MADHYA PRADESH-म.प्र. लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 लिखेगी प्रदेश की समृद्धि का नया अध्याय
CM MP-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
नवाचार से विश्वस्तरीय बनेगा लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, आपूर्ति होगी आसान, लागत पर लगेगी लगाम
भोपाल : रविवार, फरवरी 16, 2025,
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और जीआईएस में जुट रहे निवेशकों को आकर्षित करने राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 जारी की है। पॉलिसी के नवाचारों से लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाकर आपूर्ति दक्षता को बेहतर बनाएगी। उन्होंने कहा कि पॉलिसी का उद्देश्य प्रदेश में दक्ष, विश्वसनीय और रणनीतिक रूप से स्थाई विश्व स्तरीय लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास करना है, जिससे वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक लागत को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जा सके। इससे प्रदेश घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों के लिए आकर्षक स्थल बन सकेगा।
मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 प्रदेश के समग्र आर्थिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। यह नीति राज्य को लॉजिस्टिक्स का प्रमुख केंद्र बनाने, निवेशकों को आकर्षित करने और व्यापार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी। आगामी वर्षों में इससे मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी। पॉलिसी के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकार पोर्ट टर्न अराउंड समय को कम करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। इससे राज्य की आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता को सुधारा जा सकेगा। साथ ही पीसीएस-वन प्रणाली से ई-डिलीवरी आदेशों को पेश किया जाएगा, जिससे लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाया जा सकेगा। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के लिए डेडिकेटेट लैब बनाई जाएंगी, जिससे उत्पाद सुरक्षा नियमों और गुणवत्ता मानकों खरे उतर सकेंगे। रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन डोर (आरएफआईडी) जैसे तकनीकी नवाचार सुरक्षा को बढ़ाएंगे और माल की आवाजाही भी तेज होगी। साथ ही यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफार्म के समावेश से लॉजिस्टिक्स मूल्य श्रृंखला में डेटा का आदान-प्रदान सरल औऱ तेज बनेगा। पॉलिसी के नवाचारों में ग्रीन कार्ड योजना भी शामिल है, जो ऐसे लॉजिस्टिक्स संचालको को शीघ्र मंजूरी देगी, जो ग्रीन-ट्रांसपोर्टेशन को अपनाएंगे।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से बढ़ेगी परिवहन दक्षता
अन्तर्देशीय और अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक ट्रांस्पोर्टेशन के योग्य इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए राज्य सरकार 20 से अधिक कार्गो टर्मिनल विकसित कर रही है। इससे लॉजिस्टिक्स नेटवर्क मजबूत होगा। ये टर्मिनल अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होंगे, जो माल ढुलाई को सुगम बनाएंगे। परिवहन लागत कम होने से व्यवसायियों का लाभ बढ़ेगा और प्रदेश में अधिक निवेश आकर्षित होगा।
निर्यात क्षमता बढ़ाने विकसित होगा विशेष इन्फ्रास्ट्रक्चर
मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 का एक महत्वपूर्ण अंग राज्य की निर्यात क्षमता को बढ़ाना भी है। इसके लिए पॉलिसी में निर्यात पार्क विकसित किए जाने के प्रावधान शामिल किये गए हैं। इन पार्कों के विकासक को स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क पर 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति प्राप्त होगी, साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अधिकतम 40 करोड़ रुपए अथवा प्रति एकड़ 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। निर्यातकों के लिए सामान्य प्र-संस्करण सुविधाओं की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिये परियोजना लागत की 25 प्रतिशत तक अथवा अधिकतम 25 करोड़ रुपए तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। पॉलिसी में ग्रीन इंडस्ट्रीलायजेशन को भी प्रोत्साहित किया गया है। इसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन की शून्य तरल प्रणालियों और केंद्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की स्थापना पर 50 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।
निर्यातकों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर
पॉलिसी में निर्यातकों की भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इसके लिए निर्यात विविधीकरण को बढ़ावा, निर्यात-उन्मुख इकाइयों की दक्षता बढ़ाना और सुदृढ़ निर्यातोन्मुख लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। पॉलिसी के उद्देश्यों में निर्यात की मात्रा बढ़ाना, “मेड इन मध्यप्रदेश” उत्पादों के निर्यात मूल्य में वृद्धि करना और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन भी शामिल है।
घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिये सुनहरा अवसर
लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से व्यापारियों और उद्यमियों को सीधा लाभ होगा। वेयरहाउस, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स कंपनियों में लाखों नई नौकरियाँ उपलब्ध होंगी। विदेशी और घरेलू निवेशकों को आकर्षित करने का सुनहरा अवसर मिलेगा। साथ ही किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर परिवहन और भंडारण सुविधाएँ मिलेंगी।