मध्यप्रदेश कैबिनेट के महत्वपूर्ण निर्णय

हिमोग्लोबिनोपैथी (सिकल सेल एनीमिया एवं थैलीसीमिया) निदान कार्यक्रम की नवीन योजना स्वीकृत

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद के निर्णय

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में निर्णय लिया कि राज्य हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन योजना की स्वीकृति एवं निरंतरता प्रदाय की जाये। योजना से सिकल सेल रोगियों की रूग्णता और मृत्यु-दर को कम करने तथा हिमोग्लोबिनोपैथी के प्रसार को रोकने के लिए जेनेटिक कॉउंसलिंग, सिकल सेल एनीमिया, थैलीसिमिया और अन्य हिमोग्लोबिनोपैथी विकास के लिये समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग कर बीमारी की पहचान कर आवश्यक प्रबंधन सुनिश्चित किया जायेगा। प्रदेश में हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन का गठन जून 2021 में किया गया था। योजना का विस्तार प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखण्डों में किया जायेगा। योजना वर्ष 2022-23 से 2023-24 में क्रियान्वित होगी।

विशेष भर्ती अभियान की समय-सीमा में वृद्धि

मंत्रि-परिषद ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों तथा निःशक्तजनों के बैकलॉग/कैरीफारवर्ड पदों की पूर्ति के लिए विशेष भरती अभियान की समय-सीमा में एक जुलाई 2022 से 30 जून, 2023 तक एक वर्ष की वृद्धि को मंजूरी दी।

पी.जी. सीट वृद्धि

मंत्रि-परिषद ने चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में पी.जी. सीट वृद्धि के लिये 116 करोड़ 90 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल के विभिन्न विभाग में चिकित्सा क्षेत्र के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिये कुल 134 पी.जी. सीटस की वृद्धि होगी, जिससे प्रदेश को प्रतिवर्ष अतिरिक्त संख्या में विषय-विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हो सकेंगे।

पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर में निर्माणाधीन 1000 बिस्तरीय अस्पताल के लिये पूर्व में जारी प्रशासकीय स्वीकृति राशि 338 करोड़ 46 लाख रूपये के स्थान पर राशि 397 करोड़ 5 लाख रूपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।

सुरक्षा संचालन केन्द्र की स्थापना

प्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश स्टेट डाटा सेन्टर (MPSDC) संचालित है। मंत्रि-परिषद ने राज्य में मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम में स्टेट डाटा सेन्टर अंतर्गत एप्लीकेशन्स/डाटा की सुरक्षा के लिये सुरक्षा संचालन केन्द्र (Security Operations Centre) स्थापित करने का निर्णय लिया। स्टेट डाटा सेन्टर में विभिन्न विभागों के संचालित/संधारित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन्स एवं उनसे सम्बन्धित संवेदनशील एवं अन्य डाटा की साइबर सुरक्षा के लिये राज्य में एक सुरक्षा संचालन केन्द्र का संचालन प्रबंधित सुरक्षा सेवा प्रदाता (MSS प्रदाता) मॉडल पर संचालित किया जायेगा। सुरक्षा संचालन केन्द्र (SOC) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लि. (एमपीएसईडीसी) के अंतर्गत मध्यप्रदेश स्टेट डाटा सेन्टर (MPSDC) में राज्य कम्प्यूटर सिक्योरिटी इंसीडेंट रेस्पान्स आपरेशन सेन्टर CSIRT को प्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करेगा। सुरक्षा संचालन केन्द्र (SOC), नेटवर्क ऑपरेशन केन्द्र (NOC) के समान ही आईटी ऑपरेशन टीम की एक इकाई है, जो नेटवर्क ऑपरेशन केन्द्र (NOC) से सहयोग कर क्रियान्वित रहती है। सुरक्षा संचालन केन्द्र के सदस्य सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न आई.टी. सुरक्षा तंत्र अधो-संरचना और उसके ऑपरेशन के कार्य निष्पादित करते हैं। नेटवर्क ऑपरेशन केन्द्र (NOC) के साथ एस.ओ.सी. (SOC) द्वारा भी इंफ्रा टीम के आदेशों का दैनंदिन पालन करते हुए आईटी सुरक्षा के विभिन्न लक्ष्य की पूर्ति करेगा। प्रदेश में स्टेट डाटा सेन्टर में एप्लीकेशन्स एवं एप्लीकेशन होस्ट संबंधी गंभीर जोखिमों से बचने में सुरक्षा संचालन केन्द्र (SOC) सहायक के रूप में कार्य करेगा।

मध्यम सिंचाई परियोजना

मंत्रि-परिषद द्वारा सतना जिले की दौरीसागर मध्यम सिंचाई परियोजना लागत राशि 227 करोड़ 56 लाख रूपये सैंच्य क्षेत्र 7,200 हेक्टेयर की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। परियोजना से सतना जिले की मझगवां तहसील के 15 ग्रामों के 7200 हेक्टेयर रकबे में भूमिगत पाइप लाइन द्वारा प्रेशराइज्ड पद्धति से रबी सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी एवं मंदाकिनी नदी के सतत प्रवाह के लिये आवश्यक जल उपलब्ध होगा।

पदों की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने व्यवसायिक महाविद्यालय, राजगढ़ के लिये 30 शैक्षणिक एवं 43 गैर- शैक्षणिक पदों (कुल 73 पदों) एवं वार्षिक आवर्ती व्यय 4 करोड़ 96 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की।

स्टाम्प ड्यूटी में छूट

मंत्रि-परिषद द्वारा वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 में जारी की गयी अधिसूचना क्रमांक एफ बी-04-08-2020-2-पाँच (35), 23 जुलाई 2020 द्वारा दी गयी रियायतों को पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना में दिये जाने वाले 20 हजार रूपये तक के ऋणों के लिये विस्तारित करने का निर्णय लिया गया। हितग्राहियों को दस्तावेजों पर देय स्टाम्प शुल्क 10 रूपये नियत किया गया।

मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2019 में संशोधन

मंत्रि-परिषद ने औद्योगिक नीति निवेश प्रोत्साहन विभाग के अधीन विकसित/विकासाधीन एवं अविकसित भूमि के उचित एवं कुशल प्रबंधन के लिये नवीन मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2019 संशोधित करने का निर्णय लिया। इसमें कंण्डिका 12 (ii) स में औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि/भवन का आवंटन पारदर्शी एवं निष्पक्ष रूप से होने के साथ ही राजस्व में बढ़ोत्तरी हो, इसके लिये प्रथम आओ प्रथम पाओं के स्थान पर ई-बिडिंग प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। कण्डिका 12 (ii) (द), कण्डिका 13(ii). कण्डिका 13 (III), कण्डिका 13 (v) मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम में अधिसूचित सेवा के अनुसार आशय-पत्र, आवंटन आदेश, पट्टाभिलेख निष्पादन, आधिपत्य आदि की समय-सीमा में संशोधन किया गया है। कण्डिका 13(vii) चिन्हित औद्योगिक क्षेत्रों में रिक्त भू-खण्ड के लिये किश्तों में भुगतान करने के लिये प्रावधान किया गया है। कण्डिका 19 (ब) (II) हस्तांतरण प्रकरणों में 25 प्रतिशत निवेश राशि के साथ न्यूनतम राशि रूपये 50 करोड़ के विकल्प को शामिल किया गया एवं प्रस्तावित परियोजना में किये गये निवेश की स्थिति अनुसार पृथक-पृथक हस्तांतरण शुल्क का प्रावधान किया गया है। कण्डिका 20 को पुनरीक्षित करते हुए कंडिका 20(अ) एवं 20 (ब) किया गया है। कंडिका 20(अ) में कार्यरत इकाइयों की अनुपयोगी भूमि के हस्तांतरण के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल को 500 वर्गमीटर के स्थान पर 1000 वर्गमीटर एवं कडिका 20 (ब) में बंद इकाइयों की अनुपयोगी भूमि के विभाजन एवं हस्तांतरण के लिये प्रावधान किया गया है। कंडिका 24 (अ) भू-खण्ड का समर्पण किए जाने की स्थिति में प्रत्याजी के साथ विकास शुल्क वापसी संबंधी प्रावधान को स्पष्ट करते हुए लघु उद्योग के प्रकरण में 6 वर्ष की समयावधि के बाद तथा मध्यम एवं वृहद उद्योग के प्रकरण में 7 वर्ष के बाद परंतु 9 वर्ष के पूर्व समर्पण करने पश्चात भी प्रब्याजी राशि वापस करने का प्रावधान किया गया है। कंडिका 34 उद्योग अनुषांगिक प्रयोजन के लिये भूमि आवंटन की अधिकारिता संचालक मण्डल को प्रत्यायोजित की गई है।

मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में संशोधन

मंत्रि-परिषद द्वारा खनिज साधन विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम 2016 में प्रस्तावित संशोधन के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया। इसमें जिला खनिज प्रतिष्ठान बोर्ड एवं कार्यकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में जिला कलेक्टर को रखा जाएगा। बोर्ड एवं कार्यकारी समिति में सदस्य के रूप में लोक सभा तथा मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्य के साथ राज्य सभा के सदस्य को भी शामिल किया जाएगा। मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में वर्तमान में जिला खनिज प्रतिष्ठान में जमा राशि का नियम 13 (2) (ड) अनुसार राज्य खनिज निधि में अंतरित करने का प्रावधान है। भारत सरकार के निर्देशानुसार राज्य खनिज निधि का प्रावधान समाप्त किया जा रहा है। अत: पूर्व में जिला खनिज प्रतिष्ठान अंतर्गत राज्य खनिज निधि में जमा राशि का उपयोग किये जाने के लिये नियमों में प्रावधान किया गया है। उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सुधार मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में किये गये हैं। प्रतिष्ठान के उद्देश्य अनुसार खनन प्रभावित क्षेत्रों में विविध विकासात्मक एवं कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर सृजित हो सकेंगे।

गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन

मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया। वर्तमान में नियमों में ई-निविदा से उत्खनन पट्टा प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित है। अब ई-निविदा से उत्खनि पट्टा एवं समेकित अनुज्ञप्ति पृथक- पृथक आवंटित करने का नियमों में संशोधन किया गया है। निजी भूमि में वर्तमान नियम में अनुसूची-पाँच के उत्खनन पट्टा भूमि-स्वामी अथवा उसके सहमति धारक को आवंटित करने का प्रावधान है। वर्तमान प्रावधान में उत्खनन पट्टा ग्रांट करने से पूर्व भूमि-स्वामी को पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति का कार्य करना भी अनिवार्य किया गया है। वर्तमान निर्धारित प्रक्रिया समेकित अनुज्ञप्ति ही है, इसलिये नियमों में निजी भूमि पर उत्खनन पट्टा प्रदान करने के शब्द के स्थान पर समेकित अनुज्ञप्ति का शब्द समाविष्ट किया जाना प्रावधानित किया गया है। वर्तमान नियमों में शासकीय विभाग की अनुमति से सरकारी तालाब एवं अन्य संरचनाएँ तथा ग्राम पंचायत की अनुमति से उनके द्वारा निर्मित / संधारित तालाब एवं अन्य संरचनाओं से निकलने वाली कीचड़, गाद पर स्वयं के कार्यों के उपयोग के लिये रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं है। अब निकलने वाली कीचड़, गाद के साथ मिट्टी पर भी रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी। वर्तमान नियमों में उत्खनन पट्टा के लिये वर्ष के प्रथम माह की 20 तारीख तक देय अग्रिम मृत कर राशि एक मुश्त जमा करने का प्रावधान है। अब यह राशि अग्रिम दो किश्तों में पट्टाधारियों से जमा कराये जाने के प्रावधान किये गये हैं। अनुसूची एक, अनुसूची-दो एवं अनुसूची-पाँच में विनिर्दिष्ट खनिजों के शोध्यों (अनिवार्य भाटक, स्वामित्व, भूतल भाटक, जिला खनिज प्रतिष्ठान की राशि व अन्य देय राशि) के विलंब भुगतान पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज का भुगतान किया जा सकेगा। उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सुधार मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में किये गये हैं, जिससे प्रदेश में खदानों के आवंटन में गति लाने, प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने तथा खनिज राजस्व में वृद्धि के साथ रोजगार सृजन के अवसर उत्पन्न हो सकेंगे।

मण्डी फीस की प्रतिपूर्ति

प्रदेश के निर्यात को प्रोत्साहन देने और किसानों को उनकी उपज गेहूँ के बेहतर मूल्य दिलाने एवं राष्ट्रीय निर्यातकों/कृषि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये पात्र निर्यातकों को मंडी फीस की प्रतिपूर्ति की जाना है। इस के लिये “गेहूँ” के निर्यातकों को गेहूँ क्रय में भुगतान की गई मंडी फीस की प्रतिपूर्ति के संबंध में प्रस्तावित योजना एवं परिप्रेक्ष्य में निर्यातकों के लिए स्पष्ट प्रावधान करने के लिये कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 (क्रमांक 24. सन 1973) के अधीन राज्य शासन द्वारा निर्मित नियम “मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी” (एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिए विशेष अनुज्ञप्ति) नियम, 2009 में संशोधन की कार्यवाही के लिये निर्णय लिया गया। तदनुसार प्रशासकीय विभाग द्वारा कार्यवाही की जायेगी।

संपत्ति का निर्वर्तन

मंत्रि-परिषद द्वारा राजस्व विभाग की ग्राम भातखेड़ी जिला ग्वालियर, मध्य प्रदेश स्थित भूमि परिसम्पत्ति जिसका सर्वे नं. 33/2 कुल रकबा 4915 वर्गमीटर के निर्वर्तन के लिये एच-1 निविदाकार निविदा राशि 7 करोड़ 17 लाख 358 रूपये मात्र जो कि रिजर्व मूल्य राशि 6 करोड 3 लाख रूपये से अधिक है, का अनुमोदन करते हुए उसे विक्रय करने एवं H-1 निविदाकार द्वारा निविदा राशि का 100 प्रतिशत जमा करने के बाद अनुबंध /रजिस्ट्री की कार्यवाही जिला कलेक्टर द्वारा किए जाने का निर्णय लिया गया।

मंत्रि-परिषद द्वारा राजस्व विभाग की खादी ग्रामोद्योग बोर्ड तहसीत राऊ जिला इंदौर स्थित भूमि परिसम्पत्ति जिसका खसरा क्रमांक 566 पैकी 569 (पैकी) तथा 597/1 (पैकी) कुल रकबा 310 वर्गमीटर है, के निर्वर्तन हेतु H-1 निविदाकार उच्चतम निविदा राशि 3 करोड़ 81 लाख रूपये मात्र, जो रिजर्व मूल्य राशि 20 लाख रूपये से अधिक है, का अनुमोदन करते हुए उसे विक्रय करने एवं H-1 निविदाकार द्वारा निविदा राशि का 100 प्रतिशत जमा करने के बाद अनुबंध, रजिस्ट्री की कार्यवाही जिला कलेक्टर द्वारा किये जाने का निर्णय लिया गया।

बीज फार्म स्थापना के लिये भूमि आवंटन

मंत्रि-परिषद ने केन्द्रीय “कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्रालय को बीज फार्म स्थापित करने के लिए जिला मुरैना में 4 ग्रामों में स्थित क्रमशः ग्राम मौजा जाखौना कुल किता 50 रकबा 339.104 हेक्टेयर, ग्राम रिठौराखुर्द कुल किता 59 रकबा 201.247 हेक्टेयर, ग्राम गडौरा कुल किता 27 रकबा 134.91 हेक्टेयर में से 111.31 हेक्टेयर एवं ग्राम गोरखा कुल किता 37 रकबा 233.683 हेक्टेयर कुल रकबा 885.344 हेक्टेयर शासकीय भूमि निःशुल्क प्रीमियम तथा एक रूपये वार्षिक भू-भाटक लेकर आवंटित करने का निर्णय लिया।

राजस्व विभाग

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 का अनुमोदन किया। विधेयक को विधानसभा में पुर: स्थापित कर पारित कराने की सभी आवश्यक कार्यवाही करने के लिये राजस्व विभाग को अधिकृत किया गया।

अन्य निर्णय

मंत्रि-परिषद ने भारत-ओमान रिफायनरी लिमिटेड द्वारा उत्पादित नेफ्था के उपयोग से एम.ओ.यू. के अनुसार फर्स्ट राइट ऑफ रिफयूजल के अधीन 19 नवम्बर 2020 से 5 वर्षों तक नेफ्था के उपयोग एवं ट्रेडिंग की सहमति प्रदान की।

 

 

 

 

 

 

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