मध्यप्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की प्रमुख जानकारी
संदर्भ स्व-सहायता समूह
- संदर्भ स्व-सहायता समूह सम्मेलन ग्राम प्रवेश - 47,209 स्व-सहायता समूह- 4,04,105 स्व-सहायता समूह के बैंक खाते – 3,64,218 स्व-सहायता समूह से जुडे परिवार- 45,14,996 ग्राम संगठन- 36,950 ग्राम संगठन (व्ही.ओ.) बनाए गए हैं, जिनमें 3,35,118 समूहों की सदस्यता हो चुकी है। संकुल स्तरीय संगठन (सी.एल.एफ)- 1,295
संदर्भ स्व-सहायता समूह सम्मेलन
ग्राम प्रवेश – 47,209
स्व-सहायता समूह- 4,04,105
स्व-सहायता समूह के बैंक खाते – 3,64,218
स्व-सहायता समूह से जुडे परिवार- 45,14,996
ग्राम संगठन- 36,950 ग्राम संगठन (व्ही.ओ.) बनाए गए हैं, जिनमें 3,35,118 समूहों की सदस्यता हो चुकी है।
संकुल स्तरीय संगठन (सी.एल.एफ)- 1,295
विभिन्न जिलों में 46 सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र सी.टी.सी संचालित हैं।
रोजगार/स्व-रोजगार-इस कार्यक्रम अंतर्गत 73 हजार 356 ग्रामीण युवाओं को डी.डी.यू.जी.के.वाई. से रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण तथा 3 लाख 24 हजार युवाओं को आरसेटी के माध्यम से स्व-रोजगार हेतु प्रशिक्षण और साथ ही 6 लाख 88 हजार ग्रामीण युवाओं को रोजगार मेलों से भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए।
बैंकों से 4 लाख 3 हजार 211 प्रकरणों में 4,157 करोड़ रूपये का ऋण समूहों को दिलाया गया है।
परिक्रामी निधि (रिवाल्विंग फण्डं)- 2 लाख 49 हजार 919 स्व-सहायता समूहों को राशि रु. 309.70 करोड़
सामुदायिक निवेश निधि (सीआईएफ)- लगभग 1 लाख 12 हजार स्व-सहायता समूहों को राशि रु. 929 करोड़
बैंक सखी/बी.सी.- समूहों का लेन-देन सरल करने की दृष्टि से 3,341 बैंक सखी एवं 5,120 बी.सी. सखी प्रशिक्षित होकर कार्यरत हैं।
कृषि एवं पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से जोड़े गये परिवार- 17 लाख 65 हजार
गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियाँ- 6 लाख 25 हजार
वस्त्र/परिधान-स्व-सहायता समूहों से जुड़ी 63,464 महिलाएँ परिसंघ अथवा स्वतंत्र रूप से वस्त्र/परिधान तैयार कर रही हैं।
सेनेटरी नेपकिन- मिशन द्वारा सेनेटरी नेपकिन की उत्पादन/रिपैकेजिंग की स्थापित इकाइयों से स्व-सहायता समूहों की 12,520 महिलाएँ जुड़ी हैं।
अगरबत्ती उत्पादन- 15,890
वाश उत्पाद निर्माण- 14,950 समूह सदस्यों द्वारा साबुन, टॉयलेट क्लीनर, वाशिंग पाउडर, फिनाईल एवं हैण्ड वाश का निर्माण किया जा रहा है।
हथकरघा- 1,286 हितग्राही
दीदी कैफे – 134
आजीविका फ्रेश- स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सब्जियों के विक्रय के लिये 1,324 आजीविका फ्रेश संचालित किए जा रहे हैं।
उन्नत कृषि- एस.आर.आई. पद्धति से 1,72,971 हितग्राहियों द्वारा खरीफ सीजन में धान का उत्पादन, इससे उत्पादन में लगभग दो गुना वृद्धि हुई है।
पोषण वाटिका (किचन गार्डन) – 18 लाख 13 हजार
जैविक खेती-जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 8,91,159 हितग्राहियों द्वारा वर्मी पिट और नाडेप पिट बनाए गए हैं।
व्यवसायिक सब्जी- 5 लाख 14 हजार ।
दुग्ध उत्पादन- 2,40,805
उत्पादक कंपनियाँ- 88 (इनमें 70 कृषि आधारित, 5 दुग्ध, 9 मुर्गीपालन, 2 लघुवनोपज, 2 बकरी पालन) कंपनियाँ कार्यरत।
कोविड-19 -कोविड-19 महामारी के दौरान स्व-सहायता समूह सदस्यों द्वारा 2.08 करोड़ मास्क, 1.43 लाख सुरक्षा किट (पी.पी.ई. किट), 1,67,140 लीटर सैनिटाइजर, 38,038 लीटर हैंडवाश एवं 7 लाख 81 हजार साबुन बनाए एवं विक्रय किए गए।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना – 3,18,293 ग्रामीण पथ विक्रेता लाभान्वित।