‘राईट-टू-हेल्थ’ और ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ की मुहीम रंग ला रही है- मंत्री श्री तुलसी सिलावट
भोपाल, 21 नवम्बर, 2019
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी का नारा है, ‘‘जिंदगी को रखना हो खुशहाल तो रखें स्वास्थ्य का ख्याल।’’ बंधुओं, जब मुझे स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया तब मैं विचार कर रहा था कि आखिर मुझे ही यह दायित्व क्यों दिया गया। तब एक दिन मुख्यमंत्री जी ने मुझे बताया कि तुलसी तुमने अपने जीवन में बहुत अधिक कठिनाईयों का सामना किया है। अतः मैं जानता हूं कि वंचित वर्ग की पीड़ा तुमसे अधिक कोई और नहीं समझ सकता। आज सबसे बड़ी चुनौती ‘‘मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य ठीक करने की है।’’ यह बात मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसी सिलावट ने गुरूवार 21 नवम्बर, 2019 को भोपाल में एक पत्रकारवार्ता में कही।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि मित्रों, मैं गवाह हूं, मैंने बेबसी और गरीबी को भोगा है, जिया है, गरीब परिवार का एक सदस्य भी बीमार हो जाये तो पूरा परिवार आर्थिक रूप से तबाह हो जाता है। इसलिए हम सब चाहते हैं कि प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य का ख्याल सरकार रखे और वो भी उसे कानूनी अधिकार देकर।
स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार ‘राईट-टू-हेल्थ’:-
श्री सिलावट ने कहा कि मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि हमारी सरकार को मध्यप्रदेश भीषणतम बीमारी की हालत में सौंपा गया। कई बच्चे कुपोषण का शिकार थे, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर सर्वाधिक थी, चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की बेहद कमी थी अर्थात पूरे प्रदेश को बीमारियों ने घेर रखा था। मगर हम संकल्पबद्ध है कि मध्यप्रदेश को देश का सर्वाधिक स्वस्थ्य प्रदेश बनायेंगे। इसलिए हमने ‘राईट-टू-हेल्थ’ की पहल की और मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जो अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देगा।
हम अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देकर निः शुल्क जाचंे, निःशुल्क उपचार, निःशुल्क औषधियां और चिकित्सकीय निः शुल्क परिवहन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
राईट-टू-हेल्थ को कानूनी रूप तैयार करने के लिए एक ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया है, जो सभी व्यवहारिक, कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं पर गौर करते हुए मसौदा तैयार करेगी।
उन्होंने बताया कि ड्राफ्टिंग कमेटी द्वारा तैयार किया गया मसौदा एडवायजरी बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। इस बोर्ड में लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाॅ. के. श्रीनाथ रेड्डी (अध्यक्ष, पीएचएफआई), डाॅ. के. सुजाता राव, श्री ए.के. शिवकुमार, डाॅ. वी. विजयकुमार (डायरेक्टर एन.एल.आई.यू.) डाॅ. वंदना गुरनानी (अति. स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार) व अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। हमारी हर संभव कोशिश होगी कि हम विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में ‘राईट-टू-हेल्थ’ विधेयक अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करें।
स्वास्थ्य सेवाओं का स्वप्न हो रहा साकार:-
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि हमें इस बात का गंभीरता से आभास है कि चिकित्सकों एवं चिकित्सालय से जुड़े स्टाफ की कमी को पूरा किये बगैर हम अपने लक्ष्यों को हाॅसिल नहीं कर सकते। इसलिए हमने इसे प्राथमिकता से लेते हुए प्रदेष में अब तक 600 संविदा एनएचएम चिकित्सकों, 1002 बंधपत्र चिकित्सकों तथा 547 पीएससी बैकलाॅग चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। साथ ही 100 सेवानिवृत्त चिकित्सकों की सीधी भर्ती प्रक्रियाधीन है। इस प्रकार हमने कुल 2249 चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र दिये हैं। इसी प्रकार 1033 स्टाॅफ नर्सों की नियुक्ति की गई तथा 760 स्टाॅफ नर्सों की भर्ती प्रक्रियाधीन है। साथ ही 2019 एएनएम की भर्ती की प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है तथा 1550 कम्युनिटी हेल्थ आफीसर्स की नियुक्ति की गई है।
बेहतर स्वास्थ्य की ओर बढ़ते कदम:-
श्री सिलावट ने बताया कि महानगरों के प्रत्येक वार्ड में संजीवनी क्लीनिक प्रारंभ किये जायेंगे, 4366 संविदा पैरा-मेडिकल पदों पर शीघ्र नियुक्ति एवं एनएचएम के अंतर्गत 279 संविदा होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति शीघ्र की जायेगी। साथ ही एनएचएम के अंतर्गत 351 संविदा आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, 80 संविदा यूनानी चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती भी शीघ्र की जायेगी। अगले ढाई वर्षों में 10 हजार कम्यूनिटी हेल्थ आफीसर्स और एनएचएम के अंतर्गत 42 संविदा दन्त शल्य चिकित्सकों की भर्ती भी शीघ्र की जायेगी।
उन्होंने कहा कि कांगे्रस की संवेदनशील सरकार प्रदेश के हर वर्ग और हर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता चाहती है, इसलिए हमने मुख्यमंत्री सुषेण संजीवनी योजना प्रारंभ करने का मानस बनाया है, जिसे हम मध्यप्रदेश के 20 जिलों के 89 अधिसूचित विकासखंडों में प्रारंभ करने जा रहे हैं। साथ ही हेल्थ इन्वेस्टर्स पाॅलिसी और फार्मा पाॅलिसी को आकार दे रहें हैं तथा चिकित्सकों के लिए चिकित्सालयों में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक अनिवार्य उपलब्धता का निर्णय ले चुके हैं।
‘शुद्ध के लिए युद्ध’ का शंखनाद:-
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने मिलावट मुक्त मध्यप्रदेश का बीड़ा उठाया है। ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान के तहत दिनांक 19 जुलाई 2019 से 18 नवम्बर 2019 तक दूध एवं दुग्ध उत्पादों, अन्य पदार्थों/ पान मसाला सहित कुल 9283 नमूने जांच के लिए लिये गये हैं। अभी तक मिलावटखोरी करने वाले कारोबारियों के विरूद्व 94 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और 32 कारोबारियों के खिलाफ रासूका की कार्यवाही की गई है। जिसमें आज दिनांक तक 3963 नमूनों की जांच में 840 अवमानक, 231 मिथ्या छाप, 42 मिलावटी, 38 असुरक्षित और 30 प्रतिबंधित नमूने पाये गये हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार मंे मिलावटखोरी के कारोबार के खिलाफ कार्यवाही को गंभीरता से नहीं लिया और नमूनों की जांच के लिए मानक स्तर की एक मात्र प्रयोगशाला भोपाल में स्थापित की। हमने, इसको गंभीरता से लेते हुए तत्काल तीन आधुनिक प्रयोगशालाएं इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर मंे स्थापित करने की न सिर्फ स्वीकृती प्रदान की, अपितु उनका भूमिपूजन भी कर दिया गया। इतना ही नहीं अतिरिक्त दो नई प्रयोगशाला सागर और उज्जैन में भी प्रारंभ की जायेंगी। इसके अतिरिक्त दो आधुनिक चलित खाद्य प्रयोगशाला भी संचालित की जा रही हैं तथा दो और नवीन चलित खाद्य प्रयोगशाला प्रारंभ करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि खाद्य प्रतिष्ठानों के लिए हाईजीन रेटिंग रिस्पोंसिबल प्लेस टू ईट योजना के तहत एक से पांच रेटिंग वाले हाईजीन रेटिंग निर्धारित की गई है। चार से अधिक रेटिंग प्राप्त होने वाले प्रतिष्ठानों को रिस्पोंसिबल प्लेस टू ईट का लेबल प्राप्त होगा।
डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों का निदान:-
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि आप सब जानते हैं, कि इस वर्ष बारिस की अधिकता के कारण डेंगू, मलेरिया एवं चिगनगुनिया जैसी बीमारियां व्यापक मात्रा में फैल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग इन बीमारियों से निपटनें के लिये पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रहा है। वर्ष 2019 में प्रदेष भर में डेंगू के 3532 एवं चिकनगुनियां के 592 मामले प्रकाष में आये हैं। इनमें से डेंगू के 1638 मामले भोपाल में, 402 मामले जबलपुर में, 374 मामले ग्वालियर में एवं 227 मामले इन्दौर में प्रकाष में आये हैं। इसी तरह चिकनगुनिया के भी अधिकतर मामले भोपाल एवं इन्दौर में ही प्रकाष में आये है। इन खतरनाक बीमारियों से लड़ने के लिये हमारे द्वारा जिला प्रषासन, नगर निगम एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त कार्ययोजना बना कर लगातार काम किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते स्वयं मेरे द्वारा भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया जा रहा है। हम प्रतिबद्ध हैं, कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से किसी भी स्थिति में जनता को परेषान नहीं होने देंगे।
नवीन अस्पताल भवनों का निर्माण एवं उन्नयन कार्य:-
श्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं बेहतर से बेहतर बनाने के लिये हमारे द्वारा लगातार प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं का विकास किया जा रहा है। इस दिषा में हमारी सरकार द्वारा प्रदेश में 70 स्वास्थ्य संस्थाओं का उन्नयन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रदेश भर में बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने के उद्देष्य से 42 नवीन स्वास्थ्य संस्थाऐं एवं 701 ग्रामीण उप स्वास्थ्य केन्द्रों की जा रही है। इस प्रकार मध्यप्रदेष सरकार द्वारा प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने की दिषा में हर संभव निरंतर सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि अंततः पत्रकार साथियों, हम विनम्रता से अपने अनथक प्रयासों को आपके सम्मुख रख रहे हैं। प्रदेश के प्रत्येक परिवार के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए तथा प्रत्येक नागरिकों को शुद्ध खाद्य पदार्थ की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए हमारी सरकार हम प्रतिबद्ध है।
विभागीय जानकारी
प्रदेश में चिकित्सकों की स्थिति:-
नियमित चिकित्सक
नियमित विषेषज्ञ पी.जी. चिकित्सक – 882
नियमित एम.बी.बी.एस. चिकित्सा अधिकारी – 3631
नियमित दन्त चिकित्सक – 115
नवीन बैकलाक चिकित्सक – 547
बंधपत्र पी.जी. एवं एम.बी.बी.एस. चिकित्सक – 1002
प्रदेश में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की स्थिति:-
नियमित बहुउद्देषीय महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (एल.एच.व्ही.) – 806
नियमित बहुउद्देषीय पुरूष स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (एम.पी.एस.) – 991
नियमित बहुउद्देषीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ए.एन.एम.) -10725
नियमित बहुउद्देषीय पुरूष स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (एम.पी.डब्ल्यू.) -3850
प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थाओं की जानकारी:-
जिला चिकित्सालय – 52
सिविल अस्पताल – 86
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र – 329
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र – 1205
उप स्वास्थ्य केन्द्र – 10226