धरती को अन्न उत्पादन के योग्य बनाए रखना है तो अपनाना होगी प्राकृतिक खेती : मुख्यमंत्री श्री चौहान
प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय रखने पर उपलब्ध कराए जाएंगे 900 रुपये प्रति माह
प्राकृतिक खेती किट खरीद पर 75 प्रतिशत की सहायता
राज्य में मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड गठित
मुख्यमंत्री श्री चौहान नीति आयोग की नवोन्वेषी कृषि पर राष्ट्रीय कार्यशाला में वर्चुअली हुए शामिल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हरित क्रांति में रसायनिक खाद के उपयोग ने खाद्यान्न की कमी को पूरा किया, परंतु अब इसके घातक परिणाम सामने आ रहे हैं। रसायनिक खाद एवं कीटनाशकों के उपयोग से धरती की सतह कठोर और मुनष्य रोग ग्रस्त होता जा रहा है। इसके उपयोग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जो प्राकृतिक खेती से ही संभव है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्राकृतिक खेती का विजन धरती के संरक्षण का विजन है। उनका आहवान हमारे लिए मंत्र है। यदि धरती माँ को रसायनिक खाद और कीटनाशकों से बचाना है और आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को रहने और अन्न उत्पादन के लायक बनाए रखना है, तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन किया गया है। प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए ग्राम स्तर तक वातावरण बनाने और इसमें किसानों की सहायता करने के लिए राज्य सरकार कई कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान नीति आयोग द्वारा नवोन्वेषी कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मंत्रालय से वर्चुअली शामिल हुए। आजादी के अमृत महोत्सव में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला को गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने संबोधित किया। प्रथम-सत्र नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. रवि कुमार की अध्यक्षता में हुआ। राज्यों में प्राकृतिक खेती पर हुए प्रथम तकनीकी-सत्र में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी वर्चुअली अपने विचार रखे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में 52 जिले हैं। प्रारंभिक रूप से प्रत्येक जिले के 100 गाँव में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी। वर्तमान खरीफ की फसल से प्रदेश के 5,200 गाँव में प्राकृतिक खेती की गतिविधियाँ आरंभ होंगी। वातावरण-निर्माण के लिए प्रदेश में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। मई माह में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में कृषि से जुड़े विभागों के अधिकारियों के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला की जायेगी। अब तक प्रदेश के 1 लाख 65 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती में रूचि दिखाई है। नर्मदा जी के दोनों ओर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिस प्रकार हरित क्रांति के लिए किसानों को रासायनिक खाद पर सबसिडी और अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई उसी प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देना और सहयोग करना आवश्यक है। प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय आवश्यक है। देसी गाय से ही प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक जीवामृत तथा धनजीवामृत बनाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को देसी गाय रखने के लिए 900 रुपये प्रति माह अर्थात 10 हजार 800 रूपए प्रतिवर्ष उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। प्राकृतिक खेती के मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विकासखंड में 5 पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक गाँव में किसान मित्र और किसान दीदी की व्यवस्था भी होगी, जो प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य करेंगे। कार्यकर्ताओं और मास्टर ट्रेनर को मानदेय भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती की अवधारणा को व्यवहार में लाने के लिए वे स्वयं 5 एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती प्रारंभ करेंगे। साथ ही राज्य मंत्रि-परिषद के सभी सदस्य और प्रदेश के किसानों से यह आहवान किया गया है कि वे अपनी-अपनी कृषि योग्य भूमि में से कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को अपनायें। इससे क्षेत्र के किसान प्रेरित होंगे और प्राकृतिक खेती के सकारात्मक परिणाम देखकर अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती को अपनाएंगे। मध्यप्रदेश प्राकृतिक खेती की दृष्टि से उपयुक्त है, यहाँ जनजातीय बहुल 17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में परंपरागत रूप से रसायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है।