एमपी में देश का पहला जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम

म.प्र. में जनजातीय वर्ग के विकास का चल रहा है अभियान

 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन से समाज के सभी वर्गों के उत्थान का हो रहा प्रयास : मुख्यमंत्री श्री चौहान
म.प्र. में जनजातीय वर्ग के विकास का चल रहा है अभियान
देश के प्रथम जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
मध्यप्रदेश से शुरू हुई पायलेट आधार पर संसदीय संकुल परियोजना
प्रशिक्षण कार्यक्रम में 6 राज्यों के 15 जिले के युवक हुए शामिल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जनजातीय युवाओं को हुनरमंद बनाकर रोजगार उपलब्ध करवाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जाएगा। एक तरफ जहाँ जनजातीय वर्ग के युवाओं को रोजगार चाहिए, वही ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी दक्षता वाले इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, मेसन, वाहन मैकेनिक आदि की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सहयोग से जनजातीय युवाओं के लिए संसदीय संकुल परियोजना में ग्रामीण जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम सार्थक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में ग्रामीण जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे। मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उड़ीसा के जिले प्रथम चरण में प्रायोगिक परियोजना के लिए चुने गए हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी मैन ऑफ आयडियाज़ हैं। उनके दृष्टिकोण और सबका साथ-सबका विकासकी नीति के अनुरूप समाज के सबसे पिछड़ें वर्गों को बराबरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जनजातीय वर्ग की जिंदगी बदलने का अभियान संचालित किया जा रहा है। पेसा एक्ट लागू करने, वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने, जनजातीय वर्ग के बच्चों को अध्ययन की सुविधाएँ देने और ग्रामीण इंजीनियर तैयार करने की योजना में उन्हें महत्त्व देने के कदम उठाए गए हैं। ग्रामों में कार्य के लिए लाखों लोगों की जरूरत है। जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन और यंत्रों के संधारण के लिए युवा जनजातीय वर्ग को लाभान्वित किया जा रहा है। कौशल प्रशिक्षण से उन्हें रोजगार मिल रहा है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। हुनर होने से काम मिलेगा, ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन भी रूकेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातीय इलाकों में रोजगार के सीमित अवसर होते हैं। इस वजह से युवाओं को बाहर जाने की विवशता होती है। अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिल जाने से स्थानीय सामाजिक-आर्थिक ढाँचा भी मजबूत होता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस दृष्टिकोण से ही 40 सासंदों के साथ मुम्बई संगोष्ठी में गहन विचार-विमर्श किया था। इसके बाद विशेषज्ञों और अनुसूचित जनजाति संगठनों से चर्चा की गई। लोकसभा और राज्यसभा के चयनित सांसदों ने 15 राज्यों के 49 समूह चुने। युवाओं को दो माह की अवधि के प्रशिक्षण से स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करने और अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार के साथ समाज खड़ा हो, तभी हमारे कल्याणकारी कार्यक्रम ज्यादा सफल होंगे। प्रदेश में स्वच्छता के क्षेत्र में ऐसा हुआ है। साथ ही कोरोना से लड़ाई में भी यह बात सिद्ध हुई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्राम और शहरों के गौरव दिवस मनाने के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। गाँव को स्वच्छ रखने, बिजली के अपव्यय को रोकने, आँगनवाड़ी केंद्रों के संचालन में किसानों द्वारा दिया जा रहा सहयोग भी देखने को मिल रहा है। आम नागरिक भी आँगनवाड़ियों में अनाज का सहयोग देकर कुपोषण से बच्चों को बचाने के कार्य में सक्रिय हुए हैं। ग्राम को नशा मुक्त बनाने की पहल अनेक स्थान पर की गई है। नागरिक पौधा-रोपण कर रहे हैं। वृहद स्तर पर वृक्षा-रोपण से पर्यावरण सुधार के कार्य हो रहे हैं। ग्रामीण इंजीनियर तैयार करने और मध्यप्रदेश में भोपाल के ग्लोबल स्किल पार्क के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण का कार्य हुआ है। आज ऐसी अभिनव योजना को प्रारंभ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से युवकों को मिलने वाली सहायता की जानकारी भी दी।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि राष्ट्रीय महामंत्री श्री बीएल संतोष ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, तभी वे पलायन से बचेंगे। आज शिक्षकों, चिकित्सकों और अन्य पदों पर कार्य कर रहे लोग जनजातीय क्षेत्रों में कार्य की मन: स्थिति बनाने लगे हैं। यह जनजातीय वर्ग के हित में भी है। जनजातीय युवाओं से काफी आशाएँ हैं। तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर वे रोजगार का सशक्त माध्यम चुने, जो जनजातीय समाज की बेहतरी के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के मुताबिक जनजातीय वर्ग के लिये तकनीकी प्रशिक्षण परियोजना महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।

अध्यक्ष राष्ट्रीय जनजातीय मोर्चा श्री समीर उरांव ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित करने और रोजगार दिलवाने की यह महत्वपूर्ण योजना है। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में कलस्टर निर्माण कर कुछ ग्राम के समूह अथवा संकुल बनाकर कोर कमेटी के माध्यम से टीम तैयार की गई है। वनोत्पाद, खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में कौशल विकास और प्रशिक्षण से युवाओं को दक्ष बनाकर रोजगार सृजन के प्रयास किए जाएंगे।

तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि जनजातीय वर्ग को समाज की मुख्य-धारा से जोड़ने के लिए सभी को प्रयास करना है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा जनजातीय युवाओं को संसदीय संकुल परियोजना में तकनीकी प्रशिक्षण मिलना हितकारी सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम को शामिल करने की पहल की है। मध्यप्रदेश में कौशल विकास कार्यों को निरंतरता देते हुए अच्छे परिणाम प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रारंभ में भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री अतुल तिवारी ने परियोजना की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने बजाये जनजातीय बंधुओं के साथ वाद्य यंत्र

इसके पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार पहुँचने पर प्रदेश के विभिन्न जनजातीय बहुल क्षेत्रों से आए जनजातीय नर्तक बंधुओं से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्वागत किए जाने पर स्वयं भी जनजातीय कलाकारों के साथ वाद्य यंत्र बजाकर कार्यक्रम स्थल में प्रवेश किया। वंदे-मातरम के सामूहिक गान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सांसद श्री छतरसिंह दरबार, श्री जी.एस. डामोर, श्री गजेन्द्र सिंह पटेल, वनवासी परिषद के पदाधिकारी श्री सुरेश कुलकर्णी, श्री हितानंद शर्मा, अध्यक्ष रोजगार बोर्ड श्री शैलेंद्र शर्मा, श्री सतीश विश्वकर्मा, श्री संदीप कुलस्ते, श्री ओमप्रकाश धुर्वे, श्री कलसिंह भांवऱ, श्री दीपेश सोलंकी सहित जन-प्रतिनिधि और प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास श्री आकाश त्रिपाठी भी उपस्थित थे। संचालन श्री विवेक सावरीकर ने किया। क्रिस्प के एमडी डॉ. श्रीकांत पाटिल ने आभार माना।

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