उच्चतम न्यायालय ने खासगी ट्रस्ट के संबंध में आज एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस निर्णय के तहत खासगी ट्रस्ट को पब्लिक ट्रस्ट माना गया है। खासगी ट्रस्ट पर म.प्र. लोक न्यास 1951 के सभी उपबंध लागू होगें। खासगी ट्रस्ट को विक्रय की गई संपत्तियों का हिसाब देना होगा।
उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली द्वारा खासगी ट्रस्ट के प्रकरण में लिये गये निर्णय के प्रमुख बिंदु इस प्रकार है :-
• खासगी ट्रस्ट को पब्लिक ट्रस्ट की तरह कार्य करना होगा और इस ट्रस्ट पर म.प्र. लोक न्यास अधिनियम 1951 के सभी उपबंध लागू होगें।
• खासगी ट्रस्ट को 1 माह के अंदर पंजीयन हेतु आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
• रजिस्ट्रार, लोक न्यास की अनुमति के बिना अचल संपत्ति के संबंध में कोई निर्णय नहीं ले सकते।
• न्यायालय ने भी माना कि खासगी ट्रस्ट द्वारा रजिस्ट्रार लोक न्यास की अनुमति प्राप्त किए बिना संपत्ति विक्रय की है। अतएव रजिस्ट्रार, लोक न्यास अब जाँच करेगें। खासगी ट्रस्ट द्वारा जितनी भी संपत्ति विक्रय की है, विक्रय के संबंध में समस्त अभिलेख, दस्तावेज बुलाकर जाँच करेंगे।
• जाँच करने के पश्चात् रजिस्ट्रार यह निर्णय लेंगें कि खासगी ट्रस्ट की संपत्ति के विक्रय से ट्रस्ट को कितना नुकसान हुआ है और इस नुकसान की वसूली ट्रस्टियों से किस प्रकार की जाएगी।
• रजिस्ट्रार लोक न्यास जाँच में यह पाते हैं कि ट्रस्टियों द्वारा ट्रस्ट का संचालन सार्वजनिक हित में नहीं किया जा रहा और लोक हित की पूर्ति नही हो रही है तो वह ट्रस्टियों को हटाने, नई ट्रस्टियों की नियुक्ति, ट्रस्ट संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के संबंध में न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सहायता प्राप्त करेगें।