोजनाओं के कार्य

राज्य सरकार द्वारा पिछले 15 वर्ष में नगरों में जल-प्रदाय एवं सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिये अनेक कार्य किये गये हैं। इस अवधि में नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 378 निकायों में करीब 12 हजार 500 करोड़ रुपये की लागत की पेयजल की 442 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं। इनमें से 272 परियोजनाएँ पूर्ण कर ली गई हैं और शेष 170 परियोजनाएँ प्रगतिरत हैं।

पूर्ण हुई परियोजनाओं में यूआईडीएसएसएमटी की 100 में से 96, मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना की 154 में से 128, एकमुश्त अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता की 11 में से 11, जेएनएनयूआरएम की 4 में से 4, अमृत की 32 में से 23, स्वयं के स्रोत से 9 में 9 एवं एमपीयूडीसी की 132 में एक योजना, इस प्रकार कुल 442 में से 272 परियोजनाएँ पूर्ण की जा चुकी हैं।

सीवरेज सुधार के अंतर्गत प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक में 50 निकायों में 5 हजार 337 करोड़ रुपये की लागत की 54 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं। स्वीकृत परियोजनाओं में से 12 पूर्ण कर ली गई हैं और शेष 42 परियोजनाएँ प्रगतिरत हैं। इसमें यूआईडीएसएसएमटी की एक में से एक एवं अमृत की 24 में से 11 योजनाएँ पूर्ण की जा चुकी हैं। एमपीयूडीसी के माध्यम से शेष 29 योजनाएँ प्रगतिरत हैं।

गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिये संचालित प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना में प्रदेश में कुल 8 लाख 37 हजार आवास स्वीकृत किये गये हैं। इनमें से 3 लाख 32 हजार आवास पूर्ण किये गये हैं। शहरी गरीबों को किफायती दरों पर दीनदयाल रसोई योजना का सुदृढ़ीकरण कर इसका विस्तार 56 केन्द्रों से बढ़ाकर 100 केन्द्रों में किया गया है। योजना के जरिये कोविड के दौरान 37 लाख 22 हजार हितग्राहियों को नि:शुल्क भोजन प्रदाय किया गया है। प्रदेश में पुराने लगभग 119 रात्रिकालीन आश्रयों का नवीनीकरण कर उन्हें सुविधायुक्त बनाया गया है। बीस नवीन आश्रय स्थल स्वीकृत किये गये हैं। सभी आश्रय स्थलों की निगरानी एवं सक्षम संचालन के लिये डेशबोर्ड तैयार किया गया है।

शहरी पथ-विक्रेताओं को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने के लिए लागू की गई पी.एम. स्व-निधि योजना के माध्यम से अब तक साढ़े 3 लाख शहरी पथ-विक्रेताओं को लाभान्वित किया गया है। अब 20 हजार रुपये का ऋण देना भी शुरू कर दिया गया है। कोविड के दौरान पथ-विक्रेताओं को राहत देने के लिये 6 लाख 10 हजार पथ-विक्रेताओं को प्रति पथ-विक्रेता एक हजार रुपये की राशि सीधे खातों में उपलब्ध कराकर 61 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराई गई है। “दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन” (DAY-NULM) का 120 शहरों से प्रदेश के सभी 406 शहरों तक विस्तार किया गया है।

स्मार्ट सिटी मिशन अंतर्गत युवाओं में उद्यमिता के विकास के लिये प्रदेश में इंदौर, ग्वालियर तथा उज्जैन में स्टार्ट-अप्स इंक्यूबेशन केन्द्रों की स्थापना की गई है। तीन सौ से अधिक शहरों में शत-प्रतिशत स्रोत पर पृथक्कीकरण, परिवहन एवं प्र-संस्करण तथा 75 प्रतिशत तक ठोस अपशिष्ट का पुनर्चक्रण कार्यशील किया गया है। दो शहरों (रीवा एवं सागर) में वैज्ञानिक लैण्डफिल साइट की स्थापना की गई है। बस आधारित इंट्रा-सिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भोपाल, इंदौर और जबलपुर में 900 नई बसें स्वीकृत की गई हैं। भोपाल में नई 50 बसों का संचालन प्रारंभ हो चुका है। नगरीय निकायों द्वारा प्रदाय की जा रही सभी नागरिक सेवाओं को ई-नगर पालिका के माध्यम से ऑनलाइन किया गया है। ऑनलाइन भवन अनुज्ञा अंतर्गत लगने वाली समय-सीमा को 30 दिवस से घटाकर 15 दिवस किया गया है।

आज स्थिति यह है कि प्रदेश के नगरीय निकाय क्षेत्रों में कचरा कलेक्शन के लिये गाड़ी नागरिकों के दरवाजे पर आ रही है। ई-नगरपालिका के माध्यम से नागरिक घर बैठे पानी का बिल, सम्पत्ति कर आदि सभी कर जमा कर सकते हैं। कम्पाउंडिंग की सीमा, जो 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत की गयी है, उसकी पूरी प्रक्रिया भी ऑनलाइन है। कुल मिलाकर सभी नागरिक सुविधाएँ ऑनडोर उपलब्ध कराने में प्रदेश अग्रसर ही नहीं है, बल्कि कार्य रूप भी दे रहा है।

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