मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शैक्षणिक संस्थाओं में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि के लिए ली बैठक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्तर पर शालाओं से विद्यार्थियों को जोड़े रखने और सकल नामांकन अनुपात का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम आरंभ करना आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की व्यवस्था अनुसार इस स्तर के विद्यार्थियों को क्षेत्र की आवश्यकतानुसार रेडीमेड गारमेंट, हॉर्टिकल्चर, कृषि आधारित कौशल और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शैक्षणिक संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए प्रस्तावित कार्ययोजना की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। मंत्रालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरूण शमी, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री संजय गोयल, प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग डॉ. ई. रमेश कुमार तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
छात्रवृत्ति वितरण में विलंब न हो
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों तथा शिक्षकों के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाकर कार्रवाई की जाए। जनजातीय जिलों के छात्रावासों के वार्डन को पढ़ाने के कार्य में लगाया जाए और हॉस्टल व्यवस्था के संचालन के लिए प्रशासक संवर्ग विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि भविष्य में एक ही छात्रावास में सभी वर्ग के विद्यार्थियों के एक साथ रहने की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में किसी भी स्थिति में विलंब न हो।
स्कूल शिक्षा विभाग, पर्यटन-संस्कृति-पुरातत्व-मैपकॉस्ट के साथ मिलकर संचालित करे गतिविधियां
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पढ़ाई में विद्यार्थियों की रूचि बढ़ाने के लिए शाला स्तर पर संवाद कार्यक्रम, विज्ञान मेले, विज्ञान यात्राएं और आओ-सीखो-जानो जैसी गतिविधियां संचालित करना आवश्यक है। स्कूल शिक्षा विभाग, मैपकॉस्ट, संस्कृति, पुरातत्व, पर्यटन विभागों के साथ मिलकर यह गतिविधियां संचालित करें।
फॉरेंसिक साईंस-पॉयलेट ट्रेनिंग-शारीरिक शिक्षा जैसे पाठ्यक्रम आरंभ किए जाएं
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाविद्यालयीन स्तर पर कृषि और फॉरेंसिक साईंस जैसे विषय प्रदेश की अधिक से अधिक संस्थाओं में आरंभ किए जाएं। स्नातक स्तर पर कृषि विज्ञान के अध्ययन से क्षेत्रीय कृषकों और उनके खेतों को भी व्यवहारिक अनुभव के लिए जोड़ा जाए। जिन जिलों में हवाई पट्टियां हैं, वहां विश्वविद्यालयों और पॉयलेट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के समन्वय से पॉयलेट ट्रेनिंग का प्रशिक्षण भी आरंभ किया जा सकता है। पैरामेडिकल से संबंधित रोजगारमूलक पाठ्यक्रम भी विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित किए जाएं और शारीरिक शिक्षा व खेल गतिविधियों को कोर्स में सम्मिलित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाएं अपने यहाँ दीक्षांत समारोह, वार्षिक उत्सव, प्रदेश व प्रदेश के बाहर की यात्राएं और विषय-विशेषज्ञों के साथ संवाद कार्यक्रम भी आयोजित करें।
पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों का आंकलन और उनका उन्नयन आवश्यक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की पॉलिटेक्निक संस्थाओं की ग्रेडिंग कर उनकी वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाए और उनके उन्न्यन की दिशा में सार्थक प्रयास हों। परम्परागत पाठ्यक्रमों के साथ-साथ वर्तमान की आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम आरंभ किए जाएं। प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में भविष्य की माँग और चुनौतियों के अनुसार अध्ययन, शोध व प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इंजीनियरिंग महाविद्यालयों को समन्वित रूप से डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में भी प्रयास किए जाएं, स्वशासी स्वरूप होने से यह महाविद्यालय आत्मनिर्भर भी बनेंगे।
5 से 15 जून तक चलेगा पेयजल संवर्धन अभियान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में 5 से 15 जून तक पेयजल संवर्धन अभियान चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत पेयजल स्त्रोतों की स्वच्छता, साफ-सफाई के लिए गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी। सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों को इन गतिविधियों से जोड़ा जाए।