मध्यप्रदेश में कृषि और खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में संभावनाएँ
देश के दिल में बसा मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है
निरंतर बढ़ती आबादी के पोषण के लिए उसी अनुपात में फसलों का उत्पादन, कृषि गतिविधियों और खाद्य व्यापार में वृद्धि जरूरी हो जाती है। दुनिया में आबादी लगातार बढ़ रही है और वर्ष 2050 तक इसके 10 अरब तक पहुँचने का अनुमान है। वैश्विक कृषि बाजार वर्ष 2022 में 11 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ कर 12.1 ट्रिलियन डॉलर हो गया हैं जो वर्ष 2026 तक 16.67 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाने की उम्मीद है। देश के दिल में बसा मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। इसकी जीएसडीपी में कृषि का योगदान 47 फीसदी है। इसीलिए मध्यप्रदेश को “फ़ूड बास्केट ऑफ इंडिया” कहलाने का गौरव मिला हैं। प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। इसी के मद्देनज़र प्रदेश में कृषि और खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।
मध्यप्रदेश देश में संतरा, मसाले, लहसुन, अदरक, चना और दालों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। राज्य में जैविक उत्पादों की खेती का रकबा भी अच्छा खासा है। सोयाबीन, गेहूँ, मक्का, खट्टे फल, प्याज और फूलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। तिलहन, बागवानी, मिर्च, सुगंधित, औषधीय पौधों और दुग्ध का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। “शरबती गेहूँ” का सर्वाधिक उत्पादक और निर्यातक है। शरबती गेहूँ का आटा देश में उच्चतम गुणवत्ता वाला माना गया है।
राज्य का कृषि-जलवायु क्षेत्र 11 भाग में विभक्त है। इससे कृषि उपज में विविधता दिखायी देती है। प्रदेश में 10 प्रमुख नदी घाटियाँ और 0.3 मिलियन हेक्टेयर में फैले अंतर्देशीय जल निकाय, 17 हजार किलोमीटर से अधिक फैली हुई नदियाँ और नहरें, 60 हजार हेक्टेयर से अधिक छोटे-बड़े तालाबों से पानी की भरपूर उपलब्धता से राज्य में कृषि उत्पादन को और ज्यादा बढ़ावा मिला है।
मध्यप्रदेश में बेहतर बीज गुणवत्ता के विकास, उर्वरकों, चारा उत्पादन और आपूर्ति, कृषि मशीनरी और उपकरणों के निर्माण और सिंचाई परियोजनाओं में पूँजी निवेश पर विशेष ध्यान देने के साथ ही खेती के क्षेत्र में निवेश के लिए बहुत सारे मौके हैं। साथ ही कृषि और खाद्य प्र-संस्करण मूल्य श्रंखला में मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन और संबंधित डिजिटल सेवाओं को भी प्रदेश में प्रोत्साहित किया जा रहा है।
खाद्य प्र-संस्करण
मध्यप्रदेश सरकार ने मेगा फूड पार्क, कृषि प्र-संस्करण क्लस्टर, एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवद्धित अवसंरचना, खाद्य प्र-संस्करण और संरक्षण क्षमताओं को बढ़ाने की पहल की है। कृषि, खाद्य और डेयरी प्र-संस्करण क्षेत्र कोबढ़ाने के लिये भी कई कार्य किये जा रहे हैं। सूक्ष्म खाद्य प्र-संस्करण के पीएम फॉर्मलाइजेशन की केन्द्र सरकार की पहल, राज्य उद्यमियों की क्षमता निर्माण और किसान उत्पादक संगठनों, स्व-सहायता समूहों को सहायता देने, असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्र-संस्करण उद्यमों की चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। उत्पादक सहकारी समितियाँ और सहकारी समितियाँ अपनी संपूर्ण मूल्य श्रंखला के साथ सूक्ष्म उद्यमों को सामान्य सेवाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाती हैं।
वर्ष 2021 में दुनिया के खाद्य प्र-संस्करण बाजार का आकार $5.7 ट्रिलियन था। इस क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 7.60 प्रतिशत की कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है, जिसमें एशिया प्रशांत इस क्षेत्र का प्रमुख क्षेत्र है। भारत, इंडोनेशिया, चीन, मलेशिया जैसे उभरते बाजार तेजी से वैश्विक विकास को गति देंगे। बढ़ते ग्राहक आधार के करीब होने के लिए विनिर्माण और प्र-संस्करण तेजी से इन बाजारों में जायेंगे। भारत का खाद्य उत्पादन उद्योग 400 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का है और इसके बढ़ने की उम्मीद है। यह वर्ष 2025-26 तक 535 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुँचेगा। भारत की विश्व स्तर पर खाद्य उत्पादन में एक मजबूत स्थिति है और इसे कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादों के चीन के बाद दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में स्थान दिया गया है।
इस परिदृश्य में मध्यप्रदेश, खाद्य प्र-संस्करण उद्योग को सशक्त बनाने के लिये लगातार काम कर रहा है। राज्य में 8 स्थान पर सरकारी वित्त-पोषित फूड पार्कों की स्थापना, 2 निजी मेगा फूड पार्क और एपीसी के तहत अनुमोदित 4 कृषि प्र-संस्करण क्लस्टर जैसी कई पहल की गई है। राज्य ने अपनी भण्डारण क्षमता को लगभग 15 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया है और यहाँ 3 लाख 54 हजार वर्गमीटर की कुल सीमा के साथ एक विशाल कोल्ड-स्टोरेज हैंडलिंग क्षेत्र है।
खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में प्रतिभाओं को निखारने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने फूड इनोवेशन हब विकसित करने के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के साथ सहयोग किया है। राज्य में पहले से ही 5 प्रतिष्ठित संस्थान हैं, जो इस क्षेत्र के लिए मूल्य श्रंखला में मौजूदा कार्य बल को शिक्षित करने और प्रतिभाशाली कौशल बल जोड़ने के लिए समर्पित हैं। मध्यप्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार के प्रोत्साहनों के ईतर भी प्रोत्साहनों से उद्योगों को आकर्षित कर रही है।
मध्यप्रदेश ने हाल के दिनों में कैडबरी, आईटीसी, यूनिलीवर जैसी दिग्गज नामी कम्पनियों को शासन स्तर से अनुकूल नीतिगत बेहतर वातावरण उपलब्ध करा कर निवेश को आकर्षित किया है। मध्यप्रदेश सरकार ने खाद्य प्र-संस्करण उद्योग समर्थक नीतियाँ बनायी हैं। वित्तीय मोर्चे पर, खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र को दिया जाने वाला प्रोत्साहन राज्य के अन्य क्षेत्रों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन का डेढ़ गुना है। राज्य ने अपने निर्यात को वर्ष 2005-06 में 83 करोड़ रुपये मूल्य के 9 हजार 600 मीट्रिक टन से बढ़ा कर वर्ष 2021-22 में एक हजार 300 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग एक लाख 43 हजार मीट्रिक टन कृषि उत्पादों को 18 प्रतिशत से अधिक के आश्चर्यजनक सीएजीआर के साथ बढ़ाया है।
एक जिला-एक उत्पाद (ODOP) योजना में मध्यप्रदेश ने 24 कृषि और बागवानी से संबंधित प्राथमिक उत्पादों की पहचान की है। कोदो-कुटकी, बाजरा, संतरा/साइट्रस, सीताफल, आम, टमाटर, अमरूद, केला, पान, आलू, प्याज, हरी मटर, मिर्च, लहसुन, अदरक, धनिया, सरसों के उत्पाद, गन्ना उत्पाद, आँवला और हल्दी इसमें शामिल हैं। संतरे का उत्पादन प्रदेश को संतरा प्र-संस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए आदर्श बनाता है। प्रदेश में बैतूल, कटनी, अनूपपुर, रीवा, सिंगरौली और रायसेन जिले में आम आधारित कई खाद्य प्र-संस्करण उद्योग स्थापित होने के विभिन्न चरण में हैं।
राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों की जलवायु और क्षमताओं के आधार पर किसानों को ऐसी उपज लगाने के लिये प्रोत्साहित किया है जिससे रस, जैम, स्क्वैश, सिरप, सौंदर्य उत्पाद, इत्र, आवश्यक तेल, लुगदी, सूखे आम पाउडर, चटनी, आम जैसे प्र-संस्कृत खाद्य उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है।
खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र के अलावा, डेयरी गतिविधियाँ मध्यप्रदेश की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन भी है। ज्यादातर डेयरी उत्पाद दूध के रूप में बेचे जाते हैं। इसलिये इस क्षेत्र में मूल्यवर्धन और समग्र डेयरी प्र-संस्करण की जबरदस्त संभावनाएँ मौजूद हैं। वर्तमान में तरल दूध का हिस्सा राज्य के कुल बाजार हिस्सेदारी का 48 प्रतिशत है। सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में दही, पनीर, यूएचटी दूध, फ्लेवर्ड दूध और छाछ शामिल हैं।
मध्यप्रदेश तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है। दुग्ध उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। देश के कुल दुग्ध उत्पादन में प्रदेश का 8.6 प्रतिशत का योगदान है। मध्यप्रदेश सहकारी डेयरी फेडरेशन- शीर्ष निकाय एमपीसीडीएफ की अकेले 9 लाख 13 हजार केजीपीडी की औसत दूध खरीद दर्ज की गई है। डेयरी प्र-संस्करण में शामिल प्रमुख कंपनी-उपक्रमों में अमूल साँची, अनित इंडस्ट्रीज सौरभ और पवनश्री फूड इंटरनेशनल शामिल हैं। कुल मिलाकर राज्य में समग्र कृषि, खाद्य और डेयरी प्र-संस्करण मूल्य श्रंखला में निवेश के भरपूर अवसर है।