कोरोना की चुनौती के बीच मध्यप्रदेश का खेल मंच
मध्यप्रदेश को खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिली
- मध्यप्रदेश के खेलों की दृष्टि से बीता वर्ष उपलब्धियों भरा रहा। कोरोना काल के बाद खेलों के आयोजन और अकादमियों के संचालन की चुनौती को स्वीकार करते हुए मध्यप्रदेश ने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन कर दिखाया। बीते वर्ष में प्रदेश ने राष्ट्रीय खेलों में भागीदारी कर पदकों के हिसाब से बड़ा मुकाम हासिल किया। इसके बाद प्रदेश में लगातार राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन ने यह साबित किया कि मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर की खेल स्पर्धाओं का आयोजन कर सकता है। वर्ष 2022 में ही मध्यप्रदेश को खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिली, जो सोने पर सुहागा जैसा है।
मध्यप्रदेश के खेलों की दृष्टि से बीता वर्ष उपलब्धियों भरा रहा। कोरोना काल के बाद खेलों के आयोजन और अकादमियों के संचालन की चुनौती को स्वीकार करते हुए मध्यप्रदेश ने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन कर दिखाया। बीते वर्ष में प्रदेश ने राष्ट्रीय खेलों में भागीदारी कर पदकों के हिसाब से बड़ा मुकाम हासिल किया। इसके बाद प्रदेश में लगातार राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन ने यह साबित किया कि मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर की खेल स्पर्धाओं का आयोजन कर सकता है। वर्ष 2022 में ही मध्यप्रदेश को खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिली, जो सोने पर सुहागा जैसा है।
मध्यप्रदेश के खेल और खिलाड़ी विश्व मंच पर अपना स्वर्णिम प्रदर्शन कर रहे हैं। एक समय खेल परिदृश्य पर लगभग ओझल सा मध्यप्रदेश आज देश के शीर्ष खेल राज्यों में शुमार हो गया है। मध्यप्रदेश को इस स्तर पर पहुँचाने का श्रेय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, खेल मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, खिलाड़ियों और खेल विभाग को जाता है। इन सबने एक सुचिंतित लक्ष्य के साथ वर्ष 2007 में इसकी नींव रखी। इसी नींव पर फलदार वृक्ष की उम्मीद भरे अकादमी रूपी पौधे लगाये गये। यही पौधे अब फल देने लगे हैं। खेलों की इस फुलवारी में खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा से इस वृक्ष को वट वृक्ष बना दिया। आज हर खेल में मध्यप्रदेश के खिलाड़ी सम्मान पा रहे हैं। प्रदेश की खेल संरचनाओं और यहाँ के मॉडल को अन्य प्रदेशों ने भी अपनाया है। प्रदेश के खिलाड़ी खेलों के महाकुंभ ओलिंपिक तक पहुँच गए हैं। यह सब एक परिकल्पना को मूर्त रूप देने की दृढ़-इच्छाशक्ति से ही संभव हो पाया है। उम्मीद है कि भविष्य में भी प्रदेश के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराते नजर आएंगे।
प्रदेश में वर्ष 2007 में पहली हॉकी अकादमी की स्थापना के साथ ही अन्य खेलों के लिए अकादमियाँ स्थापित की गई। इन पर तेजी से काम होता गया। हर खेल की आधारभूत संरचना विश्व स्तरीय की गई। खिलाडिय़ों के चयन और उनके प्रशिक्षण में प्रशिक्षकों ने महती भूमिका निभाई। खिलाडिय़ों ने भी इस हवन में अपनी लगन और मेहनत रूपी आहूति दी। परिणाम सभी के सामने है। प्रदेश की खेल अकादमियों के खिलाड़ी एक-एक कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते चले गए।
खिलाडिय़ों का विजयी प्रदर्शन
प्रदेश के खिलाड़ियों ने शूटिंग, घुड़सवारी, कुश्ती, मुक्केबाजी, तलवारबाजी, जूडो, कराते, हॉकी, तीरंदाजी, जलक्रीड़ा, मलखंभ सहित अन्य खेलों में ऐसा प्रदर्शन किया, जो देश में चर्चा का विषय बन गया। राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश की उपस्थिति पदकों के आधार पर होने लगी। सैकड़ों पदक खिलाडिय़ों ने प्रदेश की झोली में डाले। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारे खिलाड़ी पीछे नहीं रहे।
नेशनल गेम्स में शानदार प्रदर्शन
मध्यप्रदेश के खिलाडिय़ों ने बीते वर्ष में नेशनल गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए कई पदक अपनी झोली में डाले। मध्यप्रदेश के खिलाडिय़ों ने इन खेलों में 20 स्वर्ण, 25 रजत और 21 कांस्य पदकों सहित कुल 66 पदक अपनी झोली में डाले। मध्यप्रदेश इन खेलों में देश में सातवें स्थान पर रहा, जो मेजबान गुजरात से कहीं आगे था। इन खेलों में शूटिंग के साथ ही एथलेटिक्स, वाटर स्पोर्टस् सहित सभी खेलों का बड़ा योगदान रहा।
तीन राष्ट्रीय खेलों के आयोजन
बीता वर्ष मध्यप्रदेश में खेल आयोजन को लेकर भी बड़ा महत्वपूर्ण रहा। खेल विभाग द्वारा तीन बड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन किए गए। इनमें सबसे बड़ी शूटिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता रही। देश के लगभग 5 हजार खिलाडिय़ों ने इसमें भागीदारी की। प्रदेश की बिशनखेड़ी स्थित शूटिंग रेंज विश्व स्तरीय बन चुकी है। जूनियर राष्ट्रीय घुड़सवारी प्रतियोगिता में भी देश के लगभग 200 घुड़सवारों ने राजधानी भोपाल में अपने शानदार घोड़ों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया। मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी ऐसी अकादमी है, जहाँ घुड़सवारी का क्रॉस कन्ट्री कोर्स बना है। दिसम्बर में राष्ट्रीय एलीट महिला बॉक्सिंग चेंपियनशिप का भी सफल आयोजन किया गया। इस चेंपियनशिप में तेलंगाना की निकहत ज़रीन और असम की लवलीना बोरगोहेन जैसी अंतर्राष्ट्रीय महिला बाक्सर ने अकादमी की व्यवस्थाओं की तारीफ की है।
खेलों की आधारभूत संरचना
वर्ष 2007 से पहले मध्यप्रदेश में खेलों के नाम पर कुछ नहीं था। खेल बजट ही ऊँट के मुँह में जीरा वाली कहावत को चरितार्थ करता था। महज 6 करोड़ रूपये के बजट में खेल सुविधाओं को देना असंभव था। खेल मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के अथक प्रयासों से बजट को बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार तक पहुँचा और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने भांजे-भांजियों के लिए खजाना खोल दिया। वर्ष 2007 से प्रदेश का बजट निरंतर बढ़ता गया। वर्ष 2021-22 तक आते-आते यह लगभग 400 करोड़ रूपए तक पहुँच गया। बजट के बढऩे के साथ ही खेल संरचनाओं को विकसित किया गया। खेलों के लिए नए भवन, खेल सुविधाएँ अंतरराष्ट्रीय मापदंड के अनुरूप तैयार की गई। प्रत्येक खेल अकादमी के लिए अलग भवन और पूरा सेटअप तैयार किया गया। आज मध्यप्रदेश में किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धा के आयोजन में सक्षम है। प्रदेश की घुड़सवारी अकादमी, शूटिंग रेंज और हॉकी स्टेडियम सहित अन्य खेलों की संरचनाएँ तो विश्व-स्तरीय हैं।
खेल अकादमियों की महती भूमिका
मध्यप्रदेश के खेलों को विश्व-पटल पर पहुँचाने में सबसे बड़ी भूमिका खेल अकादमियों की रही है। सच कहा जाए तो मध्यप्रदेश के खेलों को वर्ष 2007 के बाद विश्व मानचित्र पर पहुँचाने में खेल अकादमियों की महती भूमिका रही है। एक समय था जब मध्यप्रदेश से एक-दो खिलाडिय़ों के नाम ही चर्चा में रहते थे, पर अब अकादमियों की शुरूआत के बाद से नामचीन खिलाड़ियों की फेहरिस्त कई गुना बढ़ गई है।