महावीर स्वामी के 5 महाव्रत शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराते हैं
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
जो दूसरों को जीते वह वीर और जो स्वयं को जीते वह महावीर
प्रदेश में अब गाय और पशुओं के लिए भी एंबुलेंस सेवा
“वैष्णव जन तो तेने कहिए” से सीख ले कर बनी लाड़ली बहना योजना
मुख्यमंत्री, अमरकंटक में आचार्य श्री विद्यासागर जीव दया पुरस्कार कार्यक्रम में शामिल हुए
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महावीर स्वामी के 5 महाव्रत सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह भौतिकता से दग्ध मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दर्शन कराते हैं। महावीर जयंती पर हम उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लें। महावीर स्वामी ने बताया था कि जो दूसरों को जीते वह वीर और जो स्वयं को जीते वह महावीर होते हैं। स्वयं को जीतने वाले जितेंद्रिय अर्थात जैन है। इस अर्थ में सभी को जैन बनने का प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान अमरकंटक में प्रदेश की श्रेष्ठ गो-शालाओं, गो-भक्तों और पशु सेवकों को आचार्य श्री विद्यासागर जी दया पुरस्कार वितरित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर राष्ट्रसंत हैं, जिनके दर्शन का आज मुझे सौभाग्य मिला है। उनमें मुझे महावीर स्वामी की छवि दिखाई देती है। मूक माटी उनका अद्भुत ग्रंथ है। जैन धर्म हमें बिना हथियार के दूसरों को जीतना सिखाता है। हमारी संस्कृति आत्मवत सर्वभूतेषु, सर्वे भवंतु सुखिन: और एकात्म मानवता की है। हम सबमें एक ही चेतना को देखते हैं, हर प्राणी का कल्याण चाहते हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाने रे” से सीख ले कर मैंने बहनों के लिए लाड़ली बहना योजना बनाई है। मेरे मन में बहनों की पीड़ा दूर करने की भावना थी। इस योजना से बहने स्वावलंबी बनेगी और उनमें आत्म-विश्वास जागृत होगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गो-संरक्षण और गो-संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने गाय और पशुओं के लिए भी एंबुलेंस सेवा शुरू की है। प्रदेश के हर विकासखंड में एक-एक एंबुलेंस चलाई जा रही है, जिसमें डॉक्टर और कंपाउंडर की व्यवस्था भी की गई है। प्रदेश में 407 पशु एंबुलेंस आ चुकी है। इस सेवा के लिए 1962 पर कॉल करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 1 अप्रैल से प्रदेश में शराब के अहाते बंद कर दिए गए हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाने पर चालक का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
जीव दया और गो-सेवा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में हुए उत्कृष्ट कार्य: विनय भैया
बाल ब्रह्मचारी विनय भैया ने कहा कि जीव दया और पशु सेवा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश सरकार उत्कृष्ट कार्य कर रही है। खेती में आज बैलों की जगह ट्रैक्टर और हार्वेस्टर ने ले ली है। इस कारण से गो-वंश के समक्ष भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि मध्यप्रदेश सरकार ऐसी व्यवस्था करें कि किसान खेती के बाद नरवाई को जलाये नहीं, बल्कि भूसे को गो-शालाओं को दे दे। भूसा पशुओं का भोजन है, मनुष्य को उसे जलाने का कोई अधिकार नहीं है। राज्य सरकार किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर भूसा निकालने की मशीन दे रही है। भूसा किसी भी हालत में जलाया नहीं जाना चाहिए।
म. प्र. गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि प्रदेश में श्रेष्ठ कार्य करने वाली गो-शाला, गो-सेवकों और पशु-सेवकों के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी दया पुरस्कार प्रारंभ किया गया है। प्रदेश में 1758 सक्रिय गो-शालाएँ हैं, जिनमें 2 लाख 87 हजार गो-वंश है। सरकार ने गो-सेवा के लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान किया है। इस वर्ष गो-शालाओं को 202 करोड़ 53 लाख रूपए की राशि वितरित की गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दीप प्रज्ज्वलन और कन्या-पूजन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सांसद सुश्री हिमाद्री सिंह, श्री राम दास पुरी, जैन समाज के श्री प्रमोद जैन, जन-प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, गो-सेवक और बड़ी संख्या में जन-सामान्य उपस्थित रहा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना की
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमरकंटक में मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी, पुण्य-सलिला माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती, जन-प्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।
भगवान आदिनाथ के किए दर्शन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमरकंटक में सर्वोदय तीर्थ पंचकल्याण मंदिर पहुँच कर भगवान आदिनाथ के दर्शन कर प्रदेश के नागरिकों की सुख-समृद्धि के लिए कामना की। मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर का अवलोकन भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान को मंदिर परिसर में स्थापित 1000 प्रतिमाओं संबंधी जानकारी दी गई।
आचार्य विद्यासागर महाराज से आशीर्वाद लिया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमरकंटक में जैन धर्मशाला पहुँच कर आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन किये और उनका आशीर्वाद लिया।