एमपीपोस्ट, 10,फरवरी 2022 ,भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ दशक में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल में 5 गुना और उत्पादन में 7 गुना से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2006 में उद्यानिकी फसलों का कुल रकबा 4 लाख 69 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 23 लाख 43 हजार हेक्टेयर हो गया। उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल में वृद्धि होने का सीधा प्रभाव उत्पादन में हुई वृद्धि में भी दिखाई देता है। इस अवधि में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन भी 42 लाख 98 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर अब सात गुना से अधिक 340 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सुविचारित नीतियों और दूरदर्शिता से उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन में हुई इस उल्लेखनीय वृद्धि का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश मसाला, सब्जी, फल और फूल उत्पादन में देश के पहले 5 राज्यों में शामिल है। प्रदेश मसाला फसलों के उत्पादन में देश में पहले, सब्जी में तीसरे, फूल में चौथे और फल उत्पादन में पाँचवें स्थान पर है।
प्रदेश में वर्ष 2006 का फलों की खेती का रकबा 46 हजार 777 हेक्टेयर से बढ़कर 4 लाख 5 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 11 लाख 73 हजार मीट्रिक टन से 82 लाख 44 हजार मीट्रिक टन बढ़ा है। इस अवधि में सब्जी का क्षेत्र एक लाख 96 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 27 लाख 97 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर क्षेत्र 10 लाख 40 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 206 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया। मसाला फसलों का क्षेत्र भी 2 लाख 7 हजार 563 हेक्टेयर और उत्पादन 2 लाख 33 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 82 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 46 लाख 37 हजार मीट्रिक टन हो गया। फूलों की खेती जो वर्ष 2006 में मात्र 3 हजार 667 हेक्टेयर में होती थी, वह 35 हजार 554 हेक्टेयर में हो रही है।
औषीधीय और सुगंधित फूलों की खेती
प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित फूलों की खेती जो मात्र 15 हजार 650 हेक्टेयर में होती थी, अब 42 हजार 956 हेक्टेयर में हो रही है।
उद्यानिकी फसलों की खेती में प्रदेश देश के पहले पाँच राज्यों में
वर्ष 2018 के उद्यानिकी की राष्ट्रीय सांख्यिकी में मध्यप्रदेश ने देश के कुल 8123.87 हजार मीट्रिक टन मसाला उत्पादन में 1191.81 हजार मीट्रिक टन का योगदान किया है। यह देश के सकल मसाला उत्पादन का 14.67 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में देश के कुल 184394.51 हजार मीट्रिक टन उत्पादन में मध्यप्रदेश ने 17545.48 हजार मीट्रिक टन सब्जी का योगदान कर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इस तरह देश के सब्जी उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 9.52 प्रतिशत रहा।
फल और फूलों के उत्पादन में भी विशिष्ट स्थान
प्रदेश फूलों के उत्पादन में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बाद देश में चौथे स्थान पर है। देश के फूल उत्पादन में प्रदेश का हिस्सा 10.15 प्रतिशत है। देश के कुल 97357.51 हजार मीट्रिक टन फल उत्पादन में 7416.91 हजार मीट्रिक टन योगदान कर मध्यप्रदेश आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात के बाद पाँचवें स्थान पर है। इस तरह फलों के उत्पादन में प्रदेश का देश के उत्पादन में 7.62 प्रतिशत हिस्सा है।
उद्यानिकी फसलों की भण्डारण क्षमता में वृद्धि
पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश में उद्यानिकी फसल उत्पादों के भण्डारण के लिये बढ़ी संख्या में कोल्ड-स्टोरेज और भण्डार-गृह बनाये गये हैं। वर्ष 2008 में प्रदेश में करीब एक लाख 19 हजार मीट्रिक टन क्षमता के 2,890 प्याज भण्डार-गृह थे, जो अब 3 लाख 79 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता के 8,530 भण्डार गृह हो गये हैं।
एक जिला-एक उत्पाद
जिलों के स्थानीय परिवेश और उद्यानिकी कृषकों द्वारा की जा रही फसलों की खेती को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले के लिये एक उत्पाद का चयन किया गया है। आगर-मालवा और राजगढ़ के लिये संतरा/नींबू, अलीराजपुर, धार और सिवनी के लिये सीताफल, अनूपपुर, बैतूल, उमरिया, सीधी और सिंगरौली के लिये आम, अशोकनगर, दमोह, दतिया, झाबुआ, कटनी, रायसेन, सागर, सतना और शिवपुरी के लिये टमाटर, बालाघाट, डिण्डोरी और मण्डला के लिये कोदो-कुटकी, बड़वानी, निवाड़ी और टीकमगढ़ जिले के लिये अदरक, भिण्ड के लिये बाजरा, भोपाल, होशंगाबाद, सीहोर और श्योपुर के लिये अमरूद, बुरहानपुर के लिये केला, छतरपुर के लिये पान, छिन्दवाड़ा, देवास, ग्वालियर और इंदौर के लिये आलू, गुना और नीमच के लिये धनिया, हरदा, शाजापुर, खण्डवा, उज्जैन और विदिशा के लिये प्याज, जबलपुर के लिये मटर, खरगोन के लिये मिर्च, मंदसौर और रतलाम के लिये लहसुन, मुरैना के लिये सरसों, नरसिंहपुर के लिये गन्ना, शहडोल और रीवा के लिये हल्दी और पन्ना के लिये आँवला का एक जिला-एक उत्पाद के रूप में चयन किया गया है। राज्य सरकार द्वारा चयनित उत्पाद की खेती, भण्डारण, प्र-संस्करण और विपणन के क्षेत्र में कार्य करने में उद्यानिकी कृषकों को मदद दी जा रही है।