मध्यप्रदेश विधानसभा में राज्‍यपाल के अभिभाषण पर प्रस्‍तुत हुये कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव संशोधनों पर चर्चा शुरू, विभिन्न मंत्रियों द्वारा अपने -अपने विभागों के प्रतिवेदन पटल पर रखे कई विधेयकों को सदन में अनुमति मिली, शासकीय कार्य भी हुए

मध्यप्रदेश विधानसभा समीक्षा – आलेख -सरमन नगेले

मध्यप्रदेश विधान सभा में बुधवार, 24 फरवरी को सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चली,आज सदन में प्रश्नकाल, राज्‍यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों, ध्यानाकर्षण, कई विधेयकों को सदन में अनुमति देने के साथ राज्‍यपाल के अभिभाषण पर प्रस्‍तुत हुये कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव संशोधनों पर चर्चा, समेत विभिन्न मंत्रियों द्वारा अपने -अपने विभागों के प्रतिवेदन पटल पर रखे और अन्य शासकीय कार्य भी सम्पन्न हुए

भोपाल, 24 फरवरी 2021। मध्यप्रदेश विधान सभा बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2021विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे जैसे ही समवेत हुई स्पीकर गिरीश गौतम ने सदस्‍यों से अनुरोध किया कि उनका आज पहला दिन है और मैं चाहता हूँ कि 18 वें, 20 वें एवं 25 वें नम्‍बर पर भी जो तारांकित प्रश्‍न लगे हैं, उन माननीय विधायकों का भी नम्‍बर आए. इसलिए जो पहले, दूसरे और तीसरे नम्‍बर पर हैं, उनको भी सावधानी बरतने की जरूरत है, जिससे कि उनका भी नम्‍बर आ सके।

प्रश्नकाल प्रारंभ करते हुए स्पीकर ने सदस्य का नाम पुकारा तारांकित प्रश्नोत्तर के मौखिक उत्‍तर के अंतरगत बरगी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत निर्माण कार्यों की स्‍वीकृति श्री संजय यादव ने कहा बरगी विधानसभा क्षेत्र के पर्यटन विकास के लिये 199.41 लाख रूपये की स्‍वीकृति दी थी, एक तो तीस प्रतिशत काम बिलों में लिया गया, उसके बाद चलते काम से 99 लाख की कटौती कर दी गई है, उक्‍त स्‍थल बड़ा देव आदिवासियों की आस्‍था का केंद्र है. मेरे पास सूची है सिर्फ पुराना पानी बड़ा देव मंदिर के पास विकसित पर्यटन केंद्र में ही सरकार के पास पैसों की कमी आ गई, क्‍या सिर्फ एक काम में कटौती कर दी गई, ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी सरकार जनजाति विरोधी सरकार है, आदिवासी विरोधी सरकार है।

पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने अपने उत्तर में बताया की कोविड -19 की विसंगतियों ने बजट की देयता को लेकर यह निर्णय लिया है और मैं आपको बता देना चाहती हूँ कि ऐसा नहीं है कि जनजाति क्षेत्र के इन स्‍थलों का हम विकास नहीं करना चाहते हैं, निश्चित रूप से करेंगे ही और राशि जो 199.41 लाख रूपये में से वित्‍तीय प्रगति में 73 लाख खर्च हुये हैं और कार्य की भौतिक स्थिति फिनीशिंग स्‍तर पर है फिर आप ऐसे निराधार आरोप नहीं लगाईये और आप पिन प्‍वाइंटेड प्रश्‍न पूछेंगे तो बहुत बेहतर होगा।

प्रश्नकाल में आज श्री कुणाल चौधरी,श्री शैलेन्द्र जैन श्री प्रियव्रत सिंह, श्री बाला बच्चन, श्री प्रागीलाल, जाटव डॉ. सतीश सिकरवार के संबंधित मंत्रियों ने जबाब दिए प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए

नियम 267-क के अधीन अध्‍यक्ष ने कहा की डॉ. सतीश सिंह सिकरवार श्री दिलीप सिंह गुर्जरइंजी प्रदीप लारिया श्री यशपाल सिंह सिसौदिया श्री विजय रैवनाथ चौरे श्री दिलीप सिंह परिहारआलोक चतुर्वेदीडॉ. हिरालाल अलावा श्री धर्मेन्‍द्र भावसिंह लोधी श्री शैलेन्‍द्र जैन की शून्‍यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी. इसके बाद (क) मध्‍यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2020),(ख) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 12 सन् 2020),(ग) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 13 सन् 2020),(घ) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) संशोधन अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 14 सन् 2020),(ङ) मध्‍यप्रदेश धार्मिक स्‍वतंत्रता अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 1 सन् 2021),(च) मध्‍यप्रदेश हाई स्‍पीड डीजल उपकर (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 3 सन् 2021),(छ) मध्‍यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 4 सन् 2021),(ज) मध्‍यप्रदेश वेट (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021),(झ) पंडित एस.एन.शुक्‍ला विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 6 सन् 2021),(ञ) डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 7 सन् 2021),ट) मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 8 सन् 2021),ठ) मध्‍यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 9 सन् 2021),(ड) मध्‍यप्रदेश राज्‍य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 10 सन् 2021),(ढ) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्‍यादेश, (2020 (क्रमांक 11 सन् 2021), तथा (ण) मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021,विधि और विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)–ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार (क) मध्‍यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2020), (ख) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 12 सन् 2020), (ग) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 13 सन् 2020),(घ) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) संशोधन अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 14 सन् 2020), (ङ) मध्‍यप्रदेश धार्मिक स्‍वतंत्रता अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 1 सन् 2021), (च) मध्‍यप्रदेश हाई स्‍पीड डीजल उपकर (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 3 सन् 2021),(छ) मध्‍यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 4 सन् 2021),(ज) मध्‍यप्रदेश वेट (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021), (झ) पंडित एस.एन.शुक्‍ला विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 6 सन् 2021),(ञ) डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 7 सन् 2021),(ट) मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 8 सन् 2021),(ठ) मध्‍यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 9 सन् 2021),(ड) मध्‍यप्रदेश राज्‍य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 10 सन् 2021),(ढ) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्‍यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2021), तथा (ण) मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2021 (क्रमांक 12 सन् 2021). पटल पर रखे गये।

सज्‍जन सिंह वर्मा, सदस्‍य के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया।

सदन में आज (1) मध्‍यप्रदेश राज्‍य वन विकास निगम लिमिटेड का 44 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2018-2019 वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश राज्‍य वन विकास निगम लिमिटेड का 44 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2018-2019, (2) (i) मध्‍यप्रदेश सरकार के वित्‍त लेखे वर्ष 2018-2019 खण्‍ड-I एवं II , तथा (ii) विनियोग लेखे वर्ष 2018-2019, एवं (ख) मध्‍यप्रदेश राजकोषीय उत्‍तरदायित्‍व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 11 की उपधारा (1) एवं उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार-i) वित्‍तीय वर्ष 2019-2020 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्‍यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, एवं (ii) वित्‍तीय वर्ष 2020-2021 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्‍यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण तथा वक्‍तव्‍य वित्‍त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने (क) भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 151 के खण्‍ड (2) की अपेक्षानुसार –(i) मध्‍यप्रदेश सरकार के वित्‍त लेखे वर्ष 2018-2019 खण्‍ड-I एवं II , तथा (ii) विनियोग लेखे वर्ष 2018-2019, एवं (ख) मध्‍यप्रदेश राजकोषीय उत्‍तरदायित्‍व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 11 की उपधारा (1) एवं उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार-(i) वित्‍तीय वर्ष 2019-2020 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्‍यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, एवं (ii) वित्‍तीय वर्ष 2020-2021 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्‍यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण तथा वक्‍तव्‍य पटल पर रखा गया । इसके बाद मध्‍यप्रदेश स्‍टेट सिविल सप्‍लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 43 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश स्‍टेट सिविल सप्‍लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 43 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 पटल पर रखा।

भू-सम्‍पदा विनियामक प्राधिकरण मध्‍यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020 नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्‍द्र सिंहने द रियल स्‍टेट (रेग्‍युलेशन एण्‍ड डेव्‍हलपमेंट) एक्‍ट, 2016 (क्रमांक 16 सन् 2016) की धारा 77 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार भू-सम्‍पदा विनियामक प्राधिकरण मध्‍यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020 पटल पर रखा। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019 किसान कल्‍याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने , राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 4 सन् 2009) की धारा 42 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019 पटल पर रखा।

तत्पश्चात सितम्बर, 2020 सत्र की स्थगित बैठकें दिनांक 22.09.2020, 23.09.2020 एवं दिसम्बर, 2020 निरस्त सत्र की बैठकें दिनांक 28, 29, एवं 30 दिसम्बर, 2020 की प्रश्‍नोत्तर सूचियाँ तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्‍तरों के पूर्ण उत्‍तरों का संकलन खण्ड-5 एवं 6 पटल पर रखा।

नियम 267-क के अधीन सितम्बर, 2020 सत्र में सदन में पढ़ी गई सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा।

राज्‍यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों की सूचना सदन में दी गई।

इसके बाद सदन में पहले ध्‍यानाकर्षण सूचना के जरिये सागर जिले के कड़ान मध्‍यम सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र की भूमि का मुआवजा न दिया जाना का मामला इन्‍जी. प्रदीप लारिया उठाया। नेता प्रतिपक्ष, श्री कमलनाथ के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यों द्वारा नारे लगाते हुए सदन में प्रवेश किया गया.

मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने अपने जबाव में कहा, अतिशीघ्र कहा है इसमें सब कुछ आ जाता है. इसके बाद भी आपको कोई दिक्कत पड़ेगी तो मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर लूंगा. श्री नीलांश चतुर्वेदी जी अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना के द्वारा उठाये गए मामले पर मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने कहा चित्रकूट वह स्‍थान है जो पवित्र है और रामजी के नाम से जाना जाता है, उसको सब प्रणाम करते हैं और यहां पवित्र नदी है।

सदस्‍य ने जो बात उठाई है, उसमें हमारी जो लागत 6.20 करोड़ रुपये है, जिसका निर्माण कार्य सन् 2013 में दिनांक 26.4.2013 को प्रारंभ हो चुका था. भूमि विवाद के कारण उसको रोका गया था और सन् 2015 में भूमि का अलॉटमेंट किया गया और दिनांक 5.7.2017 को जो बाढ़ आई थी, वह उसमें क्षतिग्रस्‍त हो गया था. इस योजना को अभी 2019 में पूर्ण कर लिया गया है और जो द्वितीय कार्य चलने वाला है और सन् 2021 तक इसका कार्य पूर्ण हो जायेगा तथा जो भी कमी है, उसको पूरा कर लिया जायेगा. सन् 2021 तक उसके पूर्ण होने की संभावना है। चर्चा में डॉ. गोविन्‍द सिंह श्री जितू पटवारी नेता प्रतिपक्ष श्री कमल नाथ संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्र श्री पी.सी. शर्मा एवं श्री तरुण भनोत ने भाग लिया।

सदन में आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी सदस्‍यों की याचिकाएं प्रस्‍तुत की गई मानी गईं।

बाद में मध्यप्रदेश विधान सभा के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 55-दमोह से निर्वाचित सदस्य, श्री राहुल सिंह द्वारा विधान सभा में अपने स्थान का त्याग करने की सूचना सदन मेंदी गई।

अध्‍यक्ष ने मध्‍यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं, निम्‍न‍िलिखत सदस्‍यों को सभापति तालिका के लिये 1. श्री लक्ष्‍मण सिंह, 2. श्रीमती झूमा सोलंकी, 3. श्री रामलाल मालवीय, 4. श्री केदारनाथ शुक्‍ल, 5. श्रीमती नीना वर्मा, 6. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया का नाम निर्दिष्‍ट किया।

सदन में आज शासकीय विधि विषयक कार्य के तहत विधि और विधायी मंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रने सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 के पुर:स्‍थापन किया जिसे बाद में अनुमति प्रदान की गई।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्‍द्र सिंह ने मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी मांगी जिसे सदन ने प्रदान की।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्रीश्री भूपेन्‍द्र सिंह ने मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्‍थापन की अनुमति मांगी
सदन ने अनुमति प्रदान की।

वाणिज्यिक कर मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने मध्‍यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्‍थापन की अनुमति मांगी सदन ने अनुमति प्रदान की।

वाणिज्यिक कर मंत्री श्री जगदीश देवड़ाने मध्‍यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021) के पुर:स्‍थापन की अनुमति मांगी सदन ने अनुमति प्रदान की।

राज्‍यपाल के अभिभाषण पर प्रस्‍तुत हुये कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव संशोधनों पर चर्चा डॉ. सीतासरन शर्मा जी कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारंभ करते हुए कहा की अभी आपने स्‍वयं कहा वास्‍तव में महामहिम राज्‍यपाल का अभिभाषण सरकार ने जो पहले कुछ कार्य किये हैं उनका संक्षिप्‍त विवरण और आगे क्‍या करने वाली है इसका विवरण होता है और फिर जो कुछ भी इसमें आता है उसको मूर्त रूप देने के लिये बजट में प्रावधान किये जाते हैं, अध्‍यक्ष महोदय, यह एक विशेष अवसर भी आज है क्‍योंकि एक ऐसा संयोग आया है कि दोनों सरकारों की समीक्षा इसी कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव पर होगी, ऐसा पहली बार हुआ है, या तो वही सरकार आ जाती है तो चलता रहता है या दूसरी आती है तो उस पर, यहां ऐसा हुआ कि एक सरकार गई उसके 15 महीने निकले दूसरी सरकार आई उसके 11 महीने निकले और अब कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा हो रही है, क्‍योंकि वर्ष 2020 में तो आपने कुछ दिया ही नहीं इसलिये इस पर चर्चा नहीं हो पाई, कोरोना काल भी आ गया था और आप भी चले गये थे और इसलिये 15 महीने और 11 महीने की तुलना भी इसमें की जायेगी और दोनों के, यह पुराना 2019 का आपका विजन डाक्‍यूमेंट राज्‍यपाल का अभिभाषण रखा है उस पर भी बातचीत करेंगे.

इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कहा अगर यही परम्परा रही और सम्मानित सदस्य को नहीं बोलने देंगे और हम अगर ऐसा करेंगे तो फिर आप आपत्ति तो नहीं करेंगे. सबको अवसर मिलेगा, अपनी बात कहें. यही तो स्थान है, जहां दोनों पक्ष बोलते हैं.

अध्यक्ष ने सदस्यों से अनुरोध है कि इसमें दोनों पक्षों को बोलना है. 8-10 माननीय सदस्य आपकी तरफ से हैं और 8-10 माननीय सदस्य इस तरफ से हैं. यदि आपने टोका-टोकी की, तो फिर उनको कैसे रोकेंगे हम और हमने आपको वचन दिया है आपके संरक्षण का और अगर आप मदद करेंगे, तब तो हम आपका संरक्षण कर पायेंगे. आप बात नहीं सुनेंगे, तो संरक्षण कैसे होगा. इसलिये मेरा आग्रह है कि आपका समय आयेगा और यदि आप चाहते हैं कि इसमें किसी तरह से वाकई में कोई विचार मंथन हो, तो दोनों पक्ष शांति से सुनिये और फिर अपनी बात करिये, जब आपका अवसर आयेगा, तब अपनी बात कहिये, जो आपको कहनी हो।

डॉ. सीतासरन शर्मा – वर्ष 2019 का इनका यह राज्यपाल महोदय का अभिभाषण है. वर्ष 2019 के अभिभाषण में इनकी सरकार थी, यह नये नये आए थे. इसलिए पीछे कुछ कहने को तो था ही नहीं. जो वर्ष 2003 का नतीजा था, वह तो कुल 230 में से आपको जनता ने 38 सदस्य दिये थे, तो मैदान साफ था. इन्होंने लिखा उसमें कि पिछली सरकार की ऐसी योजनाएं जो किसान एवं आम नागरिकों के हित में हैं अब प्रासंगिक नहीं रह गई हैं, उनकी समीक्षा कर शासकीय धन का अपव्यय रोका जाएगा. अब जरा कौन-सी योजनाएं रोंकी, वह आप सुन लीजिए. बच्चों के लेपटॉप रोक दिये? (शेम-शेम की आवाज)..ये करने बैठे थे आप? ये योजनाएं काम की नहीं थीं. इस प्रदेश का बच्चा पढ़ जाए. आधुनिक रूप से आगे निकल जाय, ये आपके मन में नहीं था. 25-25 हजार रुपये हमारे मुख्यमंत्री जी देते थे. आपने रोक दिये. इस साल फिर दे दिये. शिवराज सिंह जी बैठे और कहा कि बच्चों पढ़ो, आधुनिक शिक्षा लो. अब बैलगाड़ी युग में नहीं रहना है। संबल योजना को बंद कर दिया, इनको अनुपयोगी समझ आई. नई सरकार आई, हमारे मुख्यमंत्री जी की, संबल योजना फिर से शुरू की. आपने तो संबल कार्ड निरस्त कर दिये थे जिनके कार्ड बने थे, जो संबल योजना फिर प्रारंभ की, वर्ष 2020-21 के वित्तीय वर्ष में 51000 हितग्राहियों को 456 करोड़ रुपए उनके खाते में डाले.. आपने भैया जो 456 करोड़ रुपये बचाए थे, उसका क्या किया? वही बता दो. आप कह रहे हैं कि मितव्ययिता कर रहे थे. आपने इस रुपये का क्या किया? जो आपने मजदूरों को नहीं देने दिये, जो आपने महिलाओं को नहीं देने दिये, इस रुपये का किया क्या? और लेपटॉप के पैसे आप रखकर बैठ गये, उसका आपने क्या किया?-आपको तो कोई अधिकारी ही नहीं है बोलने का. जब सरकार ने योजना बंद की थी, तब बोल देते एकाध बार. हमारे प्रधानमंत्री जी ने नया विज़न दिया आत्मनिर्भर भारत का और उसी आधार पर हमारे मुख्यमंत्री जी आगे आये सबसे पहले रोड मैप बनाया आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का, उसके चार कंपोनेंट रखे, यह विजन होता है. यह चार सौ छप्पन करोड़ कहां से आये हैं,अभी और बतायेंगे कहां कहां के आपने रोक रखे थे, यह जो पेज आपने लिखा है न राज्यपाल जी के अभिभाषण में कि हमने अनुपयोगी योजना रोक दी हैं. दो तो मैं बता चुका हूं तीसरी पर आता हूं जरा धीरज रखें।

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश इसके चार कंपोनेंट हैं यह विजन है भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, अर्थव्यवस्था एवं स्वरोजगार यह चार कंपोनेंट हैं, जिनके आधार पर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की नींव रखी जायेगी. गांवों का विकास भी करना है. इ सलिए जब अटल जी आये तब प्रधानमंत्री सड़क और मुख्यमंत्री शिवराज जी के आने पर मुख्यमंत्री सड़क बनना शुरू हुई हैं. अब ग्रामीण क्षेत्र की आबादी की मैपिंग हो रही है. उनको अधिकार पत्र दिये जायेंगे, कहां थे 70 साल से आप लोग. गांव की जनता दिखती थी या नहीं दिखती थी. यह काम आप भी तो कर सकते थे लेकिन नहीं किया, क्या करना है हम तो सत्ता में बैठे हैं और एक नेता जी हैं हमारे उनके नाम पर हम चुनाव जीत जायेंगे, अब देखें 40-45 सीट आ रही है. सिंचाई, यह भी किसान से संबंधित है. आपने एकाध फुट सिंचाई की व्‍यवस्‍था एक साल में की है ? एकाध फुट कह रहा हूं. यहां तो 7 लाख से 41 लाख हैक्‍टेयर पर आ गये और अब हमारा 65 लाख हैक्‍टेयर का लक्ष्‍य है. ग्रमीण क्षेत्र में एक और बड़ा काम हुआ है और वह था फीडर सैपरेशन का, क्‍योंकि थ्री फेस लाईन देते थे तो गांव में नहीं रहती थी और तब पुरानी सरकार माननीय दिग्विजय सिंह जी की थी, तब माननीय गोपाल भार्गव जी ने एक प्रश्‍न उठाया था कि ग्रामीण क्षेत्र में बिजली नहीं रहती है तो क्‍या आप वहां के बच्‍चों को बोनस अंक देंगे. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने आते से ही उसकी व्‍यवस्‍था की और कहा फीडर सैपरेशन करो, हम सिंगल लाईन देकर, सिंगल फेस देकर गांव में पूरे समय बिजली देंगे. यह है विज़न. इसको कहते हैं विज़न।

इसके बाद मुख्यविपक्षी दल मध्यप्रदेश विधान सभा में कांग्रेस विधायक दल नेता प्रतिपक्ष श्री कमल नाथ ने अपनी बात रखते हुआ कहा की , मैं बड़ी गंभीरता से डॉ.सीतासरन जी को सुन रहा था, समझने की कोशिश भी कर रहा था. मैंने बहुत सारे राष्‍ट्रपति और राज्‍यपाल के भाषण सुने हैं उनका जवाब भी सुना है उनकी बहस भी हुई है और उस बहस में लोक सभा में मैंने भाग भी लिया और जब मैं सीतासरन जी को सुन रहा था, मेरा प्रयास था कि किस गंभीरता से उन्‍हें लिया जाए, उस पर मैं बाद में आऊंगा. किसी भी राज्‍य में राज्‍यपाल का अभिभाषण राज्‍य सरकार की दिशा और दृष्टि को प्रस्‍तुत करना होता है. यह परम्‍पराएं हर राज्‍य में हैं. लोक सभा में है. दिशाहीन और दृष्टिवि‍हीन है यह जो राज्‍यपाल का अभिभाषण था. मुझे दया आती है राज्‍यपाल पर कि उन्‍हें ऐसा भाषण पढ़ना पड़ा. शुरुआत हुई मोदी जी से, अंत में मोदी जी, दस दफे नाम लिया मोदी जी का. मैं सोच रहा था कि क्‍या मैं लोक सभा में बैठा हॅूं या विधानसभा में बैठा हॅूं इतनी दफे, कौन सा खौफ था. राज्‍य सरकार तो हमारे मुख्‍यमंत्री जी चलाते हैं पर कौन-सा खौफ था, कौन-सी छाया में यह भाषण था।

श्री कमल नाथ ने कहा मुझे ताज्‍जुब हुआ क्‍योंकि राज्‍यपाल जी का भाषण एक गंभीर भाषण होता है. इसमें मैं समझता हॅूं कि मोदी जी को आवश्‍यकता नहीं है कि उनका प्रचार विधान सभा में किया जाए. उनको, क्‍या आवश्‍यकता है ? उनका यहां प्रचार करके आप उन्‍हें क्‍या संदेश दे रहे हैं. बहुत सारी बातें सीतासरन जी ने कहीं. माननीय राज्‍यपाल के अभिभाषण में उन्‍होंने बहुत सारी बातें कहीं, पर बहुत सारी बातें नहीं कहीं. यह भी हमें देखना है कि क्‍या कहा और क्‍या नहीं कहा. क्‍या उन्‍होंने किसानों के आंदोलन और किसानों के यह तीन कानूनों के बारें में कुछ कहा ? कहते, हम सहमत हैं  क्‍या यह कहते कि हम असहमत हैं. जो मजबूरी में आपको कहना पड़ता है वह तो कह देते, पर अंत में जब आप कहते हैं कि हम किसान हित की बात करते हैं तो जो यह आंदोलन में लाखों लोग 210 लोग मर गए, यह क्‍या किसी पार्टी के हैं यह क्‍या बेकार बैठे हैं? यह आज सोचने की बात है. क्‍या राज्‍यपाल जी ने पेट्रोल, डीज़ल की बात कही ? कह सकती थीं कि हमें खेद है कि यह बढ़ रहा है, विश्‍व में ऐसी हालत है. हालत तो नहीं है पर कहने के लिये कुछ भी कह लो, तो जो बातें कहीं वह अपनी जगह हैं पर जो बातें नहीं कहीं, इसमें क्‍या कदम उठाये जा रहे हैं. जो महिलाओं के साथ हो रहा है क्‍या आज कृषि क्षेत्र हमारा संतुष्‍ट है ? सीतासरन जी कह रहे थे कि कचरा. कचरा तो वर्ष 2018 में मध्‍यप्रदेश की जनता ने निकाला और आप कैसे वहां पहुंचे. क्‍या मुझे समझाने की जरुरत है डॉ. सीतासरन जी, आप तो यहां बैठै थे और आप उन सदस्‍यों में से थे जो यहां बैठे भी उतना मुस्‍कुराते थे, जो आप वहां बैठे हुए मुस्‍कुरा रहे हैं. कैसे आप वहां पहुंचे, आप जानते हैं, पूरा देश जानता है. जनता के कारण नहीं पहुंचे, जनता ने तो आपको वर्ष 2018 में घर बिठाया था।

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए सदन के नेता और राज्य मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा नेता प्रतिपक्ष जी को पूरे ध्यान और सम्मान के साथ सुनेंगे, लेकिन मेरा एक ही निवेदन है कि जब हम बोलें तब वे जरूर यहाँ मौजूद रह कर हमें सुनें. हम एक-एक बात का जवाब देंगे.

इस पर श्री कमल नाथ ने कहा मुख्यमंत्री जी को मेरी बात का जवाब देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि मैं ऐसी कोई बात नहीं कहूँगा. मैं तो इनके “कचरे” का जवाब दे रहा हूँ, ये कहते हैं कचरा साफ किया है. सच्चाई और इतिहास सबके सामने है कि किसने कचरा साफ किया, जनता ने कचरा साफ किया था और आप यहाँ बैठे थे. ये बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए।

कमलनाथ ने बताया की इन्होंने संबल की बात की, संबल योजना हमने समाप्त कर दी. इस पर मैं क्या बहस करूँ. संबल योजना में कितनी गड़बड़ी थी, कितने फर्जी सदस्य थे और हम “नया सवेरा” लाए, हमने तो बिजली दी थी, मैं उनमें जाना नहीं चाहता, मैं छुटपुट बातों में नहीं जाना चाहता. अध्यक्ष महोदय, अंत में एक बात पर मुझे विश्वास है कि जनता गवाह है, जनता गवाह है अंत में. आप जो भी कह लो यहाँ और मैं जो भी कह लूँ यहाँ, अंत में जनता गवाह है और समय बदल गया है, इस सदन में सब समझ लें, समय बदल गया है और समय को कोई रोक नहीं सकता. यह समय में परिवर्तन से राजनीति में भी बहुत परिवर्तन हो रहा है और यह परिवर्तन हमें समझना चाहिए. जिनको आप ज्ञान देने जाते थे वे आज आपको ज्ञान देने को तैयार हैं, तो आप हम कुछ भी यहाँ बोल लें या बाहर बोल लें, जनता अंत में, बहुत अन्तर है 10 साल पहले में, बहुत अन्तर है और यही अन्तर आगे का समय तय करेगा।

कोरोना पर 18 पैराग्राफ ! राज्यपाल ने बस एक बात नहीं कही कि कोरोना शुरू हुआ काँग्रेस के कारण, सब कुछ कह दिया है, अव्यवस्था, वित्तीय संकट, 15 महीनों में प्रदेश बर्बाद हो गया, अभी सीतासरन जी कह रहे थे प्रदेश बर्बाद हो गया. आप यह भी कह देते कि अगर काँग्रेस की सरकार न होती तो मध्यप्रदेश में कोरोना नहीं होता. वह उसी लेवल की बात होती, हमने तो पहले से कहा था, जब मैं मुख्यमंत्री था, मैं कलेक्टर्स से जब वीडियो कॉन्फ्रेंस करता था, फरवरी में, जनवरी में, मैं तो पढ़ता रहता था कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है. जब हमारे उस समय के अध्यक्ष ने स्थगन किया, मजाक उड़ाया गया, तब यह कहा डरोना-वरोना, यह सब बात तो हो गई. कोरोना के लिए तो कोई तैयार नहीं था. कोरोना अपने देश में आएगा, अपने मध्यप्रदेश में आएगा, कोई तैयार नहीं, मैं कहूँ कि हमने पूरी तैयारी की थी, गलत होगा. मैं वैसी भाषा नहीं बोलता कि हमने पूरी तैयारी कर ली थी. हम तैयारी करने जा रहे थे क्योंकि यह एक नई चीज थी, जो देश में पहली दफे आई, उसकी तैयारी में, अब मुझे कहना पड़ेगा, हमारे स्वास्थ्य मंत्री उस समय बैंगलोर थे, किससे मैं बैठकर बात करता? बुरा मत मानना।

श्री कमल नाथ ने कहा हमारे लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है. यही नौजवान हमारे प्रदेश का भविष्य में निर्माण करेंगे, हमारे देश का निर्माण करेंगे. आज के नौजवान और बीस साल पहले के नौजवान में बहुत अन्तर है. अब वह पढ़ लिख लिया है, अब वह गांव का या शहर का नहीं रहा है. इसको मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ी चुनौती है. कृषि क्षेत्र की तो चुनौती है कि कैसे नई क्रांति लाएं, पर नौजवानों में कैसे क्रांति आए. उनकी जो पीड़ा है उस पर हमारी क्या सोच है।

राज्यपाल के भाषण में इस पर कुछ नहीं कहा गया है. हम प्रदेश में ज्यादा निवेश लाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं. हमारा प्रदेश पांच प्रदेशों से घिरा हुआ है यह एक मैन्युफेक्चरिंग हब बन सकता है. जो मैन्युफेक्चरर पंजाब में अपना सामान बनाता है और केरल में बेचता है वह पंजाब में फेक्ट्री क्यों लगाए मध्यप्रदेश में क्यों न लगाए. यह एक सोच की बात होती है. यह एक नजरिए, दृष्टिकोण की बात होती है. मैं कहूं कि आपने सब कुछ बिगाड़ दिया या मैंने सब कुछ बिगाड़ दिया इस सब में एक बात याद रखिएगा कि यदि हम प्रदेश के विकास की बात करें, प्रदेश की उन्नति की बात करें. अगर हम वहां बैठे होते तो आपके बिना नहीं हो सकता था और अगर आप वहां बैठे हैं तो हमारे बिना भी नहीं हो सकता है यह दोनों तरफ की बात है. कैसे हम मिलकर अपने प्रदेश के बारे में सोचें यह मेरा प्रयास है.

कमलनाथ ने कहा कैसा प्रदेश मुझे सौंपा गया था. आत्म हत्या में नंबर वन, महिलाओं के अत्याचार में नंबर वन. बुरा मत मानिएगा शिवराज जी, मैं तो यह आंकड़े बता रहा हूँ. मैं आपके ऊपर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूँ. बेरोजगारी में नंबर वन. 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश की जनता ने बनाई थी और हमने 15 महीनों में पूरा कबाड़ा कर दिया. 15 साल में आपने इतने सारे अस्पताल बना दिए, 15 साल में आपने इतना सब कुछ कर लिया. 15 साल थे आपके पास. हमारे पास 15 महीने थे जिसमें से ढाई महीने लोक सभा चुनाव और आचार संहिता में चले गए, एक महीना उथल-पुथल में गया. मेरे पास तो 11 महीने थे, यह तो आपको समझना है. इस पर आप जरुर कुछ टिप्पणी करिएगा।

श्री कमल नाथ ने बताया मैं सहानुभूति नहीं चाहता, मैं चाहता हूँ कि हम इस आलोचना की राजनीति से हटकर बात करें, परन्तु क्या करें शुरुआत तो ऐसे ही हो जाती है. मुझे याद है आठवीं लोक सभा में यह प्रयास किया गया था. जब राजीव गांधी जी प्रधान मंत्री बने थे. कांग्रेस की 414 सीटें थीं उस समय यह कहा गया था कि यह सब बंद करें और साथ मिलकर काम करें. आज यह बहुत बड़ी आवश्यकता है. मैंने जब राज्यपाल का भाषण पढ़ा उसमें कई दफा यह लिखा हुआ है कि “यह प्रस्तावित है”. इसके बारे में सोचा जा रहा है. ग्वालियर में इंटरनेशनल स्टेडियम प्रस्तावित है, इसी में खुश हो गए. प्रस्तावित है तो हो गया. इसका प्रावधान हम कर रहे हैं, तो हो गया. तो क्या ऐसे ही प्रदेश चलेगा कि हम इस प्रकार बोलते रहें. आगामी तीन वर्षों में एक हजार नए किसान उत्पाद संगठन का गठन किया जाना प्रस्तावित है. 3700 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण आगामी 4 वर्षों में किया जाना प्रस्तावित है, ग्‍वालियर, भोपाल में विश्‍वस्‍तरीय साइंस सेंटर, स्‍पोर्टस कॉम्‍प्‍लेक्‍स प्रस्‍तावित है. भाषण सुनकर तो ऐसा ही लग रहा था कि क्‍या-क्‍या प्रस्‍तावित है? आगे तीन साल सरकार क्‍या करने जा रही है? कह देते कि इस साल में यह होगा, अगले साल में यह होगा परंतु प्रस्‍तावित करके ही खुश, प्रस्‍ताव में ही सफलता यह मुझे बड़ा ताज्‍जु़ब हुआ कि राज्‍यपाल जी को इस तरह की बात कहनी पड़ी. माफियाओं, माफिया तो पंद्रह साल से आपने पाला पोसा था और जब मैंने यह शुद्ध का युद्ध शुरू किया और आंकड़े मंगाए कि कितने दूध का उत्‍पादन है और इस दूध का कहां-कहां उपयोग होता है तो 20 प्रतिशत मिठाई थी जो दूध से बिना किसी मिलावट के बनती थी. शुद्ध का युद्ध मैंने शुरू किया. अब आप उसे अपनी उपलब्‍धी मानते हैं मुझे चिंता नहीं है. तुलसी जी मैं तो यह मानता हूं यह आपने किया था परंतु उस समय आपका रुप कुछ और था और आज आपका रूप कुछ और है. कोई बात नहीं परंतु जो उपलब्‍धी थी मैं वह आपसे नहीं छीन रहा हूं।

श्री कमल नाथ ने कहा अगर आप शुद्ध के युद्ध का श्रेय लेना चाहते हैं और इसे अपनी उपलब्धि मानते हैं मुझे कोई एतराज नहीं है, क्‍योंकि शुद्ध का युद्ध जो चला रहे थे वह तो वहां बैठे हैं तो आप इसे उपलब्धि माने तो मान लीजिए परंतु उस समय की बात कुछ और थी. अब किसानों की बात करें इतना उपार्जन हुआ इसका एक इतिहास है. हमें वह इतिहास जानना पड़ेगा कि समर्थन मूल्‍य का क्‍या इतिहास है. अपना देश ऐसा देश था जहां अनाज का आयात होता था. भुखमरी थी हम अमेरिका से हाथ जोड़ते थे. पी.एल-480 में हमारा अनाज आता था हमारे पास कोई बफर स्‍टॉक नहीं था और उस समय इंदिरा गांधी जी की सरकार ने तय किया कि यह व्‍यापार हम टेकओवर करेंगे व्‍यापार टेकओवर किया ”फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया” का निर्माण हुआ. यह इतिहास मैं इसीलिए बता रहा हूं इसे मैं कोई आलोचना के रूप में नहीं बता रहा था परंतु इससे हमें कुछ सीखना पड़ेगा कि मध्‍यप्रदेश के साथ कितना अन्‍याय हुआ है. हमारी सरकार रही या आपकी सरकार रही मध्‍यप्रदेश के साथ कितना अन्‍याय हुआ. समर्थन मूल्‍य, एग्रीकल्‍चर प्राइसेज कमीशन की शुरुआत हुई. एग्रीकल्‍चर प्राइसेज कमीशन बना और समर्थन मूल्‍य की घोषणा हुई. पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्‍यादा उत्‍पादन होता था उनको सबसे ज्‍यादा समर्थन मूल्‍य मिला आज भी 90 प्रतिशत से अधिक किसानों को समर्थन मूल्‍य पंजाब और हरियाणा में मिलता है।

नेता प्रतिपक्ष का भाषण पूरा होने तक सदन के समय में वृद्धि की गई।

श्री कमल नाथ ने कहा फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया वह करेगी. पूरी प्रोक्‍योरमेंट यह करेगी. एमएसपी देगी. मध्‍यप्रदेश में क्‍या हुआ, अंतर था. मध्‍यप्रदेश के किसान गुजारे की खेती करते थे. उनको समर्थन मूल्‍य से कोई मतलब नहीं था. आस-पास के 10-20 गांव में वे अपनी उपज बेच देते थे और अपना गुजारा करते थे. हमें केवल 2-3 % ही मिलता था और आज भी हमारे साथ बड़ा अन्‍याय हो रहा है. मुख्‍यमंत्री जी जानते है कि कैसे कोटा फिक्‍स किया जाता है, कैसे उनको इसके लिए भागना-दौड़ना पड़ता है. मुझे भी भागना-दौड़ना पड़ता था. जिससे हमारे राज्‍य का कोटा बढ़ाया जा सके. मध्‍यप्रदेश में सदैव से गुजारे की खेती होती थी और इस गुजारे की खेती के कारण हम समर्थन मूल्‍य से वंचित रहे और आज जो ये कानून बने हैं. मैं केन्‍द्र सरकार के कानूनों की आलोचना नहीं कर रहा हूं. अपितु बड़ी सरल भाषा में आपको जानकारी देना चाहता हूं. इस क्षेत्र में जो निजीकरण किया जायेगा, मंडी का स्‍टेटस् बड़े उद्योगों को दिया जाएगा, क्‍या बड़े उद्योग यहां समाजसेवा के लिए आयेंगे कि अपने मुनाफे के लिए आयेंगे।

उन्होंने कहा जो मौका हमें भविष्‍य में समर्थन मूल्‍य के लिए मिलता, वह भी हमेशा के लिए समाप्‍त हो जाएगा. इसलिए हमें इस कानून को समझना है. हमें यह कानून समझना है कि जो कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग है वह तो आज भी हो रही है. हमारे मध्‍यप्रदेश में भी हो रही है. हमारे हरदा में, छिन्‍दवाड़ा में हो रही है. वहां ITC लगी हुई है, मैंने ही उन्‍हें हरदा भेजा, परंतु उसमें कोई कानून नहीं बनाया, जरूरत नहीं थी. आज केवल 50 % बीज और खाद किसानों को सोसायटियों के माध्‍यम से मिलता है. 50 % किसान व्‍यापारी से ही लेते हैं. बड़े उद्योग जो कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग में आयेंगे, वे बीज और खाद समेट लेंगे. किसान के पास जायेंगे बोवनी के समय, कहेंगे बीज है, बोवनी का समय है, उसके लिए तो पूरा मौसम खत्‍म हो जायेगा. किसान कहेगा नहीं है, उद्योगपति कहेगा मैं दूंगा. तुम मेरे लिए खेती करो. किसान स्‍थाई रूप से बंधुआ बन जायेगा, यह इस कानून का मतलब है. मैं बड़ी ही सरल भाषा में आपको समझाना चाहता हूं क्‍योंकि इसमें प्रदेश का हित है।

यह बात सही नहीं है. जब हम विरोध कर रहे थे,पार्लियामेंट का स्‍थगन हुआ और जिस तरह यह कानून पास हुआ यह बात पार्लियामेंट के रिकॉर्ड में है. यह छोड़ दीजिये कि कैसे पास हुआ. पास हो गया, चलिये लेकिन अब तो सबक सीख लिया. उद्योगपति जायेगा किसान के पास कि मेरा बीज लो, मेरी खाद लो, तो किसान स्‍थाई रूप से बंधुआ हो जायेगा. मैं आप सभी को बता रहा हूं. ये इस साइड या उस साइड की बात नहीं है.

सदन के नेता और राज्य मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा किसान बंधुआ मजदूर हो जाये इसका सवाल ही पैदा नहीं होता. मैं एक-एक बात का जवाब दूंगा. कोई गलत संदेश न जाये इसलिए मैंने बीच में अपनी बात रखी।

श्री कमल नाथ ने अपनी बात रखते हुए बताया की मैं कोई गलत संदेश नहीं दे रहा हूं. जो कानून है, मैं केवल उसे बड़ी सरल भाषा में समझा रहा हूं. यदि मैं गलत समझा रहा हूं, तो आप बता दीजियेगा कि आपने यह बात नहीं कही, वह बात नहीं कही. इस बार तो कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग में बताया गया है कि ये-ये कॉन्‍ट्रैक्‍ट में होगा, आज के दिन नहीं है. आज के दिन किसान के पास भी छूट है, वह छूट ले ली जायेगी. तीसरा कानून एसेंशियल कमोडिटीज़ एक्‍ट का है. आज किसी ने जमा कर लिया, आज तो स्‍टॉक लिमिट है, जब भाव बढ़ा, बाजार में बेच दिया. यह कानून बना क्‍यों था ? यह कानून होल्डिंग के खिलाफ बना था. इसमें भुगतना किसको पड़ेगा ? मैं देश की चिंता नहीं कर रहा हूं, मैं मध्‍यप्रदेश की चिंता कर रहा हूं. यह हमें सोचना है, कैसे हम अपने ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों को समर्थन मूल्‍य देने का प्रयास करें. आज जितनी मुझे जानकारी है लगभग 23 % किसानों को समर्थन मूल्‍य मिलता है. इसके लिए आप भी लड़ते हैं, हम भी लड़ते हैं कि हमारा कोटा बढ़ाया जाये. शिवराज जी जरा उत्‍तेजित हो रहे थे, खड़े हो रहे थे।

इसी बीच सदन के नेता और राज्य मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा मैं कभी उत्‍तेजित नहीं होता.

इस पर श्री कमल नाथ ने कहा की मैंने तो शिवराज जी का जब पढ़ा कि यह कहते हैं कि मैं बड़े खतरनाक मूड में हूं, मैं डर गया. माफिया को जमीन में गाड़ दूंगा, बच्चियों के साथ अपराध करने वालों को प्रदेश में रहने लायक नहीं छोडूंगा यह सब तो मैंने पढ़ा, पता नहीं कहा या नहीं कहा मैंने पढ़ा, सुना नहीं. मैं मानता हूं कि जो लिखा था, सही था पर अब क्‍या है,आज पूरा प्रदेश देख रहा है रेत माफिया, शराब माफिया, खनिज माफिया, परिवहन माफिया, भू-माफिया और मिलावटखोरों को पूरा प्रदेश देख रहा है. मेरे आपके कहने से कुछ होने वाला है ? मैं तो अंत में यही कहना चाहता हूं कि अगले साल भी यहां बैठकर इस पर बहस करेंगे, यह आप आश्‍वासन दे दीजिये  मुख्‍यमंत्री जी कि अगले साल इस राज्‍यपाल के भाषण का आप पूरा हिसाब देंगे मैं उसमें संतुष्‍ट हो जाऊंगा, कि आप हिसाब देंगे कि यह जो हमने कहा यह हमने उपलब्‍ध किया और इसमें हम आगे बढ़े, इसकी शुरूआत हुई और यही हिसाब सबसे आवश्‍यक होगा नहीं तो यह राज्‍यपाल का भाषण केवल गुमराह का और मीडिया का भाषण था, मैं इस प्रस्‍ताव का विरोध करता हूं.

संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्र ने कहा नेता प्रतिपक्ष जी का भाषण आपने भी सुना और मान्‍य परम्‍पराओं से हटकर हमारे किसी भी सम्‍माननीय सदस्‍य ने व्‍यवधान उपस्थित नहीं किया. हमारे सदन के नेता जब बोलें तो हम इसी परम्‍परा को आगे बढ़ाना चाहेंगे, ऐसा मेरा नेता प्रतिपक्ष से आग्रह है कि वह भी इसी तरह से ताकीद करें कि उस समय व्‍यवधान न रहे और जिस तरह नेता जी ने कहा है तो आप इनका जवाब जरूर सुनियेगा. अभी तक आपने हां नहीं कहा है कि मैं सुनूंगा, अभी भी आप हां नहीं कह रहे हैं.अभी तक मान्‍य परम्‍परा रही है तो व्‍यवस्‍था आपकी तरफ से आ जाये. मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न इसलिये है ? नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं.

श्री बहादुर सिंह चौहान ने महामहिम राज्‍यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, मैं अपनी बात प्रदेश के किसानों के हित में रखना चाहता हूं. नेता प्रतिपक्ष के द्वारा अभिभाषण में कहा गया था कि किसानों को लेकर कोई बात नहीं कही जा रही है. माननीय अध्‍यक्ष जी, प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि देश की आजादी के बाद पहली बार माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रतिवर्ष किसानों के खाते में 3 किस्‍तों में 6 हजार रूपए डालने का प्रावधान किया गया. इस योजना के तहत मध्‍यप्रदेश के 78 लाख किसानों को इसका लाभ हुआ है और यह राशि 5 हजार 474 करोड़ रूपए मध्‍यप्रदेश के किसानों के खाते में डाली गई है. यह महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक 70 में उल्‍लेखित है. इसी योजना को देखते हुए प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार, माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार के द्वारा मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना बनाई गई, जो हिन्‍दुस्‍तान का पहला प्रदेश है. इसमें दो किश्‍तों में किसानों के खाते में दो-दो हजार रूपए करके चार हजार रूपए प्रतिवर्ष किसानों के खाते में डाले जाते हैं. इस योजना के तहत पूरे मध्‍यप्रदेश में 37 लाख 50 हजार किसान लाभाव्नित हुए हैं और यह राशि 750 करोड़ रूपए की है. अब चूंकि केन्‍द्र की राशि और प्रदेश की राशि मिलाकर 10 हजार रूपए हो जाती है.

मैं एक किसान परिवार से होने के नाते जानते हूं कि लघु कृषक और सीमांत कृषक जिसके पास एक एकड़ या एक हेक्‍टेयर जमीन है, इस 10 हजार रूपए का महत्‍व वह किसान अच्‍छी तरह से समझता है. इन 10 हजार रूपए से वह उन्‍नत किस्‍म का बीज, उन्‍नत किस्‍म का उर्वरक और दवाईयों के लिए इन पैसों का उपयोग करके वह कृषक इन दोनों योजनाओं का लाभ लेकर अच्‍छी तरह से कार्य कर सकता है. मध्‍यप्रदेश हिन्‍दुस्‍तान में एक मात्र ऐसा राज्‍य है, जहां माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इस योजना को प्रारंभ किया है. मैं किसान होने के नाते कह रहा हूं, गेहूं का उपार्जन बहुत ही महत्‍वपूर्ण योजना है. पूर्व की सरकार जो 15 माह की सरकार थी, मध्‍यप्रदेश में वही किसान है, मध्‍यप्रदेश का रकबा भी वही है, सिर्फ 73 लाख मेट्रिक टन की खरीदी की थी. इतने ही किसानों के द्वारा वही मध्‍यप्रदेश है और वही मध्‍यप्रदेश का क्षेत्रफल है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मध्‍यप्रदेश में विगत वर्ष में खरीफ फसल गेहूं का उपार्जन 1 करोड़ 29 लाख मेट्रिक टन किया, यह एक रिकार्ड है. पूर्व सरकार ने 73 लाख मेट्रिक टन और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इससे बराबर, डबल खरीदी इस मध्‍यप्रदेश में की है. इस गेहूं उपार्जन से 25 हजार करोड़ रूपए किसानों के खाते में स्‍थानांतरित किए गए हैं, जो 15 माह की कांग्रेस सरकार की तुलना में 11 हजार करोड़ रूपए अतिरिक्‍त है. ये किसानों के लिए महामहिम राज्‍यपाल के अभिभाषण के कंडिका क्रमांक 71 में यह उल्‍लेखित है।

यहां तक 8 लाख मीट्रिक टन सरसों, मसूर, चना में तीन लाख किसानों को 3,900 करोड़ रुपये उनके खातों में स्‍थानान्‍तरित किये गये हैं. यह बहुत बड़ी राशि है तथा खड़ी फसल धान में भी पांच लाख 89 हजार किसानों से 37 लाख 26 हजार लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है, जिसकी राशि 6,961 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले गए हैं. जब मैं पहली बार इस विधान सभा में सदस्‍य बनकर आया था तो उस समय कांग्रेस की सरकार 2003 थी, उस समय किसानों से 18 प्रतिशत, 14 प्रतिशत एवं 12 प्रतिशत वृत्‍ताकार सोसायटियों से जो ऋण दिया जाता था, उसमें ब्‍याज लिया जाता था. अध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश की एकमात्र ऐसी सरकार है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, माननीय शिवराज जी की सरकार है. वर्ष 2012-13 से मध्‍यप्रदेश के किसानों को जीरो प्रतिशत ब्‍याज पर ऋण देना प्रारंभ किया है, जो हिन्‍दुस्‍तान का पहला राज्‍य है और यह ऋण कोई छोटा-मोटा नहीं है, यह 12,000 करोड़ रुपये की राशि है, जो पूरे मध्‍यप्रदेश के किसानों को दी गई है. यह काम किसानों के लिए 15 साल की सरकार ने, शिवराज जी की सरकार ने किया है. जो 15 महीने की सरकार थी, उससे 25 प्रतिशत राशि अधिक है. आप महामहिम राज्‍यपाल महोदया की कंडिका क्रमांक 73 देख लें. आपकी सरकार से 25 प्रतिशत राशि अधिक दी गई है. जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा था कि 50 प्रतिशत तक लेन-देन किसान वृत्‍ताकार संस्‍थाओं से सहकारिता विभाग से करते हैं और चूँकि ओवर ड्राफ्ट होने के नाते कई संस्‍थाओं की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. उनको सुदृढ़ करने के लिये, वह अच्‍छा लेन-देन किसानों के साथ कर सकें, इसके लिये प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को 800 करोड़ रुपये शासकीय खजाने से उनको दिए गए हैं. महामहिम राज्‍यपाल कंडिका क्रमांक 74 में उल्‍लेखित है कि 15 महीने में 2200 करोड़ रुपये, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों का हक है, जब किसान ऋण लेता है तो उस समय उनसे प्रीमियम काट ली जाती थी, उस ऋण पर 2 प्रतिशत, 3 प्रतिशत राशि काट ली जाती थी. 15 माह में कांग्रेस की सरकार ने 2200 करोड़ रुपये की प्रीमियम जमा नहीं करने के कारण मध्‍यप्रदेश को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उस समय नहीं मिल पाया था. फिर पुन: भारतीय जनता पार्टी की बनी और मुख्‍यमंत्री चौथी बार शिवराज सिंह चौहान जी बने और उन्‍होंने 2200 करोड़ रुपये की प्रीमियम जमा करके जो 3,200 करोड़ रुपये की राशि किसानों के खातों में डाली गई. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. इससे लगभग प्रदेश के 44 लाख किसानों को लाभ हुआ है, भिन्‍न-भिन्‍न योजनाओं को मिलाकर, अभी तक किसानों के हित में जितनी भी योजनाएं हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने,  शिवराज जी की सरकार ने बनाई है, उसमें अभी तक 83,000 करोड़ रुपये इन 11 माह में किसानों के खातों में डाल दिए गए हैं. यह किसानों की सरकार है, यह शिवराज जी की सरकार है।

महामहिम राज्‍यपाल  के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक 32 में उल्‍लेखित है कि अंग्रेजों के द्वारा, राजा-महाराजाओं के द्वारा और कांग्रेस के द्वारा 2003 तक इस मध्‍यप्रदेश में मात्र साढ़े 7 लाख हेक्‍टेयर पर सिंचाई थी. जब मैं 2003 में विधायक बनकर आया था, मैं उस समय का आंकड़ा बता रहा हूँ और आज मध्‍यप्रदेश में 41 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई हो रही है. यह एक इतिहास है और सन् 2024-25 तक हमारी सरकार ने 65 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में सिंचाई करने का प्रावधान किया है.  धीरे-धीरे जो बिजली वाला विषय है, बिजली महंगी होती जा रही है, हमको आज नहीं तो कल सोलर पंप पर आना पड़ेगा, इस पर हमारी सरकार ने और माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने, मुख्‍यमंत्री सोलर पंप योजना बनाई है. मुख्‍यमंत्री सोलर पंप योजना के तहत मध्‍यप्रदेश में 6 हजार 10 सोलर पंप स्‍थापित किये गये हैं और वर्ष 2023 तक यह 45 हजार सोलर पंप मध्‍यप्रदेश में स्‍थापित कर दिये जायेंगे।

चूंकि किसान होने के नाते किसान से ही मैंने अपनी बात को प्रांरभ किया है. अब चूंकि हम सब जानते हैं कि जब 23 मार्च को मुख्‍यमंत्री जी ने शपथ ली, उस समय पूरे विश्‍व में और पूरी दुनिया में कोरोना महामारी थी, हम सब लोग चिंतित और भयभीत थे. लॉकडाउन हुआ और सारी जानकारी आपके सामने है, उसका चित्रण करने की आवश्‍यकता नहीं है, लेकिन कोराना के समय 15 महीने की सरकार द्वारा कोई तैयारी नहीं की गई है. नेता प्रतिपक्ष जी ने स्‍वीकार किया है कि हम तैयारी करते, यह आज उन्‍होंने बताया है और यह बात आज के रिकार्ड में भी है. उस समय जब कोराना महामारी प्रारंभ हुई, उस समय मध्‍यप्रदेश में कोरोना टेस्टिंग की क्षमता मात्र तीन सौ थी और आज तीस हजार से अधिक क्षमता है.उस समय टेस्टिंग लैब मात्र तीन थी और आज बत्‍तीस है, उस समय जनरल बैड्स 2 हजार 5 सौ थे और वह आज 5 हजार बैड्स हैं. ऑक्‍सीजन बैड्स, ऑक्‍सीजन वाला विषय कोरोना को लेकर बहुत ही महत्‍वपूर्ण प्‍वाइंट है, चूंकि जब लंग्‍स में कोरोना चला जाता था तो ऑक्‍सीजन की आवश्‍यकता पड़ती थी और कई स्‍थानों पर ऑक्‍सीजन की कमी थी. जब कोरोना महामारी पूरे प्रदेश में फैली थी, उस समय मात्र 230 बैड्स थे, जिनको बढ़ाकर मध्‍यप्रदेश की शिवराज जी सरकार ने 9हजार बैड्स इस मध्‍यप्रदेश में किये हैं, जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है. आईसीयू, अति गंभीर जब कोरोना से आदमी अंतिम सांस लेता है, उस समय मात्र 537 बैड्स थे और आज पूरे मध्‍यप्रदेश में आई.सी.यू. के 3 हजार बैड्स है .

पी.पी.ई. किट उस समय 18 हजार थी और आज 3 लाख 50 हजार हैं. टेस्टिंग किट उस समय 620 थी और आज 2 लाख 40 हजार हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक बात और बताना चाहता हूं जो मुख्‍यमंत्री जी ने बहुत सरहानीय कार्य किया है, उसको दो मिनट में बताना बहुत ही महत्‍वपूर्ण है. जब कोरोना महामारी हुई और पूरा लॉकडाउन हुआ, उस समय सभी प्रदेशों ने अपने-अपने हिसाब से लॉकडाउन किया, उस समय कई प्रदेशों के मजदूर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश मजदूरी करने गये हुए थे. उस समय इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, शिवराज जी की सरकार ने 1 लाख 55 हजार श्रमिकों के खातों में 15 करोड़ 50 लाख रूपये डाले हैं, यह एक ऐतिहासिक कदम है. यहां तक ही नहीं माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने श्रम सृद्धि अभियान के माध्‍यम से उसी समय श्रम सृद्धि अभियान उन श्रमिकों के लिये प्रारंभ किया और उससे 36 लाख 44 हजार नये श्रमिकों के खातों में 7 हजार 7 सौ करोड़ रूपये मध्‍यप्रदेश की सरकार द्वारा स्‍थानांतरित किये गये. माननीय अध्‍यक्ष जी बहुत सारी बातें कहना है. मैं एक बात बहुत ही महत्‍वपूर्ण कहना चाहता हूं। सुशासन का संकल्‍प सही अर्थों में तभी साकार हो सकता है, जब भू‍माफियाओं पर, शराब माफियाओं पर, ड्रग माफियाओं पर, रेत माफियाओं पर, राशन माफियाओं पर, चिट फंड माफियाओं और मिलावट खोर के आतंक से मुक्‍त हों, इसके लिये सरकार द्वारा 1 हजार 5 सौ भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की गई है. जिससे 3300 एकड़ शासकीय भूमि छुड़वाई गई और 3300 एकड़ भूमि की जो कीमत 8800 करोड़ रूपये होती है वह भूमाफियाओं से छुड़वाई गई।

श्री लक्ष्‍मण सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा की मैंने पहला पैराग्राफ इस अभिभाषण का पढ़ा, आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण की आधारशिला के रूप में नये संसद भवन की नींव का पत्‍थर रख दिया गया. अब अगर यह नये संसद भवन की नींव का पत्‍थर नहीं रखा जाता तो भारत आत्‍म निर्भर ही नहीं होता. यह क्‍या तर्क है मेरी समझ में नहीं आता. अध्‍यक्ष महोदय, भारत आत्‍मनिर्भर हमेशा से रहा है और रहेगा, भारत आत्‍मनिर्भर हो गया था, पंडित जवाहर लाल नेहरू का विजन, उनका दृष्टिकोण, उनकी दूरदृष्टिता और उसके बाद कांग्रेस सरकार ने जो काम किये हैं उससे भारत आत्‍मनिर्भर हो चुका था. अध्‍यक्ष महोदय, जवाहर लाल नेहरू जी जब प्रधान मंत्री बने थे उन्‍होंने सबसे पहले एक बात कही थी. बाकी सभी चीजों के लिये इंतजार किया जा सकता है लेकिन कृषि के लिये नहीं और उसी दूरदृष्टिता का परिणाम है कि जो शिप टू माउस हमारी स्थिति थी जहाज से अनाज आता था और हमें अनाज खिलाया जाता था, हमारे यहां अनाज इतना पैदा नहीं होता था, इतने वर्षों की गुलामी हमने सही थी, उस स्थिति से लेकर और आज 5 करोड़ टन गेहूं और चावल का भण्‍डार है यह हमारे प्रधानमंत्रियों का कांग्रेस सरकार का विजन और उसका परिणाम है कि आज भारत आत्‍मनिर्भर है. अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने बताया कि बार-बार मोदी जी का नाम लिया गया, अब यह तो विधान सभा है मध्‍यप्रदेश की राज्‍यपाल जी ने अपने अभिभाषण में बार-बार मोदी जी का नाम लिया, सीतासरन शर्मा जी पहले वक्‍ता भाजपा के, दूसरे वक्‍ता हमारे बहादुर सिंह जी इन्‍होंने मोदी जी का नाम ही नहीं लिया, इन्‍होंने शिवराज सिंह जी का नाम लिया तो हम तो बड़े असमंजस में हैं कि मोदी जी नेता हैं कि शिवराज सिंह जी यहां मध्‍यप्रदेश में सरकार चला रहे हैं, सरकार कौन चला रहा है, तो फिर अभिभाषण में मोदी जी का उल्‍लेख क्‍यों है।

अब फिर उल्‍लेख आया कोरोना का,अध्‍यक्ष जी मैं नमन करता हूं हमारे कोरोना वारियर्स को जिन्‍होंने अपनी जान दी है अब मैं सभी को श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं जो हमारे बीच कोरोना की वजह से नहीं हैं. मैं इस मामले में सरकार की आलोचना नहीं करूंगा, लेकिन कुछ त्रुटियां हैं जो मैं बताऊंगा और यह कोरोना शुरू कैसे हुआ अगर यह नमो ट्रम्‍प का इवेंट मेनेजमेंट नहीं होता तो हम लोग शायद कोरोना के और अच्‍छे नतीजे पा सकते थे. कोरोना भारत में आ चुका था, लेकिन नमो ट्रम्‍प इवेंट चल रहा था और उसके बाद जो भी कार्यवाही हुई तब हुई. लॉकडाउन लगा, ठीक लगा लेकिन पहले लगता तो इतनी नौबत नहीं आती. कोरोना के मामले में शासकीय अस्पतालों को मजबूत करना पड़ेगा. सुदृड़ करना पड़ेगा. गुना अस्पताल का एक उदाहरण मैं आपको बताऊं. गुना अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध था लेकिन उसको खोलकर फिट नहीं किया गया था. एक मरीज मेरे विधान सभा क्षेत्र के नीना जी, उनको गुना ले गये, चूंकि उनको वहां आक्सीजन नहीं मिला, उनको भोपाल भेजा गया और रास्ते में उनकी मृत्यु हो गयी. ऐसे कई केसेज हुए हैं. बमोरी से किसी को भेजेंगे तो गुना भेजेंगे. वहां सुविधाएं नहीं हैं तो फिर भोपाल भेजो, इंदौर भेजो. तो आपके जो जिला अस्पताल हैं उनको ऐसा बनाईये कि कोरोना के अलावा और भी जो बीमारियां हैं उनसे निपटने के लिये वे पूरी तरह तैयार रहें. मैं बधाई दूंगा, हमारे प्रायवेट नर्सिंग होम्स को, प्रायवेट अस्पतालों को, प्रायवेट डाक्टरों को, चिरायु अस्पताल को, जो पूरे समय कोविड के लिये लगा रहा. वहां के स्टॉफ के कई लोगों को कोरोना हो गया लेकिन वहां के कई ऐसे स्टॉफ मेंबर हैं, डाक्टर्स हैं, नर्सेस हैं जो अभी तक शायद घर नहीं गये. अस्पताल में ही रहते हैं. उनको हम धन्यवाद देते हैं. हमारे गोवर्धन दांगी जी, विधायक, आज हमारे बीच में नहीं हैं. कोरोना की वजह से उनकी मृत्यु हुई. उनका नेशनल हाईवे पर ढाबा था और उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए, हम कहते रहे कि मत करिये, मत करिये. जो प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र आदि से लौट रहे थे वे उनकी सेवा करते थे. उनको भोजन कराते थे. इस बात की चिंता किये बिना कि उनको भी कुछ हो सकता है. उनको कोरोना हुआ और आज वे हमारे बीच नहीं हैं. उनके साथ-साथ ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको कोरोना हुआ और जो कोरोना की वजह से आज हमारे बीच नहीं हैं. फिर राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना लागू कर 1 लाख 55 हजार श्रमिकों के खाते में 15 करोड़ रुपये डाले. अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसी योजनाएं हम बनाएं कि हमारे मजदूर बाहर मजदूरी करने ही नहीं जाएं तो आज हमको 15 करोड़ रुपये बांटने की जरूरत ही न पड़े. आज आप इस बात का श्रेय ले रहे हैं कि हमने 15 करोड़ रुपये बांटे. अरे, बांटे तो बांटे लेकिन प्रवासी मजदूर जा क्यो रहे हैं।

श्री प्रहलाद लोधी श्री देवेन्द्र वर्मा डॉ. अशोक मर्सकोले.श्री यशपाल सिंह सिसौदिया के अलावा डॉ. हिरालाल अलावा ने अपना पक्ष रखते हुए बताया की राज्यपाल महोदया के अभिभाषण के विरोध में अपनी बात रखना चाहता हूँ. बिन्दु क्रमांक 7 में राज्यपाल महोदया ने कहा है कि मेरी सरकार अंतिम पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए समर्पित है. मध्यप्रदेश एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, यहां पर करीब पौने दो करोड़ आदिवासी निवास करते हैं. आज यह वर्ग भुखमरी, कुपोषण, गरीबी, पलायन, विस्थापन जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है. इस वर्ग के कल्याण, उन्नति और विकास के लिए भारत के संविधान में पांचवी और छटवीं अनुसूची का जिक्र किया गया है. अफसोस की बात है कि राज्यपाल महोदया ने अपने अभिभाषण में पाचवीं अनुसूची का जिक्र ही नहीं किया है. पाचवीं अनुसूची के भाग क के पैरा 3 में यह कहा गया है कि आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राज्यपाल महोदय प्रतिवर्ष या राष्ट्रपति महोदय जब चाहे तब दल भेजकर आदिवासी क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट पेश करेंगे. सदन को बताते हुए मुझे दुख हो रहा है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आदिवासी क्षेत्रों के आन्दोलन, उनकी संस्कृति उनके विकास के बारे में रिपोर्ट राज्यपाल महोदय तक नहीं पहुंचाई गई है.

 

5 वी अनुसूची के भाग ख के 4 (1) में कहा गया है कि टीएसी का गठन होना चाहिए. ट्रायबल एडवायरी काउंसिल में 20 सदस्य होने चाहिए और सभी सदस्य आदिवासी होना चाहिए. लेकिन दुख की बात है कि मध्यप्रदेश में एक नई परिपाटी शुरु हुई है, नई सरकार बनी है बिना विधान सभा भंग किए नई. नई टीएसी का गठन कर दिया गया है जो कि संवैधानिक व्‍यवस्‍था के बिलकुल खिलाफ है. पांचवी अनुसूची के भाग (ख) के पैरा 5 (1) में इस बात का जिक्र किया गया है कि कोई भी अधिनियम, विनियम, कानून जो संसद या राज्‍य की विधान मंडल में बनाए जाते हैं बिना राज्‍यपाल जी की नोटीफिकेशन के अधिसूचित क्षेत्रों के लिए इम्‍प्‍लीमेंट नहीं किए जा सकते हैं लेकिन मुझे इस सदन को बताते हुए अफसोस है कि आज अधिसूचित क्षेत्रों के साथ सामान्‍य क्षेत्रों की तरह व्‍यवहार किया जा रहा है आज अदिवासियों को संविधान में जो पहचान मिली है वह उनकी विशेष संस्‍कृति के आधार पर मिली है, उनके भौगोलिक अलगाव के आधार पर मिली है, उनके विशेष नेचर के आधार पर मिली है, उनके पिछड़ेपन के आधार पर मिली है, लेकिन बिना टीएसी के परामर्श के, बिना टीएसी से चर्चा किए वह कानून अधिसूचित क्षेत्रों में रहने वाले अदिवासी समुदायों के ऊपर थोप दिए जा रहे हैं. सन् 1996 में भूरिया कमेटी की अनुसंशा पर पैसा कानून बनाया गया लेकिन कानून बनने के बाद आज भी वर्ष 2021 तक ग्राम सभाओं की किस तरह अनदेखी की जा रही है यह मध्‍यप्रदेश की जनता देख रही है. आज आए दिन पुलिस अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में, आदिवासी गांवों में जाते हैं और भोले भाले आदिवासियों के ऊपर झूठे मुकदमें दर्ज करते हैं. आए दिन आबकारी विभाग के अधिकारी जाते हैं और उनके ऊपर मुकदमे दर्ज करते हैं लेकिन दुख की बात यह है कि आदिवासी इलाकों में कई ऐसे गैर आदिवासी संगठन काम कर रहे हैं जो आदिवासियों के सामाजिक ताने-बाने के साथ और उनकी संस्‍कृति के साथ भी छेड़छाड़ कर रहे हैं. आज आदिवासी समाज पढ़ लिख गया है अपने अधिकारों की बात करने लगा है, पांचवी अनुसूची और छठवीं अनुसूची की बात करने लगा है तो आज प्रदेश के कई मंत्री उनको नक्‍सलवाद के चश्‍मे से देखते हैं.यह कितना उचित है. आज अदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन डिस्ट्रिक ऑटोनॉमस काउंसिल से पैसा कानून के अनुसार जो सलाह लेना चाहिए, जो योजनाएं बननी चाहिए उनका खुला-खुला उल्‍लंघन हो रहा है.

आज हमारी मध्‍यप्रदेश सरकार ने, हमारे कई पूर्व वक्‍ताओं ने कहा है कि कांग्रेस के काल में 50 साल में सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज थे निश्चित ही मध्‍यप्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में नए मेडिकल कॉलेज होने चाहिए और उसी के बाद नए 16 मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं लेकिन कई मेडिकल कॉलेजों के बीच की दूरी में सिर्फ 50 किलोमीटर का ही अंतर है. हमारे आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र धार, झाबुआ, बड़वानी जैसे जो क्षेत्र हैं आज मेडिकल कॉलेजों से 200 मीटर की दूरी पर हैं लेकिन प्रदेश के इन्‍हीं इलाकों में मेडिकल कॉलेज की कोई भी व्‍यवस्‍था नहीं है और यही कारण है कि आज आदिवासी इलाकों में सबसे ज्‍यादा कुपोषण, सबसे ज्‍यादा मातृ मुत्‍युदर, सबसे ज्‍यादा शिशु मृत्‍युदर है. प्रदेश सरकार को आदिवासी क्षेत्रों की ओर गंभीरता से सोचना चाहिए और ऐसी नियम और नीतियां बनानी चाहिए ताकि वहां के आदिवासियों का विकास हो, उनका पलायन रुके और आदिवासी क्षेत्रों में भुखमरी खत्‍म हो. राज्‍यपाल महोदया ने अपने भाषण में कहा है कि प्रदेश में वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में दो हजार किलोमीटर की सड़क गांव में बनेगी. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आदिवासी क्षेत्रों की जो भौगोलिक संरचनाएं हैं, जो गांव से गांव तक जाने की रोड है वह आज भी नहीं बनी है तो क्‍यों न प्रधानमंत्री सड़क योजना में हम संशोधन करके आदिवासी इलाकों में मोहल्‍ले से मोहल्‍ले जोड़ने के लिए भी हम उन सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्‍यम से करें. माननीय सभापति महोदय, अंत में एक बात और रखना चाहूंगा कि आज मध्‍यप्रदेश में कोविड के कारण कई मौतें हुई है लेकिन मध्‍यप्रदेश में जो कोविड सेंटर बनाये गए हैं, हमारे प्रदेश में बेहतर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, चाहे गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल हो, श्‍याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा हो, गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्‍वालियर हो लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटलों को कोविड सेंटर बनाना कितना उचित है ? प्रदेश की जनता का विश्‍वास प्रदेश की सरकारी संस्‍थाओं पर ज्‍यादा होता है. मैं यह चाहता हूं कि शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधीन ही कोविड सेंटरों का निर्माण किया जाये। मध्‍यप्रदेश में कोविड वैक्‍सीन का ट्रायल एक आदिवासी मजदूर दीपक मरावी पर किया गया और उसकी मौत हो गई. जांच हुई तो कहा गया कि ओमेप्राजोल (OMEPRAZOLE) के हाई डोज़ से उसकी मौत हुई. इसमें यह जांच का एक गंभीर विषय है कि ओमेप्राजोल केवल एक एंटी एसिड ड्रग है और इसके हाई डोज़ से कभी-भी किसी की मौत नहीं हो सकती है।

आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी एक गंभीर समस्‍या है. आदिवासी क्षेत्रों से युवा पलायन करके धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगौन जाते हैं. यहां से युवा गुजरात, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र जा रहे हैं. मैं आपके माध्‍यम से सदन से कहना चाहता हूं कि आदिवासी इलाकों में पलायन को रोकने के लिए स्‍थानीय स्‍तर पर ऐसी नीति बनाई जाये कि युवाओं को स्‍थानीय स्‍तर पर ही रोजगार मिले, जिससे उस क्षेत्र का भी विकास हो।

श्री शैलेन्‍द्र जैन श्री प्रियव्रत सिंहश्री सूबेदार सिंह रजौधा लें श्री पी.सी.शर्मा श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ के चर्चा में भाग लेने के बाद श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी भीकनगांव ने अभिभाषण के विरोध में अपनी बात रखते हुए बताया की शुरुआत की कोरोना काल को लेकर, जिसमें केंद्र सरकार की बहुत तारीफों के पुल बंधे, किन्तु मैं आपको बता देना चाहती हूं कि मात्र पूरे देश में एक ही नेता ऐसे थे, जिन्होंने इस महामारी के बचाव के लिये बार बार अपनी आवाज उठाई. यदि उनकी बात को सुना जाता, तो निश्चित ही इस महामारी से हम बच सकते थे और वे हमारे थे राहुल गांधी जी, जिनको बार बार हम लोग नमन करते हैं. इस बीमारी का आगमन हुआ और लॉक डाउन इसलिये नहीं लगाया गया कि मध्यप्रदेश की जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से गिराने के अवसर ढूण्ढे जा रहे थे. यहां के स्वास्थ्य मंत्री बाहर के बैंगलोर में जाकर छुपे हुए थे. यदि उस समय हम अलर्ट होते, अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों को हम लोग वहां पर प्रतिबंधित करते, तो निश्चित रुप से हमारे आमजन को उसमें बचाया जा सकता था।

इस महामारी के बाद जो पलायन हमारे आदिवासी लोग ज्यादातर उसमें 90 प्रतिशत आदिवासी लोग थे, आदिवासी मजदूर थे, जो हमारे पूरे देश में मजदूरी कर रहे थे, चाहे महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान हो अन्य प्रदेशों से वापस आने की जो भयावह स्थिति निर्मित हुई, उसमें जो स्थिति देखने को मिली, उसमें हमारी सरकार असफल रही. न उनके खाने की व्यवस्था, न उनके रहने की व्यवस्था, न स्वास्थ्य की व्यवस्था और आपने देखा होगा कि कैसे वे सिर पर पोटली लेकर बच्चों को लेकर महिलाएं चलकर आ रही थीं और इस तरह की स्थिति निर्मित हुई, उन्हें यह नहीं मालूम था कि रेल्वे ट्रेक पर सोना, वह भी इंसान हैं. रेल्वे ट्रेक पर सोना, उनको मालूम था कि यहां से ट्रेन गुजरती है, किन्तु उन्होंने इतनी तकलीफ उठाई कि वे मर जाना बेहतर समझे, इसलिये वे वहां पर सोए थे. उनको आज भी हम लोग याद करते हैं और दुख से बड़ा कहने में आता है कि सरकार उस समय सोई हुई थी, कोई व्यवस्थाएं उनके लिये नहीं की गई थीं. इस भुखमरी के समय में भी वहां जब मजदूर गांव में पहुंचा, वहां पर उनके रहने की व्यवस्था नहीं हुई. उनकी जांचें नहीं हुईं. रोजगार के नाम पर उनको मजदूरी का काम दिया गया, लेकिन उनको उसका पैसा नहीं मिला. यह स्थिति बार बार सामने वाले हमारे माननीय सदस्य कहते हैं कि बहुत अच्छे से सम्बल योजना का पैसा मिल रहा है, किन्तु नहीं मिल रहा है. मेरी विधान सभा में, दूसरी बहुत सारी जगह पर मैं नहीं जाना चाहती हूं. मेरी विधान सभा में दो विकास खण्डों में 179 और 150 करीब 329 प्रकरण दर्ज हैं, जिसमें उनके परिवारों को मदद देना है.

मुख्यमंत्री जी बहुत अच्छा कार्यक्रम करते हैं और इनका संदेश भी देते हैं हर ब्लाकों में. अधिकारी, कर्मचारी आकर के कार्यक्रम की व्यवस्था के लिये इतना इमरजेंसी कोई कार्यक्रम आया हो, इस तरह से करते हैं, किन्तु वास्तव में आपका जो बटन क्लिक होता है और उनके खातों में पैसा जाना चाहिये, वह नहीं जाता है. यह वास्तविकता है और धरातल पर यही सत्य है. इसी तरह से सम्बल योजना के बाद किसानों की भी बात आती है. उनकी राशि के लिये जो व्यवस्थाएं बहुत अच्छी होती हैं, कार्यक्रम बहुत अच्छा होता है, प्रचार प्रसार बहुत अच्छा होता है, किन्तु यही आपकी तत्परता, अधिकारी लोग जो तत्परता दिखाते हैं न कार्यक्रम को लेकर, यही काम यदि किसानों के खातों में पैसा चला जाये. वे एक एक पैसे के लिये तरस रहे हैं कि खेतों बुवाई करना है, खाद डालना है, दवाई छिड़कना है. दो हजार रुपये भी हमारे खातों में आ जायेंगे, तो उस पैसे का हम उपयोग कर लेंगे, किन्तु वास्तव में उनके खातों में पैसा नहीं जाता है. यह वास्तविकता है. सरकार को इस बात को मानना पड़ेगा, क्योंकि मैं तो महिला विधायक हूं, पिछली बार भी थी, जो सही है, जो क्षेत्र में हो रहा है, वह हकीकत में आपको बताऊंगी. इसके अलावा मुझे और कुछ कहना नहीं है. सभापति महोदय, हमारा ट्रायबल जिला है. परियोजना का पैसा पूरी तरह से रुका हुआ है, इसलिये रुका है, क्योंकि प्रभारी मंत्री जी अभी तक नियुक्त नहीं हुए हैं. उन्हें प्रभार नहीं दिया गया है. इसलिये हमारे वहां के काम नहीं हुए हैं।

श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी ने कहा मेडम काम नहीं हुए हैं. आप अपने अधिकारियों से पूछ लीजिये. परियोजना की राशि अभी तक नहीं गई है. प्रभारी मंत्री जी आपके कोई बने नहीं हैं या कोई भी वजह हो, किन्तु परियोजना का पैसा नहीं गया है. ट्रायबल के बच्चे छात्रवासों, आश्रमों में रहते हैं और वहीं से पढ़ाई होती है. आपकी ओर से निर्णय गया कि नहीं जहां स्कूल आपके पास में हो, वहां जाकर पढ़ लीजिये. पास में अगर स्कूल होती तो छात्रवास में रहने नहीं जाते वे. यदि उनकी व्यवस्थाएं गांव में होतीं,तो आश्रमों में वे नहीं रहने जाते. उनकी पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है और निजी स्कूलों में पालकों से जो फीस की वसूली हो रही है, कोई ऑन लाइन उनकी पढ़ाई नहीं हो रही है, उनसे फीस इतनी बेहिसाब ली जा रही है, वह ले रहे हैं. सुशासन की बात करें तो कैसा सुशासन. हमारी महिलाएं,जो मध्यप्रदेश क्या पूरे देश में मध्यप्रदेश एक नम्बर पर है. महिलाएं तो असुरक्षित पहले से ही थीं, किन्तु हमारी बेटियां भी असुरक्षित हैं. आज जितने प्रकरण दर्ज हो रहे हैं, जो निर्भया का कांड दिल्ली में दर्ज हुआ, वह हमारे मध्यप्रदेश में होने लगा है.

सभापति ने कहा श्रीमती झूमा सौलंकी का भाषण कल जारी रहेगा. विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 25 फरवरी, 2021 के प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित।

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