केन्द्र ने अब तक नहीं दिए अति-वृष्टि और बाढ़ के नुकसान की भरपाई के लिए 6621.28 करोड़- मंत्री सचिव यादव
किसानों की उम्मीदें रंग ला रही है-खेतों में तरक्की मुस्कुरा रही है
भोपाल, 22 नवम्बर, 2019
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ कहते हैं कि ‘‘प्रदेश की प्रगति का मार्ग लहलहाते खेतों की खुशियों से होकर ही जाता है। प्रदेश की उन्नति अन्नदाता किसानों में ही निहित है।’’ मुख्यमंत्री जी ने अपने पद की शपथ के साथ ही किसान कर्जमाफी का उद्घोष करके पूरी सरकार को किसानों पर समर्पित कर दिया। आज में गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता में मेहनतकश अन्नदाता किसान ही है। यह बात मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री सचिव यादव ने शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को भोपाल में एक पत्रकारवार्ता में कही।
मंत्री श्री यादव ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे मुख्यमंत्री जी ने किसानों की सेवा का अनुपम दायित्व दिया है और मेरा हमेशा प्रयास रहेगा कि मैं मप्र के सबसे बड़े किसान नेता और मेरे पिता स्वर्गीय सुभाष यादव जी के दिखाये प्रशस्त मार्ग पर चलकर अपना समूचा जीवन अन्नदाता किसानों की तरक्की पर समर्पित कर दूं।
उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सबसे बड़ा छल मप्र के किसानों के साथ किया, किसानों के नाम पर खुद की प्रसिद्धी का ढोल पीटा और किसानों को अभाव तथा निराशा के गर्त में धकेल दिया। देश भर में कहा गया कि मध्यप्रदेश की एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट लगातार कई वर्षों से 20 से 24 प्रतिशत बनी हुई है। मगर हमारी सरकार आने के बाद सच्चाई सामने आयी। वर्ष 2013-14 मंे एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट (-1.9) प्रतिशत थी, 2014-15 में (1.3) प्रतिशत थी, 2015-16 में (-4.1) प्रतिशत और 2017-18 में (0.1) प्रतिशत थी। जिसका अर्थ साफ था कि किसान आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हो गया है। जिसका ब्यौरा भी हमने विधानसभा में रखा है।
एक और बड़ा खुलासा मोदी सरकार ने 28 सितम्बर, 2018 को जारी एक रिपोर्ट में किया था कि मप्र में भाजपा सरकार के समय एवरेज खेती का रकबा लगातार कम हो रहा है। सीमांत किसान की औसत जोत मात्र (0.49) हेक्टेयर रह गई है। वहीं खेती का रकबा 1.66 लाख हेक्टेयर कम हो गया है।
किसानों की तरक्की की युक्ति-कर्ज से मुक्ति:-
मंत्री श्री यादव ने कहा कि किसानों को वचन दिया था कि किसानों का दो लाख रूपये तक का कर्ज माफ किया जायेगा। विरासत में मिली बेहद आर्थिक बदहाली के बावजूद हमने किसानों की कर्जमाफी का एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया और ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ के अंतर्गत 2022731 किसानों के ऋण खातों का 7154.36 करोड़ रूपये का पहले चरण का कर्ज माफ किया तथा दूसरे चरण की ऋण माफी में 1202078 ऋण खाताधारक किसानों को लिया जा रहा है। हम किसान भाईयों की हर कठिनाई में पूरी इच्छा शक्ति के साथ दृढ़ता से खड़े हैं। हम हर पल उनका साथ निभायेंगे और सभी किसान भाईयों की कर्ज माफी का अपना वचन निभायेंगे।
जय किसान समृद्धि योजना:-
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा 5 मार्च, 2019 को ‘जय किसान समृद्धि योजना’ लागू की गई, जिसके तहत रबी सीजन 2019-20 के लिए कृषि उपज मंडी एवं ई-उर्पाजन केंद्र के माध्यम से किसान द्वारा विक्रय किये गये गेहूं पर 160 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया। इस योजना के तहत 92.67 लाख मैट्रिक टन गेहूं विक्रय करने वाले लगभग 11.79 लाख किसान 1463.42 करोड़ रूपये से लाभांवित होंगे।
अच्छी उत्पादकता के लिए ‘शुद्ध का युद्ध’:-
उन्होंने बताया कि बीते कई वर्षों से मध्यप्रदेश के किसान अमानक स्तर के बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से त्रस्त थे। हमने यह संकल्प लिया है कि हम हर हाल में किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज, खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। इस उद्देश्य से हमने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का आगाज किया है। इस अभियान के तहत न सिर्फ बीज, उर्वरक और कीटनाशक के मानक स्तर का परीक्षण किया जा रहा है, अपितु कम मात्रा में सामग्री विक्रय, अनाधिकृत विक्रय, कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर विक्रय इत्यादि विषयांे पर भी गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है। इस अभियान के तहत अब तक 1313 उर्वरक विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1096 नमूने लिये गये हैं एवं 110 प्रकरणों पर अनियमितता के फलस्वरूप कार्यवाही की गई है। साथ ही उर्वरक निर्माण इकाईयों का भी निरीक्षण किया जा रहा है। हाल ही में उसके खिलाफ भी एक प्रकरण में कार्यवाही की गई है।
इसी प्रकार 1120 बीज विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1129 बीज नमूने संकलित किये गये और 51 प्रकरणों में अनियमितता के लिए कार्यवाही की गई। साथ ही कीटनाशकों के संदर्भ में कुल 334 पौध संरक्षण दवा विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण किया गया और 66 प्रकरणों में अनियमितता के लिए कार्यवाही की गई।
किसानों की पीड़ा पर केंद्र का कुठाराघात:-
मंत्री श्री यादव ने बताया कि बीते दिनों मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश के किसानों का हुआ। लगभग 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर में फसलें खराब हुईं। हमने किसानों की फसलों की क्षतिपूर्ति एवं जानमाल और अधोसंरचना के नुकसान के लिए केंद्र सरकार से 6621.28 करोड़ रूपये मांगे, मगर आज दिनांक तक केंद्र की भाजपा सरकार ने एक भी पैसा हमें नहीं दिया।
उन्होंने बताया कि किसान की सबसे बड़ी निर्भरता फसल बीमा से होती है। हमने इस भीषणतम प्राकृतिक आपदा के लिए खरीफ वर्ष 2019 हेतु फसल बीमा का राज्यांश अग्रिम राशि 509.60 करोड़ का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया है। मगर केंद्र सरकार ने प्रदेश के साथ बड़ा कुठाराघात करते हुए यह कहा है कि चूंकि पूर्ववर्ती शिवराजसिंह सरकार ने बीमा कंपनियों को रबी सीजन 2017-18 में रूपये 165 करोड़, खरीफ 2018 में रूपये 1772 करोड़ तथा रबी सीजन 2018-19 में राशि 424 करोड़ रूपये अर्थात कुल 2301 करोड़ रूपये का राज्यांश राशि का भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए इस वर्ष की भीषण त्रासदी के बावजूद हमें फसल बीमा का खरीफ 2019 का केंद्र का हिस्सा केंद्र की भाजपा सरकार नहीं दे रही है। किसानों की विपत्ती के समय केंद्र की भाजपा सरकार का यह कुठाराघात असहनीय है।
केंद्र का भेदभाव और भावांतर का भुगतान :-
मंत्री श्री यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के खरीफ 2018 के फ्लेट भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत मक्का फसल हेतु 2.60 लाख किसानों को लगभग 514 करोड़ रूपये का भुगतान किया है। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने किसानों के नाम पर खुद की प्रसिद्धी का ढोल पीटा, मगर किसानों के साथ छलावा ही किया। ज्ञातव्य है कि खरीफ 2017 के भावांतर के 576 करोड़ रूपये, खरीफ 2018 के 321 करोड़ रूपये और अतिरिक्त 6 लाख मीट्रिक टन के 120 करोड़ अर्थात कुल 1017 करोड़ रूपये केंद्र द्वारा मघ्यप्रदेश को अब तक नहीं दिये गये हैं। इससे साफ परिलक्षित होता है कि भारतीय जनता पार्टी किसानों के प्रति कितनी असंवेदनशील है।
गौशाला का निर्माण जैविक खेती के लिए मील का पत्थर:-
मंत्री श्री यादव ने कहा कि जैविक खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर का राज्य है। एपीडा के अनुसार मध्यप्रदेश में 2 लाख 13 हजार हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है। जिसमें कपास, गेहूं, धान, अरहर, चना, सोयाबीन इत्यादि फसलें शामिल हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशालाओं का निर्माण जैविक खेती के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। जैविक खेती के लिए गोबर खाद का उपयोग तथा गौमूत्र से कीटनाशक जैविक खेती के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
उपलब्धियों भरा साल-राज्य कृषि विपणन बोर्ड:-
उन्होंने बताया कि कृषि उपज मंडी समितियों में कृषकों को उनकी कृषि उपज के लिए दो लाख रूपये तक की नगद भुगतान की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं बैंकों से एक करोड़ रूपये से अधिक नगद आहरण पर टीडीएस कटौती के आयकर अधिनियम के प्रावधानों से व्यापारियों को मंडियांे में नगद भुगतान में आ रही कठिनाईयों की ओर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए मंडी व्यापारियों को उक्त प्रावधान से मुक्त कराने हेतु पहल की गई तथा भारत सरकार से आयकर अधिनियम में आवश्यक संशोधन किये गये।
मंत्री श्री यादव ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के द्वितीय चरण में हमारी सरकार बनने के बाद 25 कृषि उपज मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ा गया है तथा मंडी बोर्ड द्वारा दिनांक 16 अगस्त, 2019 से पूरे प्रदेश की सभी मंडियों में एक साथ ई-अनुज्ञा प्रणाली लागू की गई। बीते तीन माह में कुल 4,14,225 ई-अनुज्ञा जारी की गई।
ई-अनुज्ञा के पूर्व मैन्युअल अनुज्ञा प्रणाली में व्यापारियों द्वारा मंडी में जाकर अनुज्ञा प्राप्त की जाती थी, जिसमें उनका अनावश्यक समय व्यतीत होता था। ई-अनुज्ञा प्रणाली में मण्डी जाने की अनिवार्यता समाप्त की गई है, 27 मण्डी प्रांगण में सोलर एनर्जी प्लांट स्थापित किये गये हैं।
कृषकों को मण्डी प्रांगण में संतुष्टि अनुरूप मूल्य प्राप्त नहीं होने पर चार माह की निःशुल्क सुविधा और 80 प्रतिशत राशि तक कृषि उपज का भुगतान करने हेतु कोलेटेरल मैनेंजमेंट एजेंसीस के चयन निविदा की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
उद्यानिकी की उपलब्धि:-
उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस वर्ष से मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से 2.5 एकड़ भूमि प्रति हितग्राही 30 साल के लिए लीज पर उपलब्ध करायी जायेगी। इस योजना में 100-100 एकड़ के क्लस्टर फूलों की खेती के लिए तैयार किये जा रहे हैं।
प्रदेश में दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली एवं छिंदवाड़ा में प्रारंभ किये गये हैं। प्रदेश में उद्यानिकी के क्षेत्र में तीन सेंटर आफ एक्सीलेंस इंडो इजराईल प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किये जा रहे हैं जिनमें साईट्रस छिंदवाड़ा, वेजीटेवल मुरैना तथा फ्लोरीकल्चर भोपाल हैं।
मंत्री श्री यादव ने कहा कि विगत 15 वर्षों की किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों के लिए अनुदान का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया गया है। उपरोक्त योजना में अब किसानों को 70 हजार रूपये तक प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो सकेगा।
मंत्री श्री यादव ने कहा कि मैं पूरे आत्मविश्वास से यह बात कह सकता हूं कि हमारी संवेदनशील सरकार किसानों की प्रगति के प्रशस्त मार्ग के लिए प्रतिबद्ध है। यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी का संकल्प है आने वाले पांच सालों में मध्यप्रदेश किसानों की समृद्धि के दृष्टिगत देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।
अन्नदाता को देश की सबसे सस्ती श्रेणी की बिजली:-
मंत्री श्री यादव ने कहा कि प्रदेश का अन्नदाता किसान ही सही मायने में प्रदेश की प्रगति का कर्णधार है। हमने अपने वचनपत्र में वादा किया था कि प्रदेश के किसानों का बिजली का बिल हाॅफ करेंगे और आज हमने प्रदेश के किसानों के स्वप्नों को साकार किया है। दस हाॅर्स पाॅवर तक के कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरों को आधा कर दिया है। हमें यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि पूर्ववर्ती सरकार में जो 1400 रूपये प्रति हाॅर्स पाॅवर, प्रतिवर्ष कृषि पंपों की विद्युत दर निर्धारित थी, उसे हमने एकदम आधा करके 700 रूपये प्रति हाॅर्स पाॅवर प्रतिवर्ष कर दिया है। इससे 19.91 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना के तहत प्रति किसान उपभोक्ता को लगभग 47 हजार रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी दी जा रही है।
कांग्रेस सरकार ने इस योजना हेतु अब तक 2622.53 करोड़ रूपये की सब्सिडी प्रदान की है और अक्टॅूबर 2019 से मार्च 2020 तक के लिए 6137.94 करोड़ रूपये की सब्सिडी का प्रावधान 20.10 लाख कृषि पंपों के लिए किया है।
इतना ही नहीं, हमने स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के अतिरिक्त अस्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दर पूर्व की भाजपा सरकार की तुलना में कम की है।
ग्रामीण क्षेत्र में तीन माह के अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन हेतु तुलनात्मक दरें निम्नानुसार हैं:-
कृषि पंप
(एच.पी.) वर्ष 2018
(भाजपा सरकार के समय की दर) वर्ष 2019
(हमारी सरकार के समय की दर
3 एच.पी. 7959 रू. 4654 रू.
5 एच.पी. 13128 रू. 7620 रू.
7.5 एच.पी. 20881 रू. 12069 रू.
10 एच.पी. 26050 रू. 15035 रू.
छोटा किसान-निःशुल्क बिजली का योगदान:-
एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के कृषकों को 5 हार्सपाॅवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों हेतु निःशुल्क बिजली दी जा रही है, जिसकी एवज में हमारी सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये वार्षिक की सब्सिडी देगी।